एक पहाड़ी पर प्रसिद्ध देवी
का मन्दिर था लगभग 15 किलोमिटर की पैदल चढ़ाई थी। नीचे एक दुकान थी । जहाँ पूजा-पाठ का समान व यात्रीयो के आवश्यकता की
वस्तुये मिलती था। जो उस दुकान का मालिक था कभी मन्दिर नही गया था। वह यात्रियों से ही वहा की सुन्दरता की तारीफ सुनता था। और
सोचता था, हमारे तो यह मन्दिर पास ही है कभी भी चले जायेगे ।
धीरे-धीरे समय निकलता गया।
उसे बुढ़ापा आ गया उसने सोचा अब तो जीवन का अन्त
नजदीक है अब तो मन्दिर की यात्रा की जाये। उसने सब तैयारी की । रात्रि मे यात्रा
करते थे जिससे सुबह आरती के समय दर्शन हो जाये उसने एक लालटेन ली, और अपनी यात्रा
शुरु की, अभी वह कुछ ही दुर चला था। उसके मन मे विचार आया उसकी लालटेन की रोशनी
सिर्फ चार कदम तक ही साथ दे रही थी और मुझे 15किलोमिटर की लम्बी यात्रा तय करनी है
। इस लालटेन के भरोसे यह कैसे तय होगी वह वही बैठ गया और सोचने लगा
जैसे जैसे उम्र बढ़ती है।
होसला भी कम होता चला जाता है। वह निराश होकर बैठा हुआ सोच रहा था तभी एक यात्री
उसके पास आकर उससे बोला- “कैसे बैठे हो”
वह बोला – ‘मै सोच रहा था
15किलोमिटर का रस्ता कैसे तय होगा ? मेरी लालटेन से तो सिर्फ चार कदम की रोशनी हो
रही है।“
वह यात्री बोला-“मेरी
लालटेन तो तुमसे भी छोटी है। इससे तो सिर्फ तीन कदम की ही रोशनी होती है।
तुम्हारी तो फिर भी चार कदम
दिखाती है। तुम एक कदम बढ़ाओगे तो चार कदम की रोशनी तुम्हे बराबर मिलती रहेगी कभी
कम नही होगी तुमारी मंजिल तक चार कदम रोशनी तुम्हारे आगे बनी रहेगी हिम्मत करो और
चलो, प्रकाश तुम्हारे आगे चलता रहेगा।
यही हम करते है आज का काम
कल पर टालते रहते है जब समय कम रह जाता है तब अपनी यात्रा शुरु करते है समय कम
यात्रा लम्बी घबराकर जाते है सारा समय सपने
देखते मे निकल जाता है। और जब भी उन्हे करने का प्रयास करते है निराश होकर बैठ
जाते है। क्योकि यात्रा लम्बी है रोशनी कम है। अगर हम दो कदम बढ़ाते है तो रोशनी
भी दो कदम आगे बढ़ती है। सपने देखने कोई बुरी बात नंही है। मगर सपने सोते हुये
देखे जाते है। सपना देखा बात खत्म, अब आप जग गये अपने कर्म पर ध्यान दो आपको अपने
वर्तमान पर ध्यान देना है अपना 100% वर्तमान पर लगा देना है, न की अपने सपनो पर,
जो सिर्फ सपने देखते रहते है वे हमेशा सोये रहते है। और जो सोया हुआ है वह जीवन मे
कुछ नंही कर सकता, सोचता रहेगा और सपने देखता रहेगा, मंजिल तक वही पहुचता है जो जग
गया।
यह जीवन बहुत खूबसूरत है। भविष्य के लिये वर्त्मान को खराब मत करो
अधिकांशेत भविष्य को सुखद बनाने के लिये अपने वर्तमान को दुखद बना देते है। जबकि
सच्चाई यह है भविष्य कभी आता ही नही आप वर्तमान मे रहते हो, आप अभी हो, इसी क्षण
हो, जो भी आपको देना है अभी अपना सर्वश्रेष्ठ देना है। अगर आप वर्तमान मे
सर्वश्रेष्ठ देना सिख गये तो भविष्य तो आपका अपने आप स्वर्णिम हो जायेगा, यह जीवन
वही जीते है जो आज मे जीते है।
रोहित ने 10th मै सपना देखा मुझे
डाक्टर बनना है उसने 11th मै PCB लिया, बात खत्म हो गयी
उसने सपने देखा, जग गया, अब उसका ध्यान 11th मै हो वल्कि
वर्तमान मे है PCB मै है जो चेप्टर वह आज पढ़ रहा है सिर्फ उसमे है उसे उसमे अपना
100% देना है। कल के बारे मे नही सोचना, मुझे डाक्टर बनना है, नही इसके वह सपने
नंही देखता, सपने देखने के लिये सोना पडता है मगर वह जागा हुआ है। जो जागते हुये
सपने देखते है वह जागे हुये नही है वह जागते हुये
सोये हुये के समान है जो भी करना है आज करना है अभी करना है वर्तमान ही
जीवन है।
मगर कहने मे ये जीतना आसान
लगता है, है नही, जगना प्रत्येक कार्य जगे हुये करना ये हम कैसे करे
ध्यान से करे, ध्यान
लगाये
मगर
कैसे ?
कहते सब है मगर ये कोई नही
बताता
ध्यान कैसे लगाये ? ध्यान लगाये बीना अपना 100%
नही दे सकते हम कोई भी कार्य कर रहे है विचार कोई और चल रहा है और इसी को जागते
हुए सोना कहा जाता है । जागना मतलब एक समय मे आप जो भी कार्य कर रहे है सिर्फ वही
कर रहे है उसको आपने 100% दे दिया आप खाना खा रहे है तो सिर्फ खाना खा रहे है पानी
पी रहे है तो सिर्फ पानी पी रहे है यह तभी सम्भव है जब आपके पास उस कार्य के अलावा
दुसरा कोई विचार न आये
यह सब आता है ध्यान करने से,
ध्यान का मतलब होता है अन्दर की सफाई
योगा कसरत आदि से हम सिर्फ
बाहरी शरीर को स्वस्थ कर पाते है मगर ध्यान करने से हम अन्दर से स्वस्थ होते है
अन्दर का कचरा साफ करते है जो फालतू के विचार हो वह निकलते है आप घर के अन्दर की
सफाई करते है तो कचरा उठाकर बहार फेकते है
एसे ही जब हम ध्यान करते है तो अन्दर का कचरा जो किसी भी रूप मे है बहार फेक देते
है सारे दिन न जाने कितने नकरात्मक सकरात्मक विचार हमारे मस्तिष्क मे आते है उनका
सफाई करना आवश्यक है फिर हम जो भी कार्य करते है उसको100% दे पाते है प्रत्येक काम
ध्यान से जगे हुए करते है ।
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