Tuesday, 12 March 2024

· . प्रेम आत्मा का भोजन है।


  

 
.......💗 प्रेम आत्मा का भोजन है।
❤️प्रेम आत्मा में छिपी परमात्मा की ऊर्जा है। प्रेम आत्मा में निहित परमात्मा तक पहुंचने का मार्ग है।
उसके बिना जो जीता है, भूखा ही जीता है। उसके बिना जो जीता है, वह क्षुधातुर ही जीता है। उसके बिना जो जीता है, उसका शरीर भला जीता हो, उसका मन भला जीता हो, उसकी आत्मा मरी-मरी ही रहती है।
उसे आत्मा का कोई अनुभव भी नहीं होता। आत्मा उसके लिए केवल एक शब्द है--सुना गया, पढ़ा गया; लेकिन शब्द बिलकुल अर्थहीन है। क्योंकि बिना प्रेम के कभी किसी ने जाना ही नहीं कि वह कौन है। बिना प्रेम के तो आदमी अपने से बाहर-बाहर ही भटकता है; अपने घर को उपलब्ध नहीं हो पाता।
भीतर आने का एक ही द्वार है, वह प्रेम है। जैसे शरीर को श्वास की जरूरत है प्रतिपल; श्वास न मिले तो शरीर का जीवन से संबंध टूट जाता है। श्वास सेतु है। उससे हमारा शरीर अस्तित्व से जुड़ा है। श्वास भी दिखाई तो पड़ती नहीं, सिर्फ उसके परिणाम दिखाई पड़ते हैं कि आदमी जीवित है। श्वास चली जाती है तब भी परिणाम ही दिखाई पड़ते हैं, श्वास का जाना तो दिखाई नहीं पड़ता। यह दिखाई पड़ता है कि आदमी मुर्दा है। प्रेम और भी गहरी श्वास है, और भी अदृश्य; वह आत्मा और परमात्मा के बीच जोड़ है। जैसे शरीर और अस्तित्व के बीच श्वास ने जोड़ा है तुम्हें, वैसे ही प्रेम की तरंगें जब बहती हैं तभी तुम परमात्मा से जुड़ते हो। उस जुड़ने में ही पहली बार तुम्हें अपने होने के यथार्थ का पता चलता है। इसलिए प्रेम से महत्वपूर्ण कोई दूसरा शब्द नहीं। प्रेम से गहरी दूसरी कोई अनुभूति नहीं।
प्रेम है क्या? और जो इतना महत्वपूर्ण है, उसे हम कैसे समझें?
प्रेम की कीमिया को थोड़ा समझ लेना जरूरी है।
तुम अपने चेहरे को भी पहचानते हो तो इसीलिए कि दर्पण में तुमने चेहरे को देखा है। अन्यथा बताओ मुझे, कैसे अपना चेहरा पहचानते? अगर दर्पण में कभी चेहरा न देखा होता और कभी अनायास तुम्हारी तुमसे ही मुलाकात हो जाती, तो तुम पहचान न पाते। कैसे पहचानते? स्वयं को भी देखने के लिए एक दर्पण की जरूरत है।
प्रेम दूसरे की आंखों में अपने को देखना है। दूसरा कोई उपाय नहीं है। जब किसी की आंखें तुम्हारे लिए आतुरता से भरती हैं, कोई आंख तुम्हें ऐसे देखती है कि तुम पर सब कुछ न्योछावर कर दे, किसी आंख में तुम ऐसी झलक देखते हो कि तुम्हारे बिना उस आंख के भीतर छिपा हुआ जीवन एक वीरान हो जाएगा, तुम ही हरियाली हो, तुम ही हो वर्षा के मेघ; तुम्हारे बिना सब फूल सूख जाएंगे, तुम्हारे बिना बस रेगिस्तान रह जाएगा; जब किसी आंख में तुम अपने जीवन की ऐसी गरिमा को देखते हो, तब पहली बार तुम्हें पता चलता है कि तुम सार्थक हो। तुम कोई आकस्मिक संयोग नहीं हो इस पृथ्वी पर; तुम कोई दुर्घटना