Thursday, 7 December 2017

osho quotes in hindi जीवन को बदलने वाले क्रान्तिकारी विचार

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हर आदमी अपनी संपत्ति की सुरक्षा के लिए डरा हुआ है कि संपत्ति कहीं छूट न जाए । जिस यश को आप समझे हुए हैं मेरा है, आप बहुत गहरे में, प्रत्येक व्यक्ति जानता है, यश मेरा नहीं, क्षण में छूट सकता है । किसी का दिया हुआ है, बिलकुल उधार है, अभी छीना जा सकता है ।

भय को देखें और समझें कि वह क्यों है ? बिना उसे समझे भय-मुक्ति के उपाय की कोशिश मत करें । और मेरा कहना है, जो समझ लेता है, उसे उपाय करने की कोई जरुरत नहीं रह जाती । क्योंकि जिसने समझ लिया कि भय क्यों है, उसका भय गया । भय को खोजते ही से भय चला जाएगा ।

ये सिकंदर और नेपोलियन और हिटलर कोई बहादुर आदमी मत समझना, ये सब भयभीत लोग हैं । असल में ये दूसरे को मार कर अपने को यह विश्वास दिलाना चाहते हैं कि हम इतने लोगों को मर सकते हैं तो हमको कौन मार सकेगा ! कुल और कोई बात नहीं ।


मिटना हमें कंपाता है । दूर लगती हो म्रृत्यु, फिर भी पास है । सत्तर साल बाद, क्या फर्क पड़ता है ? म्रृत्यु सदा आपके निकट खड़ी है । म्रृत्यु से ज्यादा पड़ोस में और कोई भी नहीं । उस म्रृत्यु की प्रतीति कंपाती है।


तुम तिनके का सहारा खोज रहे हो और मैं जानता हूं कि तिनके से कोई बच नहीं सकता । शायद तिनके के कारण ही तुम डूब जाओ । क्योंकि जिसने तिनके को नाव समझ लिया, वह फिर नाव की खोज बंद कर देगा । और जिसने झूठे किनारे को देख लिया, उसका असली किनारा फिर बहुत दूर है ।

तुम आकाश को देखो, कि सागर को, कि सरिता को, कि जो भी तुम्हारे पास आए या कोई भी तुम्हारे पास न आए, तुम अकेले बैठे हो, तो भी तुम्हारे चारों तरफ प्रेम झरता है । जैसे एक दीया अकेले में जलता हो, तो भी किरणें बरसती रहती हैं । प्रेम तब तुम्हारा स्वभाव है ।
कौन कंपता है ? शरीर तो कंप नहीं सकता, क्योंकि शरीर पदार्थ है । आत्मा कंप नहीं सकती, क्योंकि आत्मा अमृत है । फिर कौन कंपता है ? यह शरीर और आत्मा के बीच में वह जो तादात्म्य का सेतु है, वह जो ब्रिज है, वह कंपता उसका है, सारा भय उसका है ।

तुम भय से डरो मत । क्योंकि तुम भय से जितने भागोगे, डरोगे, उतनी ही तुम्हारे जीवन की तपश्चर्या और अग्नि क्षीण हो जाएगी । क्योंकि भय तो धौंकनी है । उससे तो अग्नि प्रज्वलित होती है । जहां-जहां भय हो, वहीं चुनौती को स्वीकार कर के प्रवेश करो । उसी से तो योद्धा पैदा होता है ।

भय से जागो ।     जब सारा शरीर कंपता हो तब भी तुम्हारी चेतना न कंपे, चेतना अकंप रहे, तो भय धौंकनी हो गयी ।

जो भय का उपयोग करना सीख लेता है, नानक कहते हैं, उसके लिए भय धौंकनी हो जाता है । और हर भय की अवस्था तपस्या की अग्नि को प्रज्वलित करती है ।

ध्यान की कला भी चोरी जैसी है । वहां इतना ही होश चाहिए । बुद्धि अलग हो जाए, सजगता हो जाए । जहां भय होगा, वहां सजगता हो सकती है । जहां खतरा होता है, वहां तुम जाग जाते हो । जहां खतरा होता है, वहां विचार अपने-आप बंद हो जाते हैं । इसलिए नानक कहते हैं, ‘भय धौंकनी है । ‘

