Tuesday, 19 January 2016

How to become success in life for student {in hindi}

              
सभी सफल होना चाहते है सफलता सभी को अच्छी लगती है केवल कुछ ही लोग सफलता के शिखर पर पहुँच पाते है सफल तो सभी होते है अपने जीवन मे,मगर हम समझ नही पाते,एक छोटी सी कहानी आपने सुनी  होगी ।
अकबर ने एक लकीर खीची और अपने दरबारियो से कहा –‘ इस लकीर को छोटी करना है मगर इस लकीर को मिटाना नही है । सभी दरबारियो ने दिमाग लगाया मगर कोई भी इस लकीर को छोटी नही कर पाया अंत मे बीरबल आया उसने उसके बराबर मे उससे बड़ी एक लकीर खीच दी अकबर की खीची लकीर छोटी हो गयी ।
 यही हमारे जीवन मे होता है । हमे कितनी भी सफलता मिल जाये अपेक्षा की लकीर हमेशा बड़ी खीच जाती है हमे जो कुछ भी मिलता है हम उसका मजा नही ले पाते । क्यो नही ले पाते ? जो कुछ भी हमे मिलता है हमेशा कम पड़ जाता है अपेक्षा की लकीर हमेशा बड़ी हो जाती है । कितने भी अच्छे नम्बर आ जाये उसका कभी मजा नही ले पाते अपेक्षा हमेशा उससे ज्यादा की होती है किसी के 70% मार्क्स आये वह भी कहता है बड़े कम आये किसी के 90% आये 95%आये वह और भी ज्यादा की अपेक्षा लगाये बैठा है और तो और किसी के 99% भी आ गये वह भी कहता है 1% और आ जाते तो मजा आ जाता । आज आप के लिये जो मार्क्स है वह कल आपके लिये रुपये बनने वाले है आज आप student है कल  कोई नौकरी करेगा कोई व्यापार करेगा या जो भी करेगा मगर उसका वह मजा नही ले पायेगा हमेशा तनाव मे रहेगा उसे जो भी मिलता है अपेक्षा की लकीर उससे बड़ी खीच जाती है ।  
 मेरे कहने का यह मतलब नही है  ज्यादा मार्कस लाना या धन कमाना बूरा  है। भाई मार्कस या धन बूरा नही  है मगर जितना मिला है उसका मजा लो ज्यादा की अपेक्षा करके उसका मजा खराब मत करो उसको enjoy करो ।
 मगर इस समय जो आपका कर्म है उसको 100% दो ।
Student की लाइफ का सबसे महत्वपूर्ण कार्य क्या है?
इस समय आपको नौकरी नही करनी है व्यापार नही करना है डाक्टर आप नही बन सकते हिरो बनने का सपना तो आप देख सकते हो मगर हिरो नही बन सकते । आप सपने तो बड़े –बड़े देख सकते हो मगर सपने देखने से कुछ होने वाला नही है आपका इस समय कर्म कया है ? सिर्फ पढ़ना , उसमे आपको अपनी क्षमता के अनुसार अपना100% देना है अगर एक बार आपने अपना 100% देना सिख लिया तो कल आप चाहे नौकरी करो व्यापार करो या जो भी करोगे आप अपना 100% दोगे क्योकि आपने Student लाइफ मे 100% देना सिख लिया । 
 समस्या क्या है ?
