Saturday, 7 January 2017

ताली बजाये स्वस्थ रहिए

       
                                    Image result for ताली बजाये                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                             एक पुरानी कहावत है ताली बजाइये स्वस्थ रहिए । ताली बजाना एक स्वास्थयवर्धक प्रक्रिया है । आज भौतिक युग मे भले ही महत्व न दे मगर शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत अच्छा व्ययाम है हमारे पूर्वज प्राचीनकाल मे मन्दिर मे भजन कीर्तन करते हुए ताली बजाया करते थे वे इसका स्वास्थ्य के लिए वैज्ञानिक महत्व समझते थे । आज भी हम भजन कीर्तन करते हुए ताली बजाते है । मगर हम स्वास्थय के लिए इसका महत्व नही समझते ।
ताली आप जोर जोर से बजाये या आप जितनी तेज बजा सकते है बजाये इससे कोई नुकसान नही होने वाला, जोर जोर से ताली बजाने से एक प्रकार का व्यायाम हो जाता है जिससे शरीर की निष्क्रियता समाप्त होकर उसमे क्रियाशीलता की वृद्धि होती है ।
शरीर के किसी भी भाग मे रक्त संचार मे रुकावट हो तो ताली बजाने से वह रूकावट दूर हो जाती है इससे  शरीर के सभी अंग  सुचारु रुप से कार्य करने लगते है ।
रक्तवाहिकाए ठीक ढंग से कार्य करने लगती है और रक्त को शुद्धिकरण हेतु ह्रदय की और ले जाने लगती है रक्त शुद्ध होकर पूरे शरीर मे पहुँचता है । इससे ह्र्द्य रोग होने की सम्भावना क्षीण हो जाती है ।
फेफड़ों मे शुद्ध ओषजन की पर्याप्त मात्रा होने के कारण और अशुद्ध हवा का फेफड़ो से निष्कासन होने के कारण फेफड़ो की बीमारियॉ भी समाप्त हो जाती है ।
ताली बजाने से लाल रक्त कणो की वृद्धि होती है जिससे अनेक रोगो से स्वतः ही सही होने लगते है । और शरीर मे चुस्ती फुर्ती आ जाती है ।
ताली बजाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत बढ़ जाती है जिससे हम निरोगी होने लगते है ।
शरीर के अधिकांश्त एक्यूप्रेशर पाइन्ट पैरो के तलवे एवं हाथो की हथेली मे होते है जब हम ताली बजाते है तब एक्यूप्रेशर पाइन्ट पर अच्छा दबाव पड़ता है शुद्ध रक्त ह्रदय से पैरो तक पूरी क्षमता से दौड़ता है और पैरो के एक्यूप्रेशर केन्द्रो को भी शक्तिमान बना देता है जिससे हमारा शरीर निरोगी बना रहता है ।
शरीर को निरोगी रखने के लिए ताली बजाना कितना सरल साधन है ।
जोर जोर से ताली बजाए अपने शरीर को स्वस्थ्य बनाए ।

अहंकार

एक गांव में एक बूढ़ी औरत रहती थी। वह नाराज हो गई गांव के लोगों से। उसने कहा, तो भटकोगे तुम अंधेरे में सदा।
 उन्होंने पूछा, मतलब?
 उसने कहा कि मैं अपने मुर्गे को ले कर दूसरे गांव जाती हूं। न रहेगा मुर्गा, न देगा बांग, न निकलेगा सूरज! मरोगे अंधेरे में!
 देखा नहीं कि जब मेरा मुर्गा बांग देता है तो सूरज निकलता है?