ऐसी कोई भी चीज जीवन में नहीं है जिसका उपयोग न हो सके । कामवासना ब्रहाचर्य बन जाती है । क्रोध करुणा हो जाता है । भय प्रार्थना बन जाता है । दुख तपश्चर्या हो जाती है । कलाकार चाहिए, कुशलता चाहिए । और नहीं तो जीवन जो महल बन सकता था, वही तुम्हारे लिए काराग्रह बन जाता है । तुम पर सब निर्भर है ।
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अपने भीतर जो भी छिपा है, उसे जानने में लगें । और देखें कि जैसे-जैसे आप जानते जाएंगे, वैसे-वैसे आप पाएंगे कि वे ही शक्तियां जो आपके लिए घातक सिद्ध होती थीं, आपके लिए साधक हो गई हैं । वे ही जो आपके लिए मार्ग के पत्थर थे, सीढ़ियां बन गई हैं ।
जो व्यक्ति भय के प्रति सचेत हो जाएगा, भय का जो भी जीवन संरक्षक तत्व है वह शेष रह जाएगा और बाकी सब भय विलीन हो जाएंगे । जो व्यक्ति क्रोध के प्रति सचेत हो जाएगा, क्रोध में जो भी जीवन संरक्षक है वह शेष रह जाएगा और जो जीवन संरक्षक नहीं है वह विलीन हो जाएगा । और तब क्रोध ही तेज बन जाता है । जिस व्यक्ति में क्रोध ही नहीं, उसमें तेज ही नहीं होता ।

आपको पता नहीं है कि ईश्वर है, तो अपने बच्चे को मत सिखाएं कि ईश्वर है । बच्चे को कहें कि मैं भी खोज रहा हूं, लेकिन अब तक मुझे कुछ पता नहीं चला । मेरे प्राण भी प्यासे हैं कि मैं जानूं कि यह क्या है जीवन ? उसके लिए चाहिए साहस, उसके लिए चाहिए अभय, उसके लिए चाहिए अदम्य जिज्ञासा

छोटा सा बच्चा है, आप क्या कर रहे हैं उसके साथ ? पूरी मनुष्य-जाति के साथ यह पाप हुआ है, कि धर्म के नाम पर भय सिखाया गया है_ नरक का भय, पाप का भय; और सिखाया गया है प्रलोभन_ स्वर्ग का प्रलोभन और भय, दोनों संगी-साथी हैं, दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं ।

यह सारी दुनिया में_ भगवान को भय करो, भगवान से डरो_ इसका यह परिणाम हुआ है कि सारी दुनिया आज भगवान के खिलाफ खड़ी हो गई है । यह उस घ्रणा का इकट्ठा विस्फोट है जो हजारों साल से मनुष्य के मन में इकट्ठी होती रही है । क्योंकि जिसको हम भय करते हैं उसके प्रति घ्रणा पैदा हो जाती है ।

भय किस बात का ? तुम खो क्या सकते हो ? कभी तुम सोचते ही नहीं कि खोने को कुछ भी नहीं है, फिर भी तुम इतने भयभीत हो रहे हो ! तुम्हारी हालत उस भिखारी जैसी है, जो रात भर जागता है कि कहीं कोई चोरी न कर ले । और है उसके पास कुछ भी नहीं, जिसकी चोरी हो सके ।

अगर तुम भय के कारण धार्मिक हो, अगर तुम लोभ के कारण धार्मिक हो, तो तुम्हारी धार्मिकता वास्तवकि नहीं है

जिसने सत्य को देख लिया, वह अपनी शून्यता को भी देख लेगा कि मेरे पास कुछ भी नहीं है । न चोरि हो सकती है, न छीन-झपट हो सकता है, न मैं लूटा जा सकता हूं । मेरे पास कुछ नहीं है । मेरा दिवाला निकलने का उपाय नहीं है । मैं व्यर्थ ही भयभीत हूं ।

धार्मिक व्यक्ति के लिए साधन ही साध्य हो जाता है, यात्रा ही मंजिल हो जाती है । चलना ही इतना सुखद है कि पहुंचने की चिंता कौन करता है ? यह रास्ता ही इतना प्यारा है कि मंजिल के सपने कौन देखता है ? और तब ऐसे व्यक्ति के लिए यही जगह मंजिल हो गई ।

जिससे हम प्रेम करते हैं, उसका भय खो जाता है; उससे रत्ती भर भय नहीं होता । उसके सामने हम नग्न हो सकते हैं, उसके सामने हम अपने ह्रदय को पूरा खोल सकते हैं, उसके सामने कोई चीज गुप्त रखने की जरुरत नहीं है । वह हमारा इतना अपना है कि अब छिपाने का कोई सवाल नहीं है ।

हमने डरा कर लोगों को अच्छा बनाने की कोशिश की है । और डर से बड़ी कोई बुराई नहीं है । यह तो ऐसे ही है जैसे कोई जहर से लोगों को जिलाने की कोशिश करे । भय सबसे बड़ा पाप है । और उसको ही हमने आधार बनाया है जीवन के सारे पुण्यों भी पाप जैसे हो गए हैं ।

तुम डरते हो जीवन के खोने से, क्योंकि जीवन से बड़ा तुम्हारे हाथ में कुछ भी नहीं है ।

जितनी ही प्रेम में गति होती है उतना ही अभय उपलब्ध होता है; प्रेम से भरा हुआ व्यक्ति डरता नहीं; कोई कारण डरने का न रहा । प्रेम म्रृत्यु से भी नहीं डरा सकते । तुम कहो, हम मार डालेंगे ! तो प्रेम करने को तैयार हो जाएगा, लेकिन डरेगा नहीं ।