नहीं हो। तुम्हें पहली बार अर्थ का बोध होता है; तुम्हें पहली बार लगता है कि तुम इस विराट लीला में सार्थक हो, सप्रयोजन हो; इस विराट खेल में तुम्हारा भाग है; यह मंच तुम्हारे बिना अधूरी होगी; यहां तुम न होओगे तो कुछ कमी होगी; कम से कम एक हृदय तो तुम्हारे बिना रेगिस्तान रह जाएगा, कम से कम एक हृदय में तो तुम्हारे बिना सब काव्य खो जाएगा; फिर कोई वीणा न बजेगी। ऐसा एक व्यक्ति की आंखों में, उसके हृदय में झांक कर तुम्हें पहली बार तुम्हारे मूल्य का पता चलता है। अन्यथा तुम्हें कभी मूल्य का पता न चलेगा।
तुम कितना ही धन इकट्ठा कर लो, तुम व्यर्थ ही लगोगे। क्या सार है? तुम कितने ही बड़े पदों पर पहुंच जाओ, भीतर तुम जानते ही रहोगे कि खोखले हो और पदों पर तुम जबरदस्ती पहुंचते हो। इसलिए अगर तुम लोगों की आंखों में पदों पर से देखोगे तो तुम्हें लगेगा कि तुम्हारे बिना वे कहीं ज्यादा आनंदित होंगे; तुम्हारे होने से ही उन्हें कष्ट है; तुम्हारे न होने से बड़ी शांति होगी। तुम्हारे पास धन हो और तुम लोगों की आंखों में देखो तो तुम्हें लगेगा कि तुम शत्रु हो; तुमने जैसे उनका कुछ छीन लिया है, जो तुम्हारे हटते ही उन्हें वापस मिल जाएगा।
प्रेम के अतिरिक्त तुम न केवल अपने को अकारण पाओगे, न केवल व्यर्थ पाओगे, बल्कि तुम हजारों आंखों में अनुभव करोगे कि तुम एक दुर्घटना हो, तुम्हारा होना एक अपशकुन है, कोई तुम्हारे कारण सौभाग्य से नहीं भरा है, तुम्हारे कारण सब तरफ दुर्भाग्य के चिह्न हैं। इन दुर्भाग्य के चिह्नों में, इन दुर्भाग्य की चीखती-पुकारती आवाजों के बीच तुम नर्क से घिर जाओगे। और अगर तुम्हें अपना जीवन नारकीय मालूम पड़ता है तो समझ लेना कि यही कारण है।
प्रेम में कोई उतरा कि स्वर्ग में उतरा। प्रेम के अतिरिक्त और सब स्वर्ग कल्पनाएं हैं, प्रतीक हैं। एक ही स्वर्ग है वास्तविक, और वह यह है कि तुम किसी के लिए इतने सार्थक हो उठो कि दूसरा अपना जीवन खोने को राजी हो जाए तुम्हारे लिए।
लेकिन इतने सार्थक तो तुम तभी हो सकोगे जब तुम दूसरे के लिए अपना जीवन खोने को राजी हो जाओ। प्रेम का अर्थ है जीवन से किसी बड़ी चीज को जान लेना, जिसके लिए जीवन भी गंवाया जा सकता है। जब तक जीवन तुम्हारे लिए सबसे बड़ी चीज है, तब तक तुम गरीब ही रहोगे। जीवन तो केवल अवसर है--जीवन से महत्तर को पा लेने का। जीवन तो केवल एक घड़ी है--अतिक्रमण के लिए; एक सीढ़ी है, जिससे तुम ऊपर उठ जाओ। जीवन मंदिर नहीं है, केवल मंदिर का द्वार है। द्वार से ही कोई कभी कैसे तृप्त हो सकेगा?
पर कैसे तुम जानोगे पहली झलक? पहली किरण कैसे उतरेगी तुम्हारे जीवन में जिससे तुम अनुभव कर पाओ कि तुम्हारे होने से कहीं कोई सौभाग्य फलित हुआ है?
यह थोड़ा सा बारीक है, नाजुक है, और एक-एक कदम सम्हाल कर रखना।
❣️ओशो❣️
ताओ उपनिषद

