मैंने सुना, मुल्ला नसरुद्दीन के पास एक आदमी आया, बड़ा डरा हुआ था। मुल्ला मौलवी! उसने कहा कि मुल्ला, बचाओ। बड़ी भूल हो गई। आज सात दिन से सोया भी नहीं। एक बकरा चुरा लिया किसी का, और मित्रों ने मिलकर खा-पी भी लिया। अब मुझे यह पाप कचोटता है कि निर्णय के दिन, कयामत के दिन पुकारा तो मैं जाऊंगा। चुराया तो मैंने था बकरा। खा तो ये सब गए।फंस मैं गया। चोरी मैंने की थी। मुल्ला, मुझे कुछ रास्ता बताओ कि मैं निकल आऊं।
मुल्ला तो बहुत चिल्लाया, नाराज हुआ एकदम। उसने पूरा का पूरा नरक का दृश्य खड़ा कर दिया कि दोजख में सड़ोगे, जलाए जाओगे कड़ाहों में, कीड़े-मकोड़े काटेंगे, जन्मों-जन्मों तक दुख पाओगे। खूब डराया उस आदमी को।
वह बहुत घबड़ा गया। उसने कहा कि मुल्ला, अब और मत घबड़ाओ। मैं वैसे ही सात दिन से सोया नहीं, तुम तो ऐसी हालत किए दे रहे हो। मैं क्या करूं, यह बताओ। मुल्ला ने कहा, कुछ करना है अगर तो केवल बातचीत से न होगा, कुछ नगद प्रमाण चाहिए।
नगद प्रमाण? उस आदमी ने कहा, तुम्हारा मतलब क्या है?
मुल्ला ने कहा, नगद नहीं समझते?
उसकी अकल में आया, उसने पांच रुपए का नोट निकालकर मुल्ला को दिया कि लो।
उसकी अकल में आया, उसने पांच रुपए का नोट निकालकर मुल्ला को दिया कि लो।
मुल्ला ने उसे खीसे में रखा और कहा घबड़ाओ मत, डर झंझट के बाहर मार्ग है, लेकिन तुम समय पर आ गए। कयामत में बुलाए तो जाओगे। ईश्वर पूछेगा कि बकरा क्यों चुराया? तो तुम साफ मुकर जाना। तुम कहना चुराया ही नहीं।
वह आदमी बोला, साफ मुकर जाना?
मुल्ला ने कहा, कोई गवाह है? कहा, गवाह कहां?किसी ने देखा तुम्हें चुराते?
उस आदमी ने कहा, किसी ने नहीं देखा।
मुल्ला ने कहा, फिर बेफिक्र रहो। जब कोई गवाह ही नहीं है तो कोई छोटी-मोटी अदालत भी कुछ नहीं कर सकती। तो उसकी तो बड़ी अदालत है। गवाह तो पूछेगा ही कि कोई गवाह है, जिसने देखा?
मुल्ला ने कहा, कोई गवाह है? कहा, गवाह कहां?किसी ने देखा तुम्हें चुराते?
उस आदमी ने कहा, किसी ने नहीं देखा।
मुल्ला ने कहा, फिर बेफिक्र रहो। जब कोई गवाह ही नहीं है तो कोई छोटी-मोटी अदालत भी कुछ नहीं कर सकती। तो उसकी तो बड़ी अदालत है। गवाह तो पूछेगा ही कि कोई गवाह है, जिसने देखा?
वह आदमी बोला, बात तो ठीक है, लेकिन परमात्मा तो सभी विराट शक्तिमान है, उसके लिए क्या कमी है? वह चाहे तो बकरे को ही बुला सकता है कि यह बकरा खड़ा है। बकरे ने तो देखा। मुल्ला ने कहा, यह अड़चन आ गई।
नगद प्रमाण फिर से दो। तो उस आदमी ने फिर पांच रुपए का नोट निकाला।
नगद प्रमाण फिर से दो। तो उस आदमी ने फिर पांच रुपए का नोट निकाला।
वह खीसे में रखकर मुल्ला ने कहा, देखो ऐसा है, अगर वह बकरे को बुलाए सामने तो जल्दी से बकरे को पकड़कर उस आदमी को दे देना, जिसका चुराया है। कहना झंझट मिटी। बात ही खतम हो गई। लेना देना पूरा। अब कैसा मामला! वह आदमी भी खुश हुआ, मुल्ला भी प्रसन्न है। उस आदमी को भी बात जंच गई कि यह बात ठीक है।
जिसको तुम धर्मगुरु कहते हो वह व्यवसाय कर रहा है। उसकी रोटी-रोजी है। उसे तुमसे कुछ मतलब नहीं है, न तुम्हारे भविष्य से कुछ प्रयोजन है। उसे अपने ही भविष्य का पता नहीं है, तुम्हारे भविष्य का क्या प्रयोजन होगा? लेकिन व्यवसाय है, संप्रदाय है। जल्दी ही पंडित-पुरोहितों का व्यवसाय बन जाता है।
-ओशो
कानो सुनी सो झूठ सब -प्रवचन-04
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