और ध्यान रहे, पुरस्कार भय का ही रुप है । एक आदमी को हम कहते हैं, गलती करोगे तो नरक में सड़ोगे । यह भी एक डर है । और यह भी एक डर है कि अगर ठीक न किया तो स्वर्ग चूक जाएगा । यह भी एक डर है । स्वर्ग है, नरक है; पाप है, पुण्य है; और सब आदमियों को डरा दिया है ।
भय _ बहुत तरह के भय_ जो मानसिक हैं, हमें चारों तरफ से दबाए हुए हैं । उन्हें हमें पहचान लेना पड़ेगा ।

यह आदमी क्या कर रहा है । घुटने पर टिका हुआ आदमी, पैरों में गिरा हुआ आदमी, छाती पीटता हुआ आदमी, कराहता – चिल्लाता हुआ आदमी भय का सबूत है । लेकिन भय का नाम प्रार्थना है । और किसी शब्दकोश में नहीं लिखा हुआ है कि भय का मतलब प्रार्थना है, प्रार्थना का मतलब भय है ।

जब हम आनंद में होते हैं तो हम कभी नहीं पूछते, कभी नहीं पूछते कि जीवन क्यों है । लेकिन जब हम दुख में होते हैं, तो हम पूछना शुरु कर देते हैं कि जीवन क्यों है ? जीवन का अर्थ क्या है ? जब आप आनंद में होते हैं तब आप यह नहीं पूछते कि आनंद का प्रयोजन क्या है । लेकिन जब दुख में होते हैं तब जरुर पूछते हैं कि दुख का क्या प्रयोजन है ?

लेकिन डर से क्या अच्छा हुआ ? चोर कम हुए ? बेईमानी कम हुई ? काराग्रह रोज बढ़ते जाते हैं, चोर रोज बढ़ते जाते हैं । कोई कमी नहीं हुई, अदालतों ने कोई फर्क नहीं लाया, पुलिस से कोई अंतर नहीं पड़ता, कानून कुछ डरा नहीं पाता । भगवान थक गया, स्वर्ग-नरक सब थक गए; आदमी रोज बिगड़ता ही चला गया ।

ऐसा नहीं है कि हम आफिसरों को और सरकारी मिनिस्टरों को ही रिश्वत दे रहे हैं । बाप बेटे को रिश्वत दे रहा है, बेटे बाप को रिश्वत दे रहे हैं । चौबीस घंटे रिश्वत चल रही है । बाप घर आता है, चाकलेट खरीद ला रहा है । वह रिश्वत है । लेकिन वह देख नहीं रहा, वह कहेगा यह कि मैं अपने बेटे को बहुत प्रेम करता हूं ।

किसी और को धोखा देने का कोई अर्थ नहीं है, न कोई बड़ी हानि है । अपने को ही धोखा देना सबसे बड़ी हानि है । आदमी अपने को कुछ और समझे जाता है ।

जितना ज्यादा मैं अपने को शरीर से जोड़ लेता हूं, उतना ही शरीर को विश्राम नहीं मिलता । शरीर को विश्राम तभी मिल सकता है जब शरीर सिर्फ मेरा एक उपकरण है, उपयोग करता हूं, शांत छोड़ देता हूं । रात आप सो गये, शरीर आपका उपकरण नहीं है,

हम शरीर से बुरी तरह जुड़े हैं कि हम यह सोच ही नहीं सकते कि शरीर के बिना करवट बदलें । हम कैसे करवट बदलेंगे ? शरीर को कोई कठिनाई नहीं है, कठिनाई हमको है । जब तक शरीर करवट न ले, हम कैसे करवट लेंगे ।

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, आप में विपरीत लक्षण प्रकट होने लगते हैं । जैसे स्त्रियां पचास के करीब पहुंचकर पुरुष जैसी होने लगती हैं । अनेक स्त्रियों को मूंछ के बाल, दाढ़ी के बाल उगने शुरु हो जाते हैं । उनकी आवाज पुरुषों जैसी भर्राई हुई हो जाती है । उनके गुण पुरुषों जैसे हो जाते हैं ।
अभय भय के विपरीत नहीं है, अभय भय का अभाव है । निर्भयता भय के विपरीत है । निर्भयता भय का दूसरा अति छोर है ।

पुरुष में जो बेचैनी है, उसी के कारण उसने इतने बड़े साम्राज्य बनाए । पुरुष में जो बेचैनी है, उसी के कारण उसने विज्ञान निर्मित किया, इतनी खोजें कीं । पुरुष में बेचैनी है, इसलिए वह एवरेस्ट पर चढ़ा और चांद पर पहुंचा । स्त्री में वह बेचैनी नहीं है, इसलिए स्त्रियों ने कोई खोज नहीं की, कोई आविष्कार नहीं किया ।