सारा जगत नाटक मात्र है

सात दिन के लिए यह प्रयोग करो 

सात दिन तक एक ही चीज स्मरण रखो कि सारा  जगत नाटक मात्र है --  और तुम वही नहीं रहोगे जो अभी हो।  सिर्फ सात दिन के लिए प्रयोग करो।  तुम्हारा कुछ खो नहीं जाएगा, क्योकि तुम्हारे पास खोने के लिए भी तो कुछ नही है तुम प्रयोग कर सकते हो।  सात दिन तक सब कुछ को नाटक समझो, तमाशा समझो। 

 इन सात दिनों में तुम्हे तुम्हारे बुद्ध-स्वभाव की, तुम्हारी आंतरिक पवित्रता की अनेक झलके मिलेंगी।  और इस झलक को मिलने के बाद तुम फिर वही नही रहोगे जो हो।  तब तुम सुखी होंगे।  और तुम सोच भी नहीं सकते कि वह  सुख किस तरह का होगा, क्योकि तुमने कोई सुख नही जाना ह।  तुमने सिर्फ दुःख की काम अधिक मात्राएँ भर जनि है : कभी तुम ज्यादा दुखी थे और कभी कम।  तुम नही जानते सुख क्या है, तुम उसे नहीं जान सकते हो।  जब तुम्हारी जगत की धारणा ऐसी  है कि तुम उसे बहुत गंभीरता से लेते हो तो तुम नहीं  जान सकते कि सुख क्या है।  सुख तो तभी घटित होता है जब तुम्हारी यह धारणा दृढ़  होती है कि यह जगत केवल एक लीला है।  

 इस विधि को प्रयोग में लाओ और हर चीज को उत्सव को तरह लो, हर चीज को उत्सव मानाने के भाव से करो।  ऐसा समझो कि यह नाटक है कोई  असली चीज नही।  अगर तुम पति हो तो नाटक के पति बन जाओ ; अगर तुम पत्नी हो तो नाटक कि पत्नी बन जाओ।  अपने संबंधो को खेल बना लो।  बेशक खेल के नियम है  ; खेल के लिए नियम जरूरी  है । विवाह नियम है, तलाक नियम है।  उनके बारे में गंभीर मत होओ

वे नियम है और एक नियम से दूसरा नियम निकलता है।  तलाक बुरा है, क्योकि विवाह बुरा है।  एक नियम दूसरे नियम को जन्म देता है। 

लेकिन उन्हें गंभीरता से मत लो और फिर देखो कि कैसे तत्काल तुम्हारे जीवन का गुणधर्म बदल जाता है।  

आज रात अपने घर जाओ और अपने पति या पत्नी या बच्चो के साथ ऐसे व्यवहार करो जैसे कि तुम किसी नाटक में भूमिका निभा रहे हो। और फिर उसका सोन्दर्ये देखो।  अगर तुम भूमिका निभा रहे हो तो तुम उसमे कुशल होने की कोशिश  करोगे, लेकिन उदिग्न नही होंगे।  उसकी कोई जरूरत नही है।  तुम अपनी भूमिका निभाकर चले जाओगे।  लेकिन स्मरण रहे कि यह  अभिनय है।  और सात दिन तक इसका सतत  ख्याल रखो।  तब तुम्हे सुख उपलब्ध होगा।  और जब तुम जान लोगे कि  क्या सुख है तो फिर दुःख में गिरने कि जरूरत नही रही, क्योकि यह तुम्हारा ही चुनाव है।  

 तुम दुखी हो, क्योकि तुमने जीवन के प्रति  गलत दृष्टि चुनी है।  तुम सुखी हो सकते हो, अगर दृष्टि सम्यक हो जाये।  बुद्ध सम्यक दृष्टि को बहुत महत्व देते है।  वे सम्यक दृष्टि को ही आधार बनाते है , बुनियाद बनते है।  सम्यक दृष्टि क्या है ? उसकी कसौटी क्या है ?