हम  किसी भी कार्य मे 100% दे क्यो नही पाते ? हम असफल क्यो होते है । हम जो भी कर्म करते है कामना के  आकर्षण  के कारण करते है । हम जब संसार मे देखते है कोई डाक्टर है सीए है इंजीनियर है या अन्य प्रोफेशन मे है बहुत पैसा कमा रहे है हम आकर्षित हो जाते है मुझे भी सीए बनना है डाक्टर बनना है क्योकि उसमे पैसो का आकर्षण हैं । इसलिए नही कि मै क्या चाहता हु। मुझमे क्या टेलेन्ट है हम जो भी करते है आकर्षण के कारण करते है पहले आकर्षित होते है फिर कामना पैदा होती है कामना से मोह पैदा होता है हम जो भी करना चाहते है उसी प्रोफेशन से मोह पैदा हो गया । कोई खुबसूरत लड़की हमे दिखाई दी उसे देखते ही अन्दर से कुछ हलचल शुरु हो गयी अन्दर कुछ बनना शुरु हो गया एक कामना पैदा हुयी उसे प्राप्त करने की उससे मोह हो गया वह दुबारा दिखाई दे उससे सिर्फ मोह है उसे सिर्फ पाना चाहते है एक आकर्षण है क्योकि वह तुम्हे सुन्दर लग रही है जिसे हम प्रेम का नाम दे देते है । जबकि वह प्रेम नही है मोह है प्रेम और मोह मे बहुत बड़ा अन्तर है प्रेम मे कुछ पाने की लालसा नही होती प्रेम निष्काम होता है सिर्फ देने का भाव होता है और जब हमे अपने कर्म से प्रेम हो जाता है तो पाने के लिए कुछ नही रहता मुझे पढ़ना है पढ़ कर कुछ बनना है अपने लिए नही मुझे अपने परिवार को बेहतर जिन्दगी देनी है समाज के लिए कुछ करना है इसलिए पढ़कर कुछ बनना है जबकि मोह मे पाने की लालसा होती है इस प्रोफेशन मे इतना पैसा है इसलिए मुझे पढ़ना है पढ़कर यह बनना है वह मुंगेरीलाल कि तरह सपने देखता रहेगा   कोई न्यू माडल कार बाजार मे आयी आप उसकि और आकर्षित हो गये आपके मन के किसी कोने मे पाने की कामना पैदा हो गयी आपको उस कार से मोह पैदा हो गया आपके बजट मे अगर है तो आप उसे ले भी लेते हो आप को बहुत खुशी होती है मगर वाली बात है  यह खुशी कितने दिन रहती है कुछ समय बाद ही नया माँड्ल बाजार मे आ गया उसकी और आकर्षित हो गये अब देखिये कितने मजे की बात है वह कार जिसे पाने के लिए इतने ललाइत थे उसमे आकर्षण खत्म हो गया
  हम कामना पहले करते है काम के बारे मे बाद मे सोचते है । अक्सर हम उस लाइन मे जाना चाहते है जहॉ  पैसा बहुत है जहॉ पैसा का आकर्षण है इस लिए हम उस काम को करना चाहते है । जबकी हमारी सोच ये होनी चाहिये मेरा इस काम मे interst है मुझे मजा आता है इस लिये मुझे यह काम करना है । इस लिए नही करना है कि दुसरे ने किया और बहुत पैसा बनाया । जिस काम को करने मे आपको मजा आता है उसमे मेहनत नही करनी पड़ती आपको 18 घंटे भी काम करना पड़े तो भी आपको थकान महसूस नही होगी क्योकि उसमे आपको रस आ रहा है कोई कामना नही है सिर्फ आप अपने मजे के लिए कर रहे है निष्काम भाव से कार्य कर रहे है । जहाँ आप कामना पहले रखकर काम करते है आपका उस काम मे interst तो है नही सिर्फ फल के लिये कार्य कर रहे है उसमे आपको मेहनत करनी होगी और जहाँ मेहनत होती है वहाँ थकान जल्दी आ जाती है।
          यह सकाम बुध्दि हमेशा असफल होती है लाभ हो तो भी हानि दिखाई पड़ती है । अपेक्षा की लकीर मिटा दो निष्काम कर्म का अर्थ यही है अपेक्षा रहित, अगर अपेक्षा की लकीर मिटा दे तो फिर छोटा सा कर्म भी तृप्ति लाता है कितना ही छोटा है वह भी बड़ा हो जाता है क्योकि तोलने के लिए कोई लकीर नही होती इसलिए जो निष्काम कर्म करता है वह कभी दुखी नही होता सिर्फ सकामकर्मी ही दुख को उपलब्ध होता है ।
   एक छोटी सी कहानी से समझने का प्रयास करते है ।   
 एक घ्रर मे एक संत गये वहा सभी चिन्तित थे परेशान से दिख रहे थे । संत ने पूछा आखिर बात क्या है ? क्या बताए बहुत परेशान है पाँच लाख का नुकसान हो गया । दुख तो होना स्वाभिक है संत ने उनकी पत्नी से पूछा- पाँच लाख का नुकसान कैसे हो गया । पत्नी ने कहा – आप इनकी बातो मे मत पड़ना । इन्हे पाँच लाख का नुकसान नही हुआ है बल्कि पाँच लाख का फायदा हुआ है वह बड़ी मुश्किल मे पड़ गये । संत ने कहा – क्या कहती है आप ?
