ananditjeevan.com
. All are healthy, happy and loved.
Tuesday, 12 March 2024
· . प्रेम आत्मा का भोजन है।
सारा जगत नाटक मात्र है
सात दिन के लिए यह प्रयोग करो
सात दिन तक एक ही चीज स्मरण रखो कि सारा जगत नाटक मात्र है -- और तुम वही नहीं रहोगे जो अभी हो। सिर्फ सात दिन के लिए प्रयोग करो। तुम्हारा कुछ खो नहीं जाएगा, क्योकि तुम्हारे पास खोने के लिए भी तो कुछ नही है तुम प्रयोग कर सकते हो। सात दिन तक सब कुछ को नाटक समझो, तमाशा समझो।
इन सात दिनों में तुम्हे तुम्हारे बुद्ध-स्वभाव की, तुम्हारी आंतरिक पवित्रता की अनेक झलके मिलेंगी। और इस झलक को मिलने के बाद तुम फिर वही नही रहोगे जो हो। तब तुम सुखी होंगे। और तुम सोच भी नहीं सकते कि वह सुख किस तरह का होगा, क्योकि तुमने कोई सुख नही जाना ह। तुमने सिर्फ दुःख की काम अधिक मात्राएँ भर जनि है : कभी तुम ज्यादा दुखी थे और कभी कम। तुम नही जानते सुख क्या है, तुम उसे नहीं जान सकते हो। जब तुम्हारी जगत की धारणा ऐसी है कि तुम उसे बहुत गंभीरता से लेते हो तो तुम नहीं जान सकते कि सुख क्या है। सुख तो तभी घटित होता है जब तुम्हारी यह धारणा दृढ़ होती है कि यह जगत केवल एक लीला है।
इस विधि को प्रयोग में लाओ और हर चीज को उत्सव को तरह लो, हर चीज को उत्सव मानाने के भाव से करो। ऐसा समझो कि यह नाटक है कोई असली चीज नही। अगर तुम पति हो तो नाटक के पति बन जाओ ; अगर तुम पत्नी हो तो नाटक कि पत्नी बन जाओ। अपने संबंधो को खेल बना लो। बेशक खेल के नियम है ; खेल के लिए नियम जरूरी है । विवाह नियम है, तलाक नियम है। उनके बारे में गंभीर मत होओ
वे नियम है और एक नियम से दूसरा नियम निकलता है। तलाक बुरा है, क्योकि विवाह बुरा है। एक नियम दूसरे नियम को जन्म देता है।
लेकिन उन्हें गंभीरता से मत लो और फिर देखो कि कैसे तत्काल तुम्हारे जीवन का गुणधर्म बदल जाता है।
आज रात अपने घर जाओ और अपने पति या पत्नी या बच्चो के साथ ऐसे व्यवहार करो जैसे कि तुम किसी नाटक में भूमिका निभा रहे हो। और फिर उसका सोन्दर्ये देखो। अगर तुम भूमिका निभा रहे हो तो तुम उसमे कुशल होने की कोशिश करोगे, लेकिन उदिग्न नही होंगे। उसकी कोई जरूरत नही है। तुम अपनी भूमिका निभाकर चले जाओगे। लेकिन स्मरण रहे कि यह अभिनय है। और सात दिन तक इसका सतत ख्याल रखो। तब तुम्हे सुख उपलब्ध होगा। और जब तुम जान लोगे कि क्या सुख है तो फिर दुःख में गिरने कि जरूरत नही रही, क्योकि यह तुम्हारा ही चुनाव है।
तुम दुखी हो, क्योकि तुमने जीवन के प्रति गलत दृष्टि चुनी है। तुम सुखी हो सकते हो, अगर दृष्टि सम्यक हो जाये। बुद्ध सम्यक दृष्टि को बहुत महत्व देते है। वे सम्यक दृष्टि को ही आधार बनाते है , बुनियाद बनते है। सम्यक दृष्टि क्या है ? उसकी कसौटी क्या है ?
