Monday, 20 June 2016

laughter is the best medicine (in hindi)

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आज की तनाव भरी भागमभाग भरी जीवनशैली मे मानो हम हँसना ही भूल गये । जो थोड़ी बहुत हँसी दिखाई देती है वह झुठी दिखावटी दिखाई पड़ती है ठहाके मारकर हँसे हुये याद भी नही पड़ता कितना समय हो गया जिसे देखो चिन्ता हताशा परेशानी तनाव मे जीवन यापन कर रहा है प्रत्येक समय तनाव मे रहने के कारण ठहाके लगा कर हँसना तो मानो भूल ही गये है । और हम अपना स्वास्थ्य खोते चले गये  ।
 हँसना अपने आप मे एक ऐसा व्यायाम है जो शरीर की प्रतिरोधक  क्षमता को दूर करके मानसिक तनाव को तो दूर करता ही है वरन् पेट के  कई विकारो को दूर करता है । पेट मे विकार होने से कई बीमारिया उतपन्न होती है । 
 जब हम जोर से ठहाका लगाते है तो हम तनाव से दूर हो जाते है तनाव नही रहेगा तो हम दमा हृद्य् रोग उच्च रक्तचाप, सिर दर्द, काम मे मन नही लगना, डिप्रेशन, आदि अनेक रोगो से दूर रहेंगें
हमे 24घंटे मे कम से कम 5-6 बार तो जोर से ठहाका लगा कर खुलकर हँस लेना चाहिए । धीरे से या मन्द मन्द मुसकराने से काम नही चलने वाला इससे ज्यादा लाभ नही होगा । खुलकर ठहाका लगाये । फिर देखिये इसका कमाल ,
 आपकी रोगप्रतिरोधक क्षमता कितनी बढ़ जाती है । हँसने से सफेद रकत –कण सक्रिय हो जाते है और शरीर मे जो बीमारियाँ है उन पर चारो और स्रे हमला करके उसका समूल नाश कर देते है । कोल्स्ट्रोल ब्लडप्रेशर जैसी समस्या भी इससे कम हो जाती है ।
हँसने का बहाना खोजिये स्वयं भी जोर से हँसे दुसरो को भी हँसाते रहे । सदा मस्त रहे । यह एक ऐसी मुफ्त की दवा है जो आपको अनेक रोगो से दूर रखती है आप सदा प्रसन्न रहते है तो आपके समपर्क मे जो भी आयेगा वह भी प्रसन्न हुए बीना नही रह सकता ।  यह जीवन आन्नद से जीने के लिए मिला है न की दुखी परेशान तनाव मे जीने के लिए । दुखी तनावग्रस्त व्यक्ति अनेक रोगो से ग्रस्त होता है ।
 इसके विपरीत जो व्यक्ति हमेशा खुलकर हँसता है उससे बीमारियॉ भागती है वह मस्त आन्नदित जीवन जीता है और उससे सब खुश रहते है । कोलस्ट्रोल भी खुलकर हँसने से कम हो जाता है । खुलकर हँसना ऐसी मुफ्त की औषधि है जो अनेक बीमारियों को शरीर से बाहर निकालती है और नई बीमारियो को आने से रोकती है स्मरण शक्ति तेज होती है । शरीर मे स्फुर्ति रहती है । प्रत्येक काम को करने मे उत्साह रहता  है ।
 ठहाके लगाकर खुलकर दिन मे कम से कम 4-5 बार  हँसिये और हँसाइये और जीवन का आन्नद लीजिए।


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