मेरे देखे कसौटी यह है ; जो दृष्टि तुम्हे सुखी करे वह सम्यक दृष्टि है।  और जो दृष्टि तुम्हे दुखी पीड़ित बनाये वह असम्यक दृष्टि है।  और कसौटी बाह्रा नही है, आंतरिक है और कसौटी तुम्हारा सुख   है।    


  

Wednesday, 6 March 2024

आनंद से कैसे जिए (ध्यान सूत्र )

 

जब दुःख में होते हो तो क्या करते हो ? जब दुःख आता है तो तुम उससे बचना चाहते हो, भागना चाहते हो , तुम दुःख नहीं चाहते हो :तुम उससे भागना चाहते हो ।  तुम्हारी चेष्टा रहती है कि तुम उससे विपरीत को पा लो, सुख को पा लो, आनंद को पा लो। और जब सुख आता है तो तुम क्या करते हो ? तुम चेष्टा करते हो कि सुख बना रहे, ताकि दुःख बना रहे तुम उससे चिपके रहना चाहते हो।  तुम सुख को पकड़कर रखना चाहते हो और दुःख से बचना चाहते हो।  यही स्वाभिक दृष्टिकोण है , ढंग है।  

अगर तुम इस प्राकृतिक नियम को बदलना चाहते हो, उसके पार जाना चाहते हो, तो जब दुःख आये तो उससे भागने कि चेष्टा मत करो : उसके साथ रहो उसको भोगो।  ऐसा करके तुम उसकी पूरी प्राकृतिक व्यवस्था को अस्तव्यस्त कर दोग।  तुम्हे सिरदर्द है ; उसके साथ रहो ।  आँखे बंद कर लो और सर दर्द पर ध्यान करो , उसके साथ रहो।  कुछ भी मत करो ; बस साक्षी रहो।  उससे भागने कि चेष्टा मत करो।  और जब सुख आये और तुम किसी क्षण विशेष रूप से आनंदित अनुभव करो तो  उसे पकड़कर उससे चिपको मत।  आँखे बंद कर लो और उसके साक्षी हो जाओ।सुख को  पकड़ना और दुःख से भागना धूल - भरे चित्त के स्भाविक गुण है और अगर तुम साक्षी रह सको  और देर - अबेर तुम मध्य को उपलब्ध हो जाओगे।  प्राकृतिक नियम तो यही है कि एक से दूसरी अति पर आते - जाते रहो।  अगर तुम साक्षी रहे सको तो तुम मध्य में होंगे।  

  सिरदर्द है तो उसे स्वीकार करो।  वह तथ्य है।  जैसे वृक्ष है, मकान है ,रात है, वैसे ही सिरदर्द है।  आँख बंद करो और उसे स्वीकार करो उससे बचने कि चेष्टा मत करो।  वैसे ही तुम सुखी हो तो सुख के तथ्य को स्वीकार करो।  उससे चिपके रहने कि चेष्टा मत करो और दुखी होने का भी प्रयत्न भी मत करो ; कोई भी प्रयत्न मत करो।  सुख आता है तो आने दो ; दुःख आता है तो आने दो।  तुम शिखर पर खड़े दृष्टा बने रहो, जो सिर्फ चीजों को देखता है।  सुबह आती है शाम आती है, फिर सूरज उगता है और डूब जाता है तारे है और अँधेरा है फिर सूर्योदय --  और तुम शिखर पर खड़े दृष्टा हो।

Wednesday, 13 May 2020

शहद के फायदे और उपयोग

     
                                                                                                                                                               मधुमक्खियाँ फूलो की मिठास तथा मधुरिमा को अपनी मेहनत द्वारा छत्ते मे एकत्तित करती है और वही शहद कहलाता है शहद प्रकृति का अनमोल उपहार है यह खाने मे मीठा होता है इसमे विटामिन ए, बी, सी, होता है शरीर के लिए आवश्यक खनिज पदार्थ जैसे मैगनीज लोहा तांबा कैल्शियम गन्धक कैरोटिन पोटाशियम फास्फोरस और एन्टीसैप्टिक तत्व पाये जाते है ।
वैज्ञानिको के अनुसार शहद मे 42 प्रतिशत शर्करा और 35 प्रतिशत द्राक्ष शर्करा होती है बाकी ग्लूकोज की मात्रा होती है उसे पचाने के लिए शरीर के अन्य अवयवो को मेहनत नही करनी पड़ती है । ग्लूकोज रक्त मे मिलकर शीध्र ही पच जाता है
शहद की शर्करा आसानी से पचने के कारण , मधुमेह वमन, अम्लपित थकावट ह्रदय की  कमजोरी आदी मे लाभदायक है।
यदि किसी व्यक्ति की त्वचा पीली है तो इसका कारण होता है खून मे आयरन की कमी, शहद मे लौह तत्व अधिक मात्रा मे होता है । सुबह शाम भोजन के बाद नींबू के रस मे शहद मिलाकर सेवन करने से फायदा  होता है ।
शहद की अम्लता और और एन्जाइम के कारण आंतो की आकुन्चन गति से वेग मिलता है आंतो की क्षमता बढ़ती है मल चिकना बनता है और आसानी से बाहर निकलता है
मधुशर्करा मे एन्टिमनी क्लोरोफार्म कार्बनटेट्राक्लोरोराइड आदी जहरीले द्रव्यो  का असर खत्म करने की शक्ति भी होती है । लम्बे समय तक शहद का सेवन नही करना चाहिए और न ही अधिक मात्रा मे शहद का सेवन करना चाहिए ।

शहद के फायदे ( Benefits of honey in hindi)

1-अदरक या तुलसी के रस को चम्मच मे गर्म कर उसमे शहद मिलाकर उपयोग करने पर खांसी जुकाम मे लाभ होता है ।
2-शहद मुँह  मे रखते ही तत्काल घुलकर शरीर को उर्जा देता है । जितनी जल्दी शहद पचता है, उतनी जल्दी अन्य कोई पदार्थ नही पचता है।
3-शहद चाटने से हिचकी बन्द होती है
4-थकान होने से तत्काल ताजगी आती है
5-शरीर के किसी भाग के हल्का जलने पर शुद्ध शहद लगाने से जलन मे आराम मिलता है ।
6-काली खांसी होने पर शहद के साथ दो बादाम की गिरी लेने से आराम मिलता है ।
7-शहद को  पानी के साथ पीने से चर्म रोग को आराम मिल सकता है ?
8-टांसिल होने पर सेब के रस मे शहद मिलाकर लेना लाभकारी है ।
9-यदि किसी घाव से खून बन्द नही हो रहा हो तो उस पर शहद लगा देना चाहिए      
10-अनार के रस मे शहद मिलाकर लेने से स्मरण शक्ति बढ़ती है और और दिमागी कमजोरी सुस्ती थकावट दूर होती है ।
11-मुँह के फोड़े फुंसी मे प्रातः ताजे पानी मे दो चम्मच शहद डालकर लेना चाहिए

शहद खाने के तरीके ( How to use honey)

12-एक बड़े गिलास पानी मे दो चम्मच शहद और दो – तीन बूँद नींबू का रस मिलाकर पीने से शरीर को तत्काल उर्जा मिलती है
13-गर्म पानी मे दिन मे तीन बार शहद मिलाकर लेने से जुकाम मे राहत मिलती है
14-आधे सिरदर्द मे एक छोटे कप मे गुनगुने पानी मे दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से लाभ होता है ।
15-अनिन्द्रा की शिकायत मे नियमित रुप से शहद लेने पर नींद अच्छी आती है ।
16-अदरक का रस और शहद मिलाकर लेने से खांसी और कफ दूर होते है ।
यह भी पढ़े -सरसो के तेल के जबरदस्त चमत्कारिक फायदे

शहद के सेवन से वजन कैसे घटाये ( How to use honey weight loss in hindi )