स्त्री संतुलित है, उसके दोनों पलड़े बराबर हैं, चौबीस-चौबीस । और पुरुष में एक बेचैनी है, उसका एक पलड़ा थोड़ा नीचे झुका है, एक थोड़ा ऊपर उठा है । इसलिए अगर आप, छोटी बच्ची भी हो और छोटा लड़का हो, दोनों को देखें, तो लड़के में आपको बेचैनी दिखाई पड़ेगी । लड़की शांत दिखाई पड़ेगी ।

नाभि का केंद्र फियर और भय का केंद्र है । जैसे जननेंद्रिय का केंद्र सेक्स का केंद्र है, वैसे नाभि का केंद्र भय का केंद्र है । यह शायद आपको खयाल में आया होगा कि जब भी आप भयभीत होंगे, नाभि डांवाडोल हो जाएगी और परेशान हो जाएगी ।

जो आदमी भी जीवन में बहुत भयभीत हो उसे ध्यान के साथ नाभि के केन्द्र पर थोड़े प्रयोग करने जरुरी होते हैं ।

नाभि भय का केंद्र है । जिन लोगों का भय का केंद्र बहुत सक्रिय है, उनको थोड़ा नाभि पर ध्यान देना अत्यंत जरुरी है । इसलिए बहुत-बहुत प्राचीन समय से, जिस लोगों को युध्द की शिक्षा दी जाती, उनके नाभि केंद्र को ही सबल करने की कोशिश की जाती । भय वहीं पकड़ता है ।

जिसने जीवन को भरपूर जीया हो वही जीवन और म्रत्यु के चक्र को रोक सकता है ।
जाँन दि बैपटिस्ट शुध्द आग थे, आग ! उनका सिर काट दिया गया था । रानी ने आदेश दिया था कि उनका सिर एक प्लेट में रख कर उसे भेंट किया जाए, तभी उसे लगेगा कि देश चैन से रह पायेगा । और यही किया गया ।

ध्यान की जो शक्ति जगती है, उसको भी आप बाहर ले जाएंगे, वह तत्क्षण बाहर चली जाएगी । अगर आपको आंखें खुली रखने का मौका दिया जाए तो वह ध्यान की जो शक्ति जगी है, आपकी आंखों से तत्क्षण बाहर घूमने लगेगी । आप किसी व्यर्थ चीज पर उसको नष्ट कर देंगे ।

ओशो द्वारा दी गयी ध्यान-विधियों में सक्रिय ध्यान के चौथे चरण में हमें पूर्णत: स्थिर हो जाना होता है । इस संबंध में ओशो का सुझाव यहां प्रस्तुत है ।









Monday, 27 November 2017

How to study smart (in hindi)

                                


Exam शुरु होते ही सभी छात्रो पर प्रेशर बढ़ जाता है। कि अब पढ़ाई करनी है । स्कूल टीचर भी बोलते है, अब समय कम है जम कर पढ़ाई करे । मगर कैसे पढ़े ? कोर्स ज्यादा, समय कम दिखाई देता है। अब एसा क्या करे Relax होकर Study कर सके, कुछ बच्चे Topper होते है। अधिकांशतः  Average होते है जो Average होते है। उन पर ज्यादा प्रेशर रहता है। जितना वह कर सकते थे वह उतना भी नही कर पाते.


 आधा समय सपने देखने मे निकल जाता है। आधा उसे कैसे पूरा करने मे, 


सब बच्चो मे क्षमता होती है मै यहा मार्कस की बात नही कर रहा हू । मै बात कर रहा हू वर्तमान मे आप 100% तो दे ही सकते हो। आपने अगर अपना 100% दे दिया बाकी सब परमात्मा पर छोड दो बस आज मै अपना 100% दूगा चाहे कुछ भी हो जाय।


केवल सोचने से कुछ नही होता है । Study की Planing करनी होती है। जितने भी बड़े Businessman है Company के ceo है. वे अपनी Daily Planing करते है । आज उन्हे क्या करना है ?


सबसे पहले अपना Study का Time निश्चित करे आपको सुबह से पता होता है आपकी school की, Tuition की क्या Timing है। उसके अनुसार आप अपना Study का समय निश्चित करे। आपने आपना 4घंटे का  समय निश्चित किया तो आप 40-40मिनट के ही सेशन करे । 40मिनट के बाद 10मिनट का Relax करे उस 10मिनट मे आप कोई म्यूजिक सून सकते है। आँखे बन्द करके कोई मेडिटेशन कर सकते है। कुछ भी एसा करे जिससे आपका माइन्ड Relax हो।  
                     

मगर ज्यादातर करते क्या है ? Facebook पर बैठ जायेगे Whats app पर Chat शुरु कर देते है। t.v. देखने बैठ जाते है। Youtube पर Videos देखने लगते है। पता ही नही चलता कब 10मिनट हो गये फिर अपने आपसे ही कहते है। 10मिनट ओर, एसा करते करते 1घन्टे हो जाता है। माइन्ड को Relax  के लिये गये थे मगर यहा माइन्ड मे आपने ओर कचरा भर दिया माइन्ड थक गया अब आपका लेटने का मन कर रहा है। आप लेट गये ओर सो गये सारा Study का समय खत्म हो गया।



