Thursday, 24 November 2016

प्रेम मृत्यु है

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प्रेम मृत्यु है 
जिसे उस परम प्यारे की याद बैठ गयी है ---- उसके दिल में दर्द बैठ गया है :;उसके दिल में गहन पीड़ा बैठ गयी , विरह बैठ गया ! खूब काटे चुभेंगे । इन्ही काटो के चुभने के माध्यम से फूलो के पैदा होने की संभावना करीब आती है ।
जीने का स्वाद प्यार के दर्द के बिना मिलता ही नही ।
जीवन के आनंद को , जीवन के स्वाद को हम प्यार की पीड़ा का नाम देते है। प्यार की पीड़ा को ही हम जीवन का स्वाद कहते है ।
लजते जीस्त को हम सोजे जिगर कहते है ,
रहते कल्ब को हम दिदये तर करते है।
और दिल को आराम कहा है ? जब आंखे आंसुओ से भरी हो तब !
भीगी आंख को ही हम हृदय का विश्राम कहते है ।
रोना भी पड़ेगा , पीड़ा भी झेलनी पड़ेगी । यह सब इस रास्ते पर मिलने वाली भेटे है ।
--- भेट याद रखना इसको पीड़ा मत समझना , ये कांटे प्रतिपल मंजिल के करीब ला रहे है ।
दर्द बढ़ने से जो मिलती है हंमे इक तस्की
जिसने प्रेम किया है , जिसने यह पीड़ा सही है ---- वह कहेगा दर्द बढ़ने से जो मिलती हमें है इक तस्की ।
एक शान्ति मिलती है , एक राहत मिलती है । दर्द बढ़ने से ! क्योकि दर्द बढ़ता है उतना प्यारे के करीब आना होने लगता है । उसके करीब आने के कारण ही दर्द बढ़ता है ।
हम इसे अपनी दुआओं का असर कहते है ।
भीतर तो दर्द होता है भक्त के , बड़ी पीड़ा होती है , गहन पीड़ा होती है , आग की लपटें जलती होती है । क्योंकि मौत रोज - रोज करीब आती है । लेकिन बाहर भक्त बड़ा मस्त होता है ।
मस्तियों हाल जिसे कहते है दुनिया वालो ,
तेरे दीवाने इसे तेरी नजर कहते है ।
बस तेरी एक नजर हो जाती है तो सब दुख मिट जाते है ।
तेरी एक नजर हो जाती है तो सब कांटे भूल जाते है ।
लंबी -लंबी प्रतिक्षाये , यात्राओं के कष्ट, सब विस्मृत हो जाते है ।
दुनिया के लोग जिसे मस्ती कहते है, तेरे दीवाने इसे तेरी नजर कहते है ।
एक ही बात है जल्वा कही कहते है इसे ,
कही दीदारे खुदी हुस्ने नजर कहते है ।
*** झुक आयी बदरिया सावन की,
***** भगवान श्री......

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