17-शहद मे एक विशेष गुण होता है गरम पानी से लेने पर उसकी तासिर गर्म और ठंडे पानी से लेने पर ठंडी होती है ।
प्रातः और सायँ गरम पानी मे शहद मिलाकर पीने से शरीर की चर्बी कम होती है ।
यह भी पढ़े - मोटापा कैसे कम करे और वज़न कम करने के घरेलु नुस्खे हिंदी में जाने


दूध और शहद के फायदे ( Benefits of honey and milk in hindi )

18-दूध और शहद को मिलाकर चेहरे पर लगाने से निखार आता है।
19-गुनगुने दुध मे एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से प्रजनन क्षमता बढ़ती है और शुकरणु की संख्या भी बढ़ती है ।
20- गर्म दूध मे शहद मिलाकर पीने से तनाव मे आराम मिलता है ।
21- अगर आपको रात मे नींद नही आती है तो आप बिस्तर पर जाने से एक घंटा पहले गर्म दूध मे थोड़ा सा शहद मिलाकर ले ।
22-गर्म दूध मे शहद मिलाकर पीने से पाचन क्रिया को भी बेहतर बनाने का काम करता है जिससे आपको कब्ज और अपच की समस्या नही होगी ।
23-हड्डियो की मजबूती के लिए दूध बताया जाता है अगर आप उसमे शहद मिलाकर पियेंगे तो आपको ज्यादा फायदा मिलेगा क्योकि हड्डियो मे कोई नुकसान हुआ है तो यह उसकी भरपाई भी करता है।
24-गर्म दूध मे शहद मिलाकर पीने से शारीरिक और मानसिक थकान दूर होती है ।                                               Health Improvement Tips In Hindi                                                                                                            https://hindikhushi.in   