अगर आपको 10मिनट रिलेक्स करना है । तो 10 मिनट ही रिलेक्स करना है। उसमे आप 10मिनट का मेडिटेशन करे तो बेहतर  है आप मोबाईल को टूल की तरह युज कर सकते है उसमे 10मिनट का timmer लगा ले मेडिटेशन के  बाद फिर से 40मिनट के लिये Study करने के लिये बेठे। हमारा माइंड 40 या 50मिनट के बाद  किसी भी चीज के ग्रहण करने की क्षमता धीरे-धीरे कम होती चली जाती है।


Study Goal                                                                                           आपको यह पता होना चाहिये। आपको पढ़ना क्या है ? अधिकांंशतः एसा होता है जब हम Study करने बैठते है । हमे पता नही होता क्या पढ़े ?


Maths लेकर बैठे

अरे Chemistry कर लेते है।

अभी Chemistry खोलकर बैठे ही थे

अरे इसे छोडो Physics कर लेते है। Physics लेकर बैठे कोई सा Chapter खोला

 अरे ये नही ये पढ़ते है।                                                                                                                                                                                 

 अरे मुझे तो Math करना है। फिर Math लेकर बैठ गये सारा समय इसमे ही निकाल दिया कुछ देर Math की फिर मोबाईल लेकर बैठ गये फिर सो गये। हमारा Goal निश्चित होना चाहिये हमे कौन-कौन से Subject पढ़ने है। कौनसा Chapter पढ़ना है


How To Study- इसके लिये आप अपने दोस्तो से, Tuiter से स्कूल मे टीचर से पूछ सकते है।
                       

सबसे महत्वपूर्ण है Revise Smartly

 कोई आप से पूछे पांच दिन पहले क्या खाया था ? शायद आपको याद नही होगा। मगर आपका 6 महीने 9 महीने या 1 साल पहले  Birthday मनाया गया होगा। उसमे आपने जो भी खाया वह आपको याद है । क्योंकि उसका जिक्र birthday से कई दिन पहले से शुरु हो जाता है। कि उस दिन क्या बनेगा, birthday के बाद भी कई दिन तक चर्चा मे रहता है। खाना कैसा बना है यह चीज बहुत टेस्टी थी यह अच्छी बनी थी। इस लिये वह आपके माइन्ड मे सैट है।
4घंटे आपने Study को दिया उसके बाद आप का 1घंटा ओर रखना होता है वह है Revise के लिये


चार घंटे  Study की, उस 1 घंटे मे उसका Revise कीजिये।

सबसे महत्वपूर्ण है जब आप Study कर रहे हो तब आपके मांइड मे कुछ ओर विचार नही आना चाहिये जो भी आप Subject Study कर रहे हो उसी पर Focus होना चाहिये तभी आप अपना 100% दे सकते हो।


एक ओर समस्या जो मुझे लगता है । वह है नीद की अगर आप सुबह चार बजे उठ जाते है आप सात दस बजे सोते है। आपकी  नीद हुयी 6घंटे की आप दिन भर सोचते रहे मै आज 4बजे उठ गया था। तो आपका मन बार बार सोने के लिये कहेगा। आप ने नीद 6 घंटे की ली या 8 की या 5 की ली उस बारे मे सोचना ही मत, जब आप नींद के बारे मे सोचते हो तभी आप को थकान महसूस होती है। और आप सोने को मजबूर हो जाते हो। आप कितने बजे उठे इस बारे मे मत सोचो।

आपका भविष्य उज्वल बनता है वर्तमान मे 100% देने से, न कि भविष्य के सपने देखने से ।



Saturday, 25 November 2017

सपने नही कर्म से सफलता मिलती है

                                


एक पहाड़ी पर प्रसिद्ध देवी का मन्दिर था लगभग 15 किलोमिटर की पैदल चढ़ाई थी। नीचे एक दुकान थी । जहाँ  पूजा-पाठ का समान व यात्रीयो के आवश्यकता की वस्तुये मिलती था। जो उस दुकान का मालिक था कभी मन्दिर नही गया था। वह यात्रियों  से ही वहा की सुन्दरता की तारीफ सुनता था। और सोचता था, हमारे तो यह मन्दिर पास ही है कभी भी चले जायेगे ।

 धीरे-धीरे समय निकलता गया।


   उसे  बुढ़ापा आ गया उसने सोचा अब तो जीवन का अन्त नजदीक है अब तो मन्दिर की यात्रा की जाये। उसने सब तैयारी की । रात्रि मे यात्रा करते थे जिससे सुबह आरती के समय दर्शन हो जाये उसने एक लालटेन ली, और अपनी यात्रा शुरु की, अभी वह कुछ ही दुर चला था। उसके मन मे विचार आया उसकी लालटेन की रोशनी सिर्फ चार कदम तक ही साथ दे रही थी और मुझे 15किलोमिटर की लम्बी यात्रा तय करनी है । इस लालटेन के भरोसे यह कैसे तय होगी वह वही बैठ गया और सोचने लगा



जैसे जैसे उम्र बढ़ती है। होसला भी कम होता चला जाता है। वह निराश होकर बैठा हुआ सोच रहा था तभी एक यात्री उसके पास आकर उससे बोला- “कैसे बैठे हो”



वह बोला – ‘मै सोच रहा था 15किलोमिटर का रस्ता कैसे तय होगा ? मेरी लालटेन से तो सिर्फ चार कदम की रोशनी हो रही है।“



वह यात्री बोला-“मेरी लालटेन तो तुमसे भी छोटी है। इससे तो सिर्फ तीन कदम की ही रोशनी होती  है।



तुम्हारी तो फिर भी चार कदम दिखाती है। तुम एक कदम बढ़ाओगे तो चार कदम की रोशनी तुम्हे बराबर मिलती रहेगी कभी कम नही होगी तुमारी मंजिल तक चार कदम रोशनी तुम्हारे आगे बनी रहेगी हिम्मत करो और चलो, प्रकाश तुम्हारे आगे चलता रहेगा।



यही हम करते है आज का काम कल पर टालते रहते है जब समय कम रह जाता है तब अपनी यात्रा शुरु करते है समय कम यात्रा लम्बी घबराकर जाते है   सारा समय सपने देखते मे निकल जाता है। और जब भी उन्हे करने का प्रयास करते है निराश होकर बैठ जाते है। क्योकि यात्रा लम्बी है रोशनी कम है। अगर हम दो कदम बढ़ाते है तो रोशनी भी दो कदम आगे बढ़ती है। सपने देखने कोई बुरी बात नंही है। मगर सपने सोते हुये देखे जाते है। सपना देखा बात खत्म, अब आप जग गये अपने कर्म पर ध्यान दो आपको अपने वर्तमान पर ध्यान देना है अपना 100% वर्तमान पर लगा देना है, न की अपने सपनो पर, जो सिर्फ सपने देखते रहते है वे हमेशा सोये रहते है। और जो सोया हुआ है वह जीवन मे कुछ नंही कर सकता, सोचता रहेगा और सपने देखता रहेगा, मंजिल तक वही पहुचता है जो जग गया।



यह जीवन बहुत खूबसूरत  है। भविष्य के लिये वर्त्मान को खराब मत करो अधिकांशेत भविष्य को सुखद बनाने के लिये अपने वर्तमान को दुखद बना देते है। जबकि सच्चाई यह है भविष्य कभी आता ही नही आप वर्तमान मे रहते हो, आप अभी हो, इसी क्षण हो, जो भी आपको देना है अभी अपना सर्वश्रेष्ठ देना है। अगर आप वर्तमान मे सर्वश्रेष्ठ देना सिख गये तो भविष्य तो आपका अपने आप स्वर्णिम हो जायेगा, यह जीवन वही जीते है जो आज मे जीते है।



 रोहित ने 10th  मै सपना देखा मुझे डाक्टर बनना है उसने 11th  मै PCB लिया, बात खत्म हो गयी उसने सपने देखा, जग गया, अब उसका ध्यान 11th  मै हो वल्कि वर्तमान मे है PCB मै है जो चेप्टर वह आज पढ़ रहा है सिर्फ उसमे है उसे उसमे अपना 100% देना है। कल के बारे मे नही सोचना, मुझे डाक्टर बनना है, नही  इसके वह सपने नंही देखता, सपने देखने के लिये सोना पडता है मगर वह जागा हुआ है। जो जागते हुये सपने देखते है वह जागे हुये नही है वह जागते हुये  सोये हुये के समान है जो भी करना है आज करना है अभी करना है वर्तमान ही जीवन है।



मगर कहने मे ये जीतना आसान लगता है, है नही, जगना प्रत्येक कार्य जगे हुये करना ये हम कैसे करे
ध्यान  से  करे,  ध्यान  लगाये
 मगर  कैसे ?
कहते सब है मगर ये कोई नही बताता

 ध्यान कैसे लगाये ? ध्यान लगाये बीना अपना 100% नही दे सकते हम कोई भी कार्य कर रहे है विचार कोई और चल रहा है और इसी को जागते हुए सोना कहा जाता है । जागना मतलब एक समय मे आप जो भी कार्य कर रहे है सिर्फ वही कर रहे है उसको आपने 100% दे दिया आप खाना खा रहे है तो सिर्फ खाना खा रहे है पानी पी रहे है तो सिर्फ पानी पी रहे है यह तभी सम्भव है जब आपके पास उस कार्य के अलावा दुसरा कोई विचार न आये
यह सब आता है ध्यान करने से, ध्यान का मतलब होता है अन्दर की सफाई