मेरे देखे कसौटी यह है ; जो दृष्टि तुम्हे सुखी करे वह सम्यक दृष्टि है। और जो दृष्टि तुम्हे दुखी पीड़ित बनाये वह असम्यक दृष्टि है। और कसौटी बाह्रा नही है, आंतरिक है और कसौटी तुम्हारा सुख है।
Wednesday, 6 March 2024
आनंद से कैसे जिए (ध्यान सूत्र )
जब दुःख में होते हो तो क्या करते हो ? जब दुःख आता है तो तुम उससे बचना चाहते हो, भागना चाहते हो , तुम दुःख नहीं चाहते हो :तुम उससे भागना चाहते हो । तुम्हारी चेष्टा रहती है कि तुम उससे विपरीत को पा लो, सुख को पा लो, आनंद को पा लो। और जब सुख आता है तो तुम क्या करते हो ? तुम चेष्टा करते हो कि सुख बना रहे, ताकि दुःख बना रहे तुम उससे चिपके रहना चाहते हो। तुम सुख को पकड़कर रखना चाहते हो और दुःख से बचना चाहते हो। यही स्वाभिक दृष्टिकोण है , ढंग है।
अगर तुम इस प्राकृतिक नियम को बदलना चाहते हो, उसके पार जाना चाहते हो, तो जब दुःख आये तो उससे भागने कि चेष्टा मत करो : उसके साथ रहो उसको भोगो। ऐसा करके तुम उसकी पूरी प्राकृतिक व्यवस्था को अस्तव्यस्त कर दोग। तुम्हे सिरदर्द है ; उसके साथ रहो । आँखे बंद कर लो और सर दर्द पर ध्यान करो , उसके साथ रहो। कुछ भी मत करो ; बस साक्षी रहो। उससे भागने कि चेष्टा मत करो। और जब सुख आये और तुम किसी क्षण विशेष रूप से आनंदित अनुभव करो तो उसे पकड़कर उससे चिपको मत। आँखे बंद कर लो और उसके साक्षी हो जाओ।सुख को पकड़ना और दुःख से भागना धूल - भरे चित्त के स्भाविक गुण है और अगर तुम साक्षी रह सको और देर - अबेर तुम मध्य को उपलब्ध हो जाओगे। प्राकृतिक नियम तो यही है कि एक से दूसरी अति पर आते - जाते रहो। अगर तुम साक्षी रहे सको तो तुम मध्य में होंगे।
सिरदर्द है तो उसे स्वीकार करो। वह तथ्य है। जैसे वृक्ष है, मकान है ,रात है, वैसे ही सिरदर्द है। आँख बंद करो और उसे स्वीकार करो उससे बचने कि चेष्टा मत करो। वैसे ही तुम सुखी हो तो सुख के तथ्य को स्वीकार करो। उससे चिपके रहने कि चेष्टा मत करो और दुखी होने का भी प्रयत्न भी मत करो ; कोई भी प्रयत्न मत करो। सुख आता है तो आने दो ; दुःख आता है तो आने दो। तुम शिखर पर खड़े दृष्टा बने रहो, जो सिर्फ चीजों को देखता है। सुबह आती है शाम आती है, फिर सूरज उगता है और डूब जाता है तारे है और अँधेरा है फिर सूर्योदय -- और तुम शिखर पर खड़े दृष्टा हो।
Wednesday, 13 May 2020
शहद के फायदे और उपयोग
मधुमक्खियाँ फूलो की मिठास तथा मधुरिमा को अपनी मेहनत द्वारा छत्ते मे एकत्तित करती है और वही शहद कहलाता है शहद प्रकृति का अनमोल उपहार है यह खाने मे मीठा होता है इसमे विटामिन ए, बी, सी, होता है शरीर के लिए आवश्यक खनिज पदार्थ जैसे मैगनीज लोहा तांबा कैल्शियम गन्धक कैरोटिन पोटाशियम फास्फोरस और एन्टीसैप्टिक तत्व पाये जाते है ।
वैज्ञानिको के अनुसार शहद मे 42 प्रतिशत शर्करा और 35 प्रतिशत द्राक्ष शर्करा होती है बाकी ग्लूकोज की मात्रा होती है उसे पचाने के लिए शरीर के अन्य अवयवो को मेहनत नही करनी पड़ती है । ग्लूकोज रक्त मे मिलकर शीध्र ही पच जाता है
शहद की शर्करा आसानी से पचने के कारण , मधुमेह वमन, अम्लपित थकावट ह्रदय की कमजोरी आदी मे लाभदायक है।
यदि किसी व्यक्ति की त्वचा पीली है तो इसका कारण होता है खून मे आयरन की कमी, शहद मे लौह तत्व अधिक मात्रा मे होता है । सुबह शाम भोजन के बाद नींबू के रस मे शहद मिलाकर सेवन करने से फायदा होता है ।
शहद की अम्लता और और एन्जाइम के कारण आंतो की आकुन्चन गति से वेग मिलता है आंतो की क्षमता बढ़ती है मल चिकना बनता है और आसानी से बाहर निकलता है
मधुशर्करा मे एन्टिमनी क्लोरोफार्म कार्बनटेट्राक्लोरