लेकिन ध्यान रखना, जब तुम एक आदमी को पीछे करते हो, तुम उतने कठोर हो गए। दो को किया, और ज्यादा कठोर हो गए। तीन को किया, और ज्यादा कठोर हो गए।
महत्त्वाकांक्षी पत्थर हो जाएगा, बड़ा स्थूल हो जाएगा। राजनीतिज्ञ से ज्यादा स्थूल व्यक्ति संसार में दूसरा नहीं होता। राजनीतिज्ञ से ज्यादा धर्म के विपरीत दूसरा आदमी नहीं होता। यहां वेश्याएं भी धार्मिक हो सकती हैं। यहां पापी भी धार्मिक हो सकते हैं। लेकिन राजनीतिज्ञ का धार्मिक होना बहुत कठिन हो जाता है। कारण? उसकी दौड़ ही धर्म के बिल्कुल विपरीत है। जीसस कहते हैं: “जो यहां प्रथम है, वह अंतिम हो जाता है मेरे प्रभु के राज्य में; और जो अंतिम है वह प्रथम हो जाता है।’ तो यहां तो प्रथम राजनीतिज्ञ हैं। यह जो प्रथम होने की दौड़ है, यह अहंकार की ही उद्घोषणा है। और अहंकार परमात्मा से तोड़ता है।
अजहूं चेत गंवार, प्रवचन # ११, ओशो
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