योगा कसरत आदि से हम सिर्फ बाहरी शरीर को स्वस्थ कर पाते है मगर ध्यान करने से हम अन्दर से स्वस्थ होते है अन्दर का कचरा साफ करते है जो फालतू के विचार हो वह निकलते है आप घर के अन्दर की सफाई करते है तो  कचरा उठाकर बहार फेकते है एसे ही जब हम ध्यान करते है तो अन्दर का कचरा जो किसी भी रूप मे है बहार फेक देते है सारे दिन न जाने कितने नकरात्मक सकरात्मक विचार हमारे मस्तिष्क मे आते है उनका सफाई करना आवश्यक है फिर हम जो भी कार्य करते है उसको100% दे पाते है प्रत्येक काम ध्यान से जगे हुए करते है ।  




Saturday, 5 August 2017

असफलता ही सफलता की सीढ़ी है।

                       

   
शेर हमला करने से पहले अपने कदम पीछे हटाता है। जब कोई  बिल्डिंग आप देखते है चाहे वह दस मंजिला हो, बीस हो, पचास हो या एक मंजिला ही क्यो न हो, शुरुआत हमेशा जमीन से नीचे की ओर से होती है जमीन से नीचे जाए बीना आप एक मंजिला इमारत भी खड़ी नही कर सकते जितनी मजबूती से नीचे का कार्य होगा उतनी ही ऊपर की इमारत मजबूत होगी
 अगर डाक्टर बनना हो तो कम से कम पाँच साल लगते है इंजीनियर बनना हो तो चार साल लगते है
हम जब भी कोई काम शुरू करते है चाहे वह व्यापार हो अभिनय का क्षेत्र हो खिलाड़ी हो या कोई भी क्षेत्र हो, शुरुआत मे सफलता नही मिलती पहले नीचे की ओर, वरन असफलता झेलनी पड़ती है जितने भी सफल व्यक्ति है सब शुरुआत मे असफल हुए, आप किसी भी सफल व्यक्ति या महापुरुष का इतिहास उठाकर देख सकते हो ।
 शुरुआत मे सब नीचे की ओर गये फिर इमारत बननी शुरु हुयी ।
इसको आप प्रकृति का नियम भी कह सकते हो ।
शुरुआत मे नीचे की ओर जाते है जो घबरा गया या टूट गया उसका इस दुनिया मे कोई अस्तित्व नही रहता ।
और जो नीचे जा कर भी हिम्मत नही हारता वह दुगने जोश के साथ ऊपर उठता है ओर अपनी हार को जीत मे बदलता है जब भी हम कोई काम शुरु करते है तो कम से कम चार पाँच साल सिखने के होते है इन शुरुआती सालो मे ज्यादा आय की आशा न रखे अगर आप का ख्रर्चा भी निकलता रहे तो वह  बहुत बड़ी बात होगी । हमे सिर्फ अपने कर्म पर ध्यान देना है ।
मि, रमेश को अभिनय का शोक था उसने अभिनय को ही कैरियर बनाने की सोची उसने अच्छे अभिनय स्कूल से अभिनय का कोर्स किया उसके बाद कई थ्येटर किए छः माह तक उसे कोई काम नही मिला हिम्मत हार कर। वह वापस आ गया
 शाहरुख खान आज एक प्रसिद्ध अभिनेता है सुपर स्टार है जब वह दिल्ली से मुम्बई आये थे तो पाँच साल तक कोई काम नही मिला ।पाँच साल की खाक छानने के बाद फौजी सीरियल मे काम मिला । उसके बाद एक और सीरियल सर्कस मे काम करने का मौका मिला उसी दौरान उसे फिल्म दिवाना मिली । फिर उसने मुड़ कर नही देखा ।
 शुरुआत मे पाँच साल तक मुम्बई की गलियों मे धक्के खाते रहे अगर वह एक साल या दो साल मे हिम्मत हार जाता तो वह आज सुपरस्टार नही होता । उन शुरुआती पाँच साल जो उसके संघर्ष के थे वह नीचे की और जा रहा था दिन प्रतिदिन नींव मजबूत हो रही थी जब उसने ऊपर की और जाना शुरु किया तो नीचे की और झांककर  भी नही देखा आज वह सुपरस्टार है ।
 सफल और असफल लोगो मे यही अन्तर होता है असफल लोगो मे लड़ने की क्षमता नही होती उनकी विल पावर बहुत कम होती है जो सफल हुए है वह जब तक सफल नही हो जाते उनकी विल पावर दिन प्रतिदिन मजबूत होती चली जाती है वह अपने को सफल व्यक्ति की श्रेणी मे रखकर ही दम लेता है।
 यह दुनिया नकारात्मक लोगो से भरी हुयी है जिस प्रकार जंगल मे शेर बहुत कम होते है इसी प्रकार सफल लोग भी इस दुनिया मे बहुत कम है ।
 अधिकांशतः लोग असफल लोगो को ही देखते है उनसे अपनी तुलना करते है इसी कारण से वह ऊपर नही उठ पाते ।
 यह एक सृष्टि का नियम है जितना मांगोगे उससे कम ही मिलेगा
कोई बीस हजार रुपये महीने की आय का सपना देखता है तो वह बीस से नीचे ही रहेगा या उसके समकक्ष
कोई एक लाख का, तो कोई करोड़ का सपना देखता है तो वहा तक अवश्य पहुचेगा ।
 जैसा सोचोगे वैसा बनोगे
बड़ा सोचोगे तो बड़ा मिलने की सम्भावना बनी रहेगी ।
एक प्रोफेसर ने क्लास मे छात्रो से पूछा –“यहा से निकलने के बाद आप मे से कुछ नौकरी करेंगे कुछ व्यापार करेंगे । आपको कितने का वार्षिक पैकेज चाहिए जिससे आप संतुष्ट हो सके और सुखी जीवन जी सके ।
 कुछ ने चार लाख। कुछ ने छः लाख, कुछ ने दस, कुछ ने बीस लाख,
 सब ने अपने हिसाब से कुछ न कुछ बताया । पुरी क्लास मे एक छात्र एसा था जो कुछ नही बोला
प्रोफेसर ने उससे पूछा – तुमने कुछ नही बताया
उस छात्र ने कहा – सर जो मुझे चाहिए वह मै नम्बर्स मे नही बता सकता ।
प्रोफेसर ने आश्चर्य से पूछा –“ फिर कैसे बताना चाहते हो ।
सारी क्लास के छात्र भी उसे ही देख रहे थे ।
“सर इसके लिए हमे क्लासरुम से बहार जाना होगा ।
प्रोफेसर ने उसकी बात मान ली वह सब छात्रो के साथ बहार आ गये
वह छात्र अपने दोनो हाथो को पास लाया और बोला – मुझे इतना नही चाहिए “
फिर अपने दोनो हाथो को खोलता गया –“मुझे इतना भी नही चाहिए “
 फिर दोनो हाथो को आसमान की और फैलाते हुए बोला- जितना आसमान दिखता है मुझे उससे भी ज्यादा चाहिए ।