बिल्कुल ठीक कहती हुं उन्हे 10 लाख के लाभ की आशा थी मगर पाँच लाख का ही फायदा हुआ इसलिए इनको पाँच लाख का फायदा लग रहा है नींद हराम हो गयी ब्लडप्रेअशर बढा हुआ है दवाये चल रही है इन्हे  समझाने का कोई उपाय नही है ।
 इतना ध्यान रखना सकाम बुध्दि सदा असफल होती है लाभ भी होता है तो भी हानी ही होती है क्योकि अपेक्षा का कोई अंत नही होता जो भी मिलता है वह कम पड़ता है जो भी सफलता मिलती है कभी तृप्ति नही होती कुछ भी मिल जाये संतोष की कोई झलक नही मिलती सकाम कर्म हमेशा असफल होने को बाध्य है

 निष्काम कर्म का छोटा सा भी कृत्य सफल होता है जब निष्काम है अपेक्षा रहित है इसलिए जो भी  मिल जाए वह बहुत है क्योकि कोई अपेक्षा ही नही थी जिसमे उसको छोटा बताया जा सके इस समय आपका कर्म क्या है पढना, नम्बर्स के लिए नही पढ़ना हमारा इस समय कर्म है पढ़ना, जब आप अपना 100% दोगे तो नम्बर्स तो अपने आप आयेगे जहाँ निष्काम कर्म होता है वहाँ फल छाया की तरह साथ साथ चलता है जो भी आपको मिलता है उसका enjoy करो मजा लो  mind आपका freash है  उस मे कुछ भरा हुआ नही है  mind  आगे और बेहतर करेगा जब हम कोई अपेक्षा नही रखते 70,80 या 50% भी क्यो आये, जम कर सेलिब्रेट करे हमने अपना 100% दिया जो भी मिला उसकी हमे परवाह नही

 कृष्ण ने भी गीता मे कहा है निष्काम कर्म का कोई भी कदम व्यर्थ नही जाता निष्काम कर्म का छोटा सा प्रयास भी व्यर्थ नही जाता इसके विपरीत सकाम कर्म का बड़े से बड़ा प्रयास भी व्यर्थ हो जाता है ।
यह तो हो गयी निष्काम कर्म की बात –
 Student  की  problam क्या है हम अपना 100% क्यो नही दे पाते, चाहते तो सब है पढ़ना, मगर पुरा नही दे पाते । कारण क्या हैं? हमारी सबसे बड़ी समस्या है हम चाहते न चाहने हुए भी गलत ट्रैक पर   चले जाते है।
 गलत ट्रैक क्या है ?
 सिगरेट पीना गुटखा खाना शराब पीना, टीवी देखना मोबाईल पर बैठे  रहना, फेसबुक व्हाटशेप पर बैठे रहना । मोबाइल बुरा नही है टीवी बुरा नही है अगर  मनोरंजन के लिय 30-40 मिनट देखते है तो ठीक है मगर टीवी से adiction हो  जाये तो गलत है आप सारे दिन टीवी पर चिपके रहे यह गलत ट्रैक है आपका मोबाइल बुरा नही है आपका मोबाइल से adiction हो जाये यह बुरा है खाना का रहे है खाना खाते हुए भी फेसबुक व्हाटशेप पर देखले कोई मैसेज तो नही है हम से वह छुट ही नही पाता । पढ़ रहे होते है तो भी mind मे चल रहा होता है एक बार व्हाट्शेप पर देख लू कोई मैसेज है क्या ?
 सही टैक क्या है ? अगर हम Student  है तो हमारे लिए  जरुरी  क्या है ? पढ़ना  सिर्फ पढ़ना ।
अब  समस्या ये है concerntrate कैसे करे आपको फेसबुक मे interst है आप किसी से पूछते हो क्या फेसबुक खोलू या न खोलू सब मना करते है तब भी खोलते है इसका मतलब आप पढ़ तो रहे  है मगर आप का interst नही है अगर  आप 12th या 10th standerd मे है आप सपने देखते है  डाक्टर बनना चाहते है व्यापारी बनना चाहते है । इस समय आप कुछ नही कर सकते, सिर्फ एक काम के सिवा और वह है सिर्फ पढ़ना आप सिर्फ पढ सकते हो इस  समय यही आपका कर्म है इसके अलावा आप कुछ नही कर सकते । वह भी निष्काम भाव से कर्म करो जो भी मिले उसका enjoy करो निष्काम भाव से जब आप कर्म  करते है। बिना किसी फल की कामना के स्टडी करते है तो क्या टीचर्स आपको नम्बर्स देंगे नही ? जब हम निष्काम कर्म करते है तो फल उसके साय की तरह साथ चलता है सारे विश्व की उर्जा उनके साथ खड़ी होती है । आपको कामयाब होने से कोई नही रोक सकता । जब सकाम कर्म करते है पहले फल की इच्छा करते है । पहले फल आया फिर  फल को ध्यान मे रखते हुए कर्म करते है। आप का माइन्ड दो जगह बट गया फल और कर्म । और विश्व की सारी उर्जा आपके विपरित खड़ी हो जाती है और आप कभी भी सफलता का मजा नही ले सकते ।
 पढाई मे हमारा मन क्यो नही लगता  
हम सोते कयो है आप से कह दिया जाये आपको 10 दिनो तक नही सोना है आप सोये बीना नही रह सकते । क्यो नही रह सकते ? क्योकि आपके पास सोने की वजह है सोने से हमे ताजगी और ऊर्जा मिलती है सोने की हमा्रे पास वजह है अगर एसी ही कोइ वजह हमारे पास पढ्ने की हो कोई भी हम से कहे – मत पढो “ आप तब कहोगे नही मुझे तो सिर्फ पढना है । कोई बड़ी वजह होनी चाहिए आप सोये बीना नही रह सकते
  आपको  जिन्द्गी मे क्या करना है मुफ्त की रोटिया तोड़नी है या कुछ करना है अगर कुछ करना है तो पढ़ना है । पढ़ना भी किसी के लिए नही मम्मी के लिये नही पापा के लिए नही सिर्फ अपने लिए पढ़ना है । जीवन मे कुछ करना है तो पढ़ना है अपने मन को समझा दो जब भी मन इधर उधर भागे तो इस मंत्र का उच्चारण करो
 अगर जीवन मे कुछ करना है तो पढ़ना है ।
एक वजह तो आपको मिल गयी ।
जिस समय जो काम मिला है उसे निष्काम भाव से करना है अपना 100% देना है पढाई के बाद जिस भी प्रोफेशन मे जाते है अपना 100% दो घर पर हो तो अपने परिवार को 100% दो कहने का मतलब है जहा जिस समय आपको जो कर्म मिला है उसे 100% देना ।
 कर्म करना हमार हाथ मे है अभी है यही है साहस दिखाना है बहादुरी दिखानी है फल को छोड़ने मे, संकल्प लेना है कर्म को करने मे । मै कभी पीछे नही हटुगा । फल छोड़ने का साहस निश्चित ही फल ले आता है लेकिन आपको फल की कामना नही करना है फल तो कर्म की छाया की तरह साथ साथ चलता है जिसने फल को छोड़ा,  विश्व की सारी उर्जा उसकी सहयोगी हो जाती है ।
 फल की कामना करते ही  सारी विश्व की उर्जा हमारे विपरित हो जाती है।
  जैसे ही हम कहते है जो तेरी मर्जी जो हमने करना था कर दिया तो सारी विश्व ऊर्जा  मित्र की तरह हमारे साथ खड़ी  हो जाती है ।
 जब हम कहते है मै कर्म कर रहा हु मुझे फल मिलना चाहिए तब हम विश्व ऊर्जा के विपरित खड़े हो जाते है इसलिए असफलता के अतिरिक्त कुछ नही मिलता ।
 सफलता केवल धन मिलना  नही होता सफलता का मतलब है आप संतुष्ट है खुश है मस्त है स्वस्थ है तब आप सफल है।
 कर्म करना आपके हाथ मे है फल परमात्मा का प्रसाद है।
                                                   

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