वह बूढ़ी अपने मुर्गे को ले कर दूसरे गांव चली गई क्रोध में, और बड़ी प्रसन्न है, क्योंकि अब दूसरे गांव में सूरज निकलता है! 
वहां मुर्गा बांग देता है। वह बड़ी प्रसन्न है कि अब पहले गांव के लोग मरते होंगे अंधेरे में।

सूरज वहां भी निकलता है। मुर्गों के बांग देने से सूरज नहीं निकलता, सूरज के निकलने से मुर्गे बांग देते हैं। तुम्हारे कारण 
संसार नहीं चलता। तुम मालिक नहीं हो, तुम कर्ता नहीं हो। यह सब अहंकार, भ्रांतियां हैं।

भोगी का भी अहंकार है और योगी का भी अहंकार है। इन दोनों के जो पार है, उसने ही अध्यात्म का रस चखा—जो न योगी 
है न भोगी।
|| ओशो ||

हिटलर की शादी

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हिटलर अपने कन्धे पर हाथ किसी को भी नहीं छुआ सकता है. इसीलिए शादी भी नहीं की. कम से कम पत्नी को तो छुआना ही पड़ेगा. शादी से डरता रहा कि शादी की, तो पत्नी तो कम से कम कमरे में सोएगी. लेकिन भरोसा क्या है कि पत्नी रात में गरदन न दबा दे! हिटलर दिखता होगा बहुत बहादुर आदमी!
ये बहादुर आदमी सब दिखते हैं. ये सब बहादुरी बिलकुल ऊपरी है, भीतर बहुत डरे हुए आदमी हैं.
हिटलर किसी से ज़्यादा दोस्ती नहीं करता था. क्योंकि दोस्त के कारण, जो सुरक्षा है, जो व्यवस्था है, वो टूट जाती है. दोस्तों के पास बीच के फ़ासले टूट जाते हैं. हिटलर के कन्धे पर कोई हाथ नहीं रख सकता था. हिमलर या गोयबल्स भी नहीं. कन्धे पर हाथ कोई भी नहीं रख सकता है. एक फ़ासला चाहिए, एक दूरी चाहिए. कन्धे पर हाथ रखने वाला आदमी ख़तरनाक हो सकता है. गरदन पास ही है, कन्धे से बहुत दूर नहीं है.
एक औरत हिटलर को बहुत प्रेम करती रही. लेकिन भयभीत लोग कहीं प्रेम कर सकते हैं? हिटलर उसे टालता रहा, टालता रहा, टालता रहा. आप जानकर हैरान होंगे, मरने के दो दिन पहले, जब मौत पक्की हो गई, जब बर्लिन पर बम गिरने लगे, तो हिटलर जिस तलघर में छिपा हुआ था, उसके सामने दुश्मन की गोलियाँ गिरने लगीं, और दुश्मन के पैरों की आवाज़ बाहर सुनाई देने लगी, द्वार पर युद्ध होने लगा, और जब हिटलर को पक्का हो गया कि मौत निश्‍चित है, अब मरने से बचने का कोई उपाय नहीं है, तो उसने पहला काम ये किया कि एक मित्र को भेजा और कहा कि, “जाओ, आधी रात को उस औरत को ले आओ. कहीं कोई पादरी सोया-जगा मिल जाए, उसे उठा लाओ, शादी कर लूँ.” मित्रों ने कहा, “ये कोई समय है शादी करने का?” हिटलर ने कहा, “अब कोई भय नहीं है, अब कोई भी मेरे निकट हो सकता है, अब मौत बहुत निकट है. अब मौत ही क़रीब आ गई है, तब किसी को भी निकट लिया जा सकता है.”
दो घण्टे पहले हिटलर ने शादी की तलघर में! सिर्फ़ मरने के दो घण्टे पहले!
तो पुरोहित और सेक्रेटरी को बुलाया था. उनकी समझ के बाहर हो गया कि, “ये शादी किसलिए हो रही है? इसका प्रयोजन क्या है? हिटलर होश में नहीं है.” पुरोहित ने किसी तरह शादी करवा दी है. और दो घण्टे बाद उन्होंने ज़हर खाकर सुहागरात मना ली है और गोली मार ली है, दोनों ने! ये आदमी मरते वक़्त तक विवाह भी नहीं कर सका, क्योंकि दूसरे आदमी का साथ रहना, पास लेना ख़तरनाक हो सकता है.
दुनिया के जिन बड़े बहादुरों की कहानियाँ हम इतिहास में पढ़ते हैं, बड़ी झूठी हैं. अगर दुनिया के बहादुरों के भीतरी मन में उतरा जा सके तो वहाँ भयभीत आदमी मिलेगा.
ओशो
(संभोग से समाधि की ओर)

Friday, 6 January 2017

Radiating Love Meditation

                              Related image                                                                                                                                              
 Practice love. Sitting alone in your room, be loving. Radiate love. Fill the whole room with your love energy. 
Feel vibrating with a new frequency, feel swaying as if you are in the ocean of love. Create vibrations of love energy around you. And you will start feeling immediately that something is happening — something in your aura is changing, something around your body is changing; a warmth is arising around your body…
a warmth like deep orgasm. You are becoming more alive. Something like sleep is disappearing.
Something like awareness is arising. Sway into this ocean. Dance, sing, and let your whole room be filled with love.
In the beginning it feels very weird. When for the first time you can fill your room with love energy, your own energy, which goes on falling and rebouncing on you and makes you so happy, one starts feeling,
‘Am I hypnotising myself? Am I deluded? What is happening?’ Because you have always thought that love comes
from somebody else. A mother is needed to love you, a father, a brother, a husband, a wife, a child — but somebody.
Love that depends on somebody is a poor love. Love that is created within you, love that you create out of your
own being, is real energy. Then move anywhere with that ocean surrounding you and you will feel that everybody
who comes close to you is suddenly under a different kind of energy.
People will look at you with more open eyes. You will be passing them and they will feel that a breeze of some unknown energy has passed them; they will feel fresher. Hold somebody’s hand and his whole body will start throbbing. Just be close to somebody and that man will start feeling very happy for no reason at all.
You can watch it. Then you are becoming ready to share. Then find a lover, then find a right receptivity for you.
– OSHO, The Orange book 

जिसने नारी को समझा, शास्त्रो को समझा

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 स्त्री ~
जिस पुरुष के राज़ में स्त्री दुखी है,
उस पुरुष के घर में कभी ख़ुशी नहीं आ 
सकती।
जो स्त्री को नहीं समझ सकता वो 
वेद और उपनिषद भी नहीं समझ सकता ।।
ईश्वर का सब से सुन्दर शास्त्र नारी है,
जिस ने उसे पढ़ लिया,समझ लिया,
उसे फिर किसी शास्त्र की जरूरत नहीं है।
क्यों की नारी भावना और प्रेम भाव दोनों से भरी है।
कभी उस के तन को भूल कर उस की ममता रूपी प्रेम की सूरत को समझो तो स्वयं
ही जान जाओगे की तुम ने क्या पा लिया ।
तंत्र में लोग नारी की उपस्थिति पहले करते हैं
और ये जीवन भी तन्त्र से अलग नहीं।
नारी
तुम को सम्पूर्णता देती है,तुम्हारे पुरषार्थ को चमकाती है,तुम को पत्नी होकर प्रेमिका
होकर बहन होकर किसी भी रूप में जब तुम से जुड़ती है तो प्रेम ही देती है यदि वो तुम
पर अधिकार जताती है तो ये भी उस का प्रेम है वो माँ के रूप से तुम को बच्चे जैसा दुलार देती है और कोई माँ नहीं चाहती की उस का बेटा उस से दूर हो।
जरा ध्यान से समझें उस के हर भाव को,तुम पाओगे कि तुम इतना नहीं जितना वो तुम को प्रेम करती है ।
वस्तु न समझो,
हवस से न देखो,
कभी माँ की दृष्टि से देखो तो तुम,
स्वयं जान जाओगे की ईश्वर का
द्वार दूर नहीं,मुक्ति सम्पूर्णता में है ।
यदि तुम ने अपने अंदर की प्यास को ममता के रूप में बदल दिया तो तुम किसी योगी से कम नहीं ।।
|| ओशो ||
नारी सूत्र

Wednesday, 4 January 2017

love (Giving)