                 
 यह बोलते समय उसके आँखो मे एक अलग सी चमक थी ।
 प्रोफेसर ने ताली बजायी फिर सभी क्लासरुम मे आगये ।
 उन्होने कहा-यह लड़का एक दिन इतनी ऊचाईया छुएगा जहाँ नम्बर्स मायने नही रखते ।
 जो लोग सिर्फ कर्म को महत्व देते है वे नम्बर्स के गेम मे नही उलझते ।
 अमीताभ बच्चन शाहरुख खान मुकेश अंबानी आदि एसे लोग है जिनके पास इतना पैसा है पुरी जिन्दगी एशो अराम से काट सकते है ।उन्हे काम करने की कोई आवश्यकता ही नही है ।
अमिताभ बच्चन इस उम्र मे भी आज कितनी मेहनत करते है। उनके लिए नम्बर्स नही, कर्म महत्वपूर्ण है एसा करने मे उन्हे आन्नद की अनुभूति होती है प्रतिदिन एक नई उर्जा के साथ  उठते है और अपने कर्म के प्रति ईमानदार है ये कभी नही सोचते हमारे पास बेहिसाब दौलत है हमे काम करने की क्या जरुरत है या एक दिन काम नही करेगे तो क्या फर्क पड़ता है ?
 एसा सिर्फ आलसी और असफल लोग ही सोचते है और हमेशा दुखी और तनाव भरा जीवन जीते है ।
 इतने बड़े मुकाम पर पहुचने के बाद एसा नही है इनको असफलता नही मिलती शाहरुख खान की सारी फिल्मे हिट नही होती एक समया एसा भी आया अमिताभ बच्चन की फिल्मे एक के बाद एक फ्लाप हो रही  थी । मगर वह अपने कर्म के क्षेत्र मे अपना सर्वश्रेष्ठ देते रहे ।
 असफलता का अफसोस नही होता बल्कि अगली बड़ी सफलता का प्लेटफार्म तैयार होता है अगर हम अपना सौ प्रतिशत देने को तैयार है तो सफलता असफलता मायने नही रखती ।
हमे यह सन्तुष्टी रहती है हमने अपना सौ प्रतिशत दे दिया आगे परमात्मा की मर्जी ।
 कभी असफलता से विचलित न हो, न ही सफलता से अतिउत्साहित हो । दोनो ही परिस्थितियों मे सम रहना है  दोनो ही परिस्थितियों मे आपके आन्नद मे हलचल नही होनी चाहिए ।
 आप सिर्फ कर्म करते चले जाओ अपना सौ प्रतिशत देते चले जाओ बाकी सब परमात्मा पर छोड़ दो आपको सफल होने से कोई नही रोक सकता ।


     

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