Monday, 28 January 2019

सौन्दर्यबोध

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यदि तुम सुन्दरता की खोज करोगे तुम सत्य को उपलब्ध हो जाओगे | तुम्हारे अन्दर जितना अधिक सौन्दर्यबोध होगा , तुम सुन्दरता के प्रति जितने अधिक संवेदनशील होगे , तुम उतने ही अधिक संतुलित और लयबद्ध होते जाओगे क्योंकि अन्ततोगत्वा सुन्दरता परमात्मा की ही सम्पत्ति हैं | जब आँखों में प्रेम होता है तो एक कुरूप चेहरा भी सुन्दर बन जाता हैं |
यदि तुम मनुष्य के अन्दर देखना चाहते हो तो तुम्हे रूप सौन्दर्य के घर में जाना चाहिए |
बाउलो कहते है - यदि तुम मनुष्य का अंतरतम देखना चाहते हो तो तुम्हे रूप और सौन्दर्य के शाश्वत घर में प्रवेश करना होगा | प्रेम में अधिक सौन्दर्य बोध हैं , वासना में लगभग सौन्दर्य -बोध है ही नही | वासना कुरूप है , और तुम इसका निरिक्षण कर सकते हो |जब कोई तुम्हारी ऑर वासना की दृष्टि से देखता हैं , तो क्या तुमने उसका चेहरा देखा हैं ? वह कुरूप हो जाता है | जब वहा आँखों में वासना होती तो एक सुन्दर चेहरा भी कुरूप बन जाता है | और इसके ठीक विपरीत भी घटता है : एक कुरूप चेहरा भी जब आँखों में प्रेम होता है , सुन्दर बन जाता है | आँखों में प्रेम होने से चेहरे को पूरी तरह से भिन्न एक नया रंग मिल जाता है ,एक भिन्न प्रभा मंडल उत्पन्न हो जाता हैं | वासना का आभा मंडल काला और कुत्सित होता है | किसी की ऑर वासना से देखना ही कुरूपता हैं | वह सौन्दर्य की खोज नही है |कवि गुरु रविन्द्रनाथ टैगोर ने कहा " सौन्दर्य ही सत्य हैं " और उन्होंने ठीक ही कहा है | वह बाउलो से अधिक प्रभावित थे | वास्तव में वह ही प्रथम व्यक्ति थे , जिन्होंने बाउलो को पश्चिम से परचित कराया , वह प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने बाउलो के कुछ गीतों को अंग्रेजी में अनुवाद किया | वह स्वंय ही वक तरह के बौल थे | वह कहते है " सौन्दर्य ही सत्य है |" यदि तुम सुन्दरता की खोज करोगे तुम सत्य को उपलब्ध हो जाओगे | तुम्हारे अन्दर जितना अधिक सौन्दर्यबोध होगा , तुम सुन्दरता के प्रति जितने अधिक संवेदनशील होगे , तुम उतने ही अधिक संतुलित और लयबद्ध होते जाओगे |
यदि तुम मनुष्य का अंतरतम देखना चाहते हो तो तुम्हे रूप और सौन्दर्य के शाश्वत घर में प्रवेश करना होगा | उसके सभी मार्ग ब्रमाहंड में एक दूसरे को कटे हुए जहा जीवन , मृत्यु के सात्घ रहता है और होश , पागलपन के साथ , सभी के पार चले जाते है | उसके सभी रास्ते सभी सीमाओं का अतिक्रमण करते है , जहा जीवन और मृत्यु साथ - साथ रहते है , और होश , पागलपन के साथ | परमात्मा में मृत्यु और जीवन दो चीजे नही है | परमात्मा के लिए अन्धकार और प्रकाश दो चीजे नही है | परमात्मा के लिए प्रारम्भ और अन्त भी दो चीजे नही है | परमात्मा का अर्थ है समग्रता:परमात्मा सभी की चिन्ता करता है |
इसलिए जब तुम परमात्मा के निकट जाते हो , तुम खोओगे कुछ भी नही , और सब कुछ पा लोगे | एक असली धार्मिक व्यक्ति वह होता है जिसका कोई अतीत नही होता , जिसकी कोई आत्मकथा नही होती , जो निरन्तर नया होता हैं , उसका प्रत्येक क्षण परमात्मा के साथ फिसलते हुए चलता हैं | वह फ़िक्र करता ही नही , जो घटना घट चूकि वह घट चूकि , मामला खत्म हुआ | अब वहा पूर्ण विराम लगा दो पीछे मुडकर देखो ही मत | बढ़ते चलो |
जब तुम स्वंय अपनी गहराई में पहुचते हो , जब तुम अपने हृदय के केंद्र का स्पर्श करते हो , तो तुम उस भूमि के क्षेत्र पर आ जाते हो , जहा से फिर जुदाई होती ही नही है | वहा , तुम न केवल परमात्मा के साथ हो , तुम उसके साथ मिलकर एक ही हो जाते हो - क्योंकि तुम उसके ही एक खंड हो | यह "वह " ही है जिसने तुम्हारे समान बनकर अपने को अभिव्यक्त किया है | धन्यभागी और भाग्यशाली होने का अनुभव करो , ' उसने ' भी तुम्हे अपने अनेक रूपों में से एक रूप में चुन लिया है |
अपनी आँखे बन्द करो और उसे पकड़ने का प्रयास करो वह हाथो से फिसला जा रहा है
osho---

Thursday, 31 May 2018

जोड़ो के दर्द का चमत्कारी तेल




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अगर आप भी कंधे के दर्द,  घुटने के दर्द,कम्रर और पीठ दर्द जोड़ो के दर्द से परेशान है तो इस दर्द के तेल को अवश्य अजमाकर देखे 
 इस तेल को बनाने की विधि भी बहुत आसान है ।

 तो जाने अदभुत दर्द का तेल बनाने की विधि


सरसो का तेल 500 ग्राम,तारपीन का तेल 200ग्राम , रतनजोत 40ग्राम, लहसुन की कलियॉ 100ग्राम, पुदीना सत 20ग्राम अजवायन सत 20ग्राम,कपूर 20ग्राम

सर्वप्रथम एक कांच की शीशी लेकर उसमे पुदीना सत, अजवायन सत,कपूर तीनो को डाल दे और शीशी का ढक्कन 

लगाकर हिला दे थोड़ी देर मे तीनो वस्तुए द्रवरुप हो जायेगी । इसको अमृतधारा कहते है ।