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*Giving* 
 Love is innocent when there is no motive in it. Love is innocent when it is nothing but a sharing of your energy. You have too much, so you share... you want to share.
And whosoever shares with you, you feel grateful to him or her, because you were like a cloud - too full of rainwater - and somebody helped you to unburden. Or you were like a flower, full of fragrance, and the wind came and unloaded you. Or you had a song to sing, and somebody listened attentively... so attentively that he allowed you space to sing it. So to whomsoever helps you to overflow in love, feel grateful.
Imbibe that spirit of sharing, let that become your very style of life: to be capable of giving without any idea of getting, to be capable of giving without any conditions attached to it, to be capable of giving just out of your abundance........😍
_*OSHO* 💚
The 99 Names of Nothingness, 🌷

प्रेम क्या है ओशो-ताओ उपनिषाद--(भाग--6) प्रवचन--108

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जब तुम किसी के प्रेम में उतर जाते हो--वह कोई भी हो, मित्र हो, मां हो, पति हो, पत्नी हो, प्रेयसी हो, प्रेमी हो, बच्चा हो, बेटा हो, तुम्हारी गाय हो, तुम्हारे बगीचे में खड़ा हुआ वृक्ष हो, तुम्हारे द्वार के पास पड़ी एक चट्टान हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, कोई भी हो--जहां भी प्रेम की रोशनी पड़ती है, उस प्रेम की रोशनी में दूसरी तरफ से प्रत्युत्तर आने शुरू हो जाते हैं। प्रेम की घड़ी में तुम अकेले नहीं रह जाते; कोई संगी है, कोई साथी है। और कोई तुम्हें इतना मूल्यवान समझता है कि तुम्हें अपना  जीवन दे दे; तुम किसी को इतना मूल्यवान समझते हो कि अपना जीवन दे दो। जरूर तुमने कुछ पा लिया जो जीवन से बड़ा है, जिसके सामने जीवन गंवाने योग्य हो जाता है। प्रेम का स्वर तुम्हारे जीवन में उतर आया।
ऐसा दूसरे की आंखों से घूम कर, दूसरे के दर्पण से घूम कर ही तुम्हें अपनी पहली खबर मिलती है कि मैं कौन हूं। अन्यथा तुम राह के किनारे पड़े कंकड़-पत्थर हो। प्रेम के माध्यम से गुजर कर ही पहली दफे तुम्हें अपने हीरे होने का पता चलता है। और जब ऐसी प्रतीति होने लगती है कि तुम मूल्यवान हो, तो यह बड़े राज की बात है कि जितना तुम्हें एहसास होता है तुम मूल्यवान हो, उतने ही मूल्यवान तुम होने भी लगते हो। क्योंकि अंततः तो तुम परमात्मा हो; अंततः तो तुम इस सारे जीवन का निचोड़ हो; अंततः तो तुम्हारी चेतना नवनीत है सारे अस्तित्व का। लेकिन प्रेम से ही तुम्हें पहली खबर मिलेगी कि तुम यहां यूं ही नहीं फेंक दिए गए हो। संयोगवशात तुम नहीं हो। कोई नियति तुमसे पूरी हो रही है। अस्तित्व की तुमसे कुछ मांग है। अस्तित्व ने तुमसे कुछ चाहा है। अस्तित्व ने तुम्हें कोई चुनौती दी है। अस्तित्व ने तुम्हें यहां बनाया है ताकि तुम कुछ पूरा कर सको।
-ओशो-ताओ उपनिषाद--(भाग--6) प्रवचन--108

Tuesday, 3 January 2017

सितारों के आगे जहां और भी हैं

                                               Image result for osho hindi quotes                                                                                                                  क्षण- क्षण जल रहे हो, मगर जलने की तुम्हारी आदत हो गई है. अब तुम जानते ही नही कि जीवन का कोई और ढंग भी हो सकता है. तुम तो मान कर ही बैठे गए कि बस यही जीवन की एक व्यवस्था है, यही जीवन का रंग है, यही एक रूप है.
जीवन इतने पर समाप्त नहीं है.
सितारों के आगे जहां और भी हैं
इश्क के अभी इम्तिहां और भी है
जो तुमने जाना वह तो कुछ भी नहीं है. ' सितारों के आगे जहां और भी है. ' अभी और जानने को शेष है. अभी जाना ही कुछ नहीं. अभी तो जानने का पहला कदम भी नहीं उठाया. अज्ञान में तो दग्ध होओगे ही.अज्ञान ही अग्नि है. नरक में तुमने जिस कड़ाहों की बात सुनी है कि कड़ाहे जल रहे हैं और आदमी कड़ाहों में भूने जा रहे हैं, इस भ्रांति में मत रहना कि ये कड़ाहे वस्तुत: कहीं हैं. यह तुम कैसे जिते हो, इसपर निर्भर है. तुमने अपने चारों तरफ कड़ाही बना ली है, इसमें भूने जा रहे हो.तुम जरा गौर से अपने जीवन को तो देखो !
मगर हम इतने होशियार है कि हमने नरक को भी बहुत दूर पाताल में रख दिया है. इस तरह यह भ्रांति बनी रहती है कि हम कोई नरक में नहीं हैं. थोड़ा दान - पुण्य कर लेंगे, गंगा में स्नान कर आएंगे, काबा की यात्रा करके हाजी हो जाएंगे, थोड़ा गरीबों को, भिखमंगो को, ब्राम्हणों को दान दे देंगे -- बस स्वर्ग अपना है. एक पिंजड़ा- पोल खुलवा देंगे, गौ- रक्षा करवा देगे, विधवा आश्रम बनवा देंगे, कि अनाथ बच्चों के लिए अनाथालय खुलवा देंगे. करोड़ों रूपये कमाओगे और दस - पांच हजार लगा कर एक हनुमान जी की मढ़िया बनवा दोगे. और सोचते हो स्वर्ग निश्चित !
तुमने स्वर्ग को भी दूर बना दिया है, वह भी होशियारी है. वह भी यहां स्वर्ग से बचने का उपाय.और तुमने नरक को दूर रख दिया है, ताकि तुम्हें यह न दिखाई पड़े कि तुम जहां हो वह नरक है.
मै चाहता हूं कि तुम दोने को पास ले आओ. नरक भी तुम्हारे वातावरण का नाम है और स्वर्ग भी. और फिर बात तुम्हारे हाथ में हैं. फिर बाजी तुम्हारे हाथ में है.
ओशो,
ज्यूं मछली बिन नीर

असली पूजा तो जीवन को जीना है

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असली पूजा तो जीवन को जीना है।बाकी सारी पूजा पाठ आराधना नकली है।

