संस्कार
माता-पिता के संस्कार (कंडीशनिंग)दुनिया में सबसे बड़ी गुलामी है। यदि बच्चे का पालन-पोषण गलत ढंग से होता है तो सारी मानवता गलत हो जाती है। बच्चा बीज है। शुभ-आकांक्षाओं से भरे लोगों द्वारा, शुभ-कामनाओं से भरे लोगों द्वारा यदि बीज को ही जहरीला और भ्रष्ट कर दिया जाए, तब मुक्त व्यक्ति की कोई आशा नहीं बचती। भय यह है कि यदि बच्चे को प्रारंभ से संस्कार मुक्त रखा जाए तो वह इतना प्रतिभावन होगा, वह इतना सजग और सचेत होगा कि उसकी सारी जीवन शैली विद्रोही की होगी। और कोई भी विद्रोही नहीं चाहतो; सभी आज्ञाकारी लोग चाहते हैं।
माता-पिता आज्ञाकारी बच्चे को प्रेम करते हैं। लेकिन याद रखो, विद्रोही बच्चा प्रतिभावान है। विद्रोही बच्चे को सम्मान या प्रेम नहीं मिलता। शिक्षक उसे प्रेम नहीं करते, समाज उन्हें सम्मान नहीं देता। उसे दबाया जाता है।
जिनियस बहुत ही कम होते हैं, इसलिए नहीं कि जिनियस बहुम कम पैदा होते हैं। जिनियस बहुत कम होते हैं क्योंकि समाज के संस्कारों की प्रक्रिया से बचकर निकलना बहुत कठिन है! सिर्फ कभी-कभार ही कोई बच्चा इस पकड़ से छूट पाता है।
यदि बच्चे को उसकी निजता को विकसित करने में सहायता दी जाए बगैर दूसरों के अवरोधों के, हमारी दुनिया बहुत सुंदर होगी। तब हमारे यहां बहुत सारे बुद्ध, बहुत सारे सुकरात और बहुत सारे जीसस होंगे। हमारे यहां महानतम विविध जिनियस होंगे।
"ओशो"
Tuesday, 11 August 2015
संस्कार
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