 लहसुन की कलियॉ छीलकर छोटे-छोटे टुकड़ो मे काट ले, सरसो का तेल किसी भगोने मे डालकर गैस पर हल्की आँच 

पर रख दे और लहसुन की कलियॉ भी उसमे डाल दे । तेल को इतना पकाये की लहसुन की कलियॉ जल कर काली हो 

जाये । अब भगोने को गैस से उतारकर नीचे रख ले और उसमे रतनजोत डाल दे इससे तेल का रंग लाल हो जायेगा 

तेल के ठंडा होने पर इसको चलनी या कपड़े मे छानकर बोतल मे भर ले और इस तेल मे  अमृतधारा और तारपीन का

 तेल मिलाकर अच्छी तरह से हिला दे ।

 मालिश का तेल तैयार है जहाँ भी मालिश करनी है वहा एक चम्मच तेल डाले और और हलके हाथो से जब तक मसाज

 करे जब तक तेल सुख न जाये ।

joint pain ayurvedic treatment (in hindi)



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व्यस्त जीवन शैली और बढ़ती उम्र के साथ जोड़ो के दर्द की समस्या आम हो गयी है । जैसे जैसे उम्र बढ़ती है शरीर के 

विभिन्न जोड़ घिसने लगते है ऐसी स्थिति मे जोड़ो मे दर्द रहने लगता है । घुटनो और कन्धो मे दर्द रहने लगता है 

इसके अतिरिक्त कमर हाथ ऐड़ी हाथ आदि जोड़ो मे दर्द रहता है जैसे जैसे रोग बढ़ता है चलने फिरने मे भी भयंकर दर्द

 होता है 
 यूरिक ऐसिड अम्ल जोड़ो मे जमा होने के कारण जोड़ो मे दर्द रहने लगता है उसे गठिया (गाउटी आर्थ्रराइटिस कहा

 जाता है ।
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घुटनो के साथ साथ ही कन्धो का दर्द भी बड़ी तेजी से बढ़ रहा है । कन्धो को घेरने वाली माँसपेशियो मे सुजन आ 

जाती है स्वाभिक रुप से कन्धो के हिलने डुलने मे भयंकर पीड़ा होती है । जोड़ो का कार्टिलेज घिसने के बाद हड्डी

 घिसनी शुरु हो जाती है और घुटने कन्धे और रीढ़ की हड्डी मे दर्द शुरु हो जाती है यह समस्या 50 वर्ष की उम्र के 

बाद शुरु होती है जोड़ो मे हिलने डुलने मे चटखने की आवाज आती है । इसे आस्टियो आर्थराइटिस कहते है ।

 इसका हम आपको चमत्कारिक घरेलू उपचार बता रहे है । 
                                
असगन्ध नागोरी  90 ग्राम

सुरजान शीरी     90 ग्राम

सोंफ            90 ग्राम

सोंठ            30 ग्राम

जीरा            30 ग्राम

सुखा पौदीना      30 ग्राम

सनाय           30 ग्राम

काली मिर्च        5 ग्राम

रुमी मस्तगी      30 ग्राम

इन सबको कुट पीसकर चूर्ण बना ले और सुबह शाम 3 ग्राम चूर्ण गुनगुने या सादे पानी से ले ।

दो से चार अखरोट की गिरी सुबह या रात को दुध के साथ ले

मसाज  - तिल के तेल से मसाज करे । तिल के तेल को गर्म करके एक से दो चम्मच तेल दर्द वाले स्थान पर डाले 

और हल्के हाथो से धीरे धीरे मसाज करे । मसाज जब तक करे जब तक तेल सुख न जाये।

        या
दर्द का चम्तकारी तेल से भी आप मालिस कर सकते है । (इसको गर्म नही करन है)

अपना पेट सही रखे,कब्ज न हो, अपने खाने पीने का ध्यान रखे ।

उरोक्त घरेलू उपचार अनुभव के आधार पर है अब तक सैकड़ो लोगो को फायदा हो चुका है

ज्यादा दर्द होने पर आप अपने चिकित्सक से सलाह ले ।

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