   
तुम्हारी सारी पूजा और आराधना नकली है क्योँ कि असली पूजा तो जीवन जीना है, वह पूजा या आराधना नहीँ है । जीना और क्षण प्रतिक्षण जीना -- और इस प्रमाणिक रूप से जीने मेँ ही कोई एक जानता है कि परमात्मा क्या है, क्योँ कि वह एक जानता है कि वह एक है कौन । 
तुम्हारा परमात्मा का विचार जीने से एक पलायन है । तुम जीने से और प्रेम से डरे हुए हो, तुम मृत्यु से भी भयभीत हो । तुम अपने मन मेँ एक बड़ी कामना सृजित करते हो, एक बहुत दूर की कामना -- जो कहीँ भविष्य मेँ पूरी होगी और तुम उसके साथ सम्मोहित हो जाते हो । तब तुम परमात्मा की पूजा करने लगते हो, और तुम एक नकली परमात्मा की पूजा कर रहे हो ।
असली पूजा छोटी-छोटी चीजोँ से बनती है, न कि शास्त्रोँ के अनुसार बताए क्रिया काण्डोँ से -- ये सारे क्रिया काण्ड तुममेँ यह विश्वास उत्पन्न करने के लिए केवल व्यूह रचनाएं या तरकीबेँ हैँ कि तुम कुछ विशिष्ट चीज अथवा कुछ पवित्र कार्य कर रहे हो । तुम और कुछ भी नहीँ, केवल पूरी तरह से मूर्ख बनाए जा रहे हो । 
तुम नकली परमात्मा सृजित करते हो -- तुम प्रतिमाएं, मूर्तियां और पूजाघर बनाते हो -- तुम वहां जाते हो और वहां मूर्खतापूर्ण चीज़े करते हो, जिन्हेँ तुम यज्ञ, प्रार्थना और इसी तरह की सामग्री कहकर पुकारते हो । तुम अपनी मूर्खता की सजावट कर सकते हो, तुम वेद - मंत्रोँ का पाठ कर सकते हो, तुम बाइबिल पढ़ सकते हो, तुम गिरजाघरों, मंदिरों आदि मेँ जाकर क्रियाकाण्ड कर सकते हो, तुम अग्नि के चारोँ ओर बैठकर गीत और भजन गा सकते हो, लेकिन तुम पूरी तरह से मूर्ख बन रहे हो, यह ज़रा भी धार्मिक होना है ही नहीँ ।
धर्म अर्थात "अनुभूति " धर्म अर्थात " प्रत्यक्ष व्यवहार" । एक सच्चा धार्मिक व्यक्ति दिन- प्रतिदिन, क्षण प्रति क्षण जीता है । वह फर्श पर पोँछा लगाकर उसे साफ करता है, और यही पूजा और आराधना है । एक पुत्र अपने बुजुर्ग माता - पिता की सेवा मेँ लीन है यही पूजा है । एक स्त्री पति के लिए भोजन बनाती है और यही उसकी पूजा है ।
प्रेम से स्नान करने मेँ ही पूजा हो जाती है । पूजा अथवा आराधना करना एक गुण है, उसका स्वयं कृत्य के साथ कुछ लेना - देना नहीँ है, यह तुम्हारी स्थिति और भाव मुद्रा है, जो तुम उस कृत्य मेँ लाते हो ।
यदि तुम किसी पुरूष को प्रेम करती हो और उसके लिए भोजन तैयार करती हो, तो यही तुम्हारी पूजा और आराधना है क्योँकि वह पुरूष ही दिव्य है । प्रेम प्रत्येक व्यक्ति को दिव्य बना देता है, प्रेम दिव्यता के रहस्य को प्रकट करता है । तब वह केवल तुम्हारा पति ही नहीँ रह जाता, वह पति के रूप मेँ तुम्हारा परमात्मा होता है ।
अथवा वह केवल तुम्हारी पत्नी ही नहीँ होती, वह स्त्री के रूप मेँ अंतिम रूप से तुम्हारा परमात्मा होती है, और हमेशा परमात्मा ही बनी रहती है । तुम्हारे बच्चे के रूप मेँ, विशिष्ट रूप मेँ तुम्हारे पास परमात्मा ही आता है 
उसे पहचानो, समझो, यही तुम्हारी पूजा और आराधना होगी । तुम अपने बच्चोँ के साथ केवल खेल रहे हो, और यही पूजा है -- यह उससे कहीँ अधिक महत्वपूर्ण है, जो नकली पूजा तुम मंदिरो मेँ जाकर करते हो ।
तुम्हेँ एक सच्चा और प्रमाणिक जीवन, उत्सव - आनंद के साथ , समग्रता के साथ और सत्यनिष्ठा के साथ जीना है, और तब तुम परमात्मा के बारे मेँ सभी कुछ भूल सकते हो -- क्योँकि प्रत्येक क्षण तुम उससे मिल रहे होगे, प्रत्येक क्षण तुम उससे होकर गुज़र रहे होगे । तब प्रत्येक चीज़ केवल परमात्मा की ही अभिव्यक्ति है । प्रत्येक चीज़ की पहली और पूर्व शर्त परमात्मा ही है -- बिना उसके कुछ भी अस्तित्व मेँ नहीँ हो सकता । 
इसलिए केवल वही विद्यमान है, केवल वही अस्तित्व मेँ है, और शेष सभी कुछ उसी का एक रूप है.!
*ओशो*
*सहज जीवन!*

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· . प्रेम आत्मा का भोजन है।

     ·    ·  ....... प्रेम आत्मा का भोजन है। प्रेम आत्मा में छिपी परमात्मा की ऊर्जा है। प्रेम आत्मा में निहित परमात्मा तक पहुंचने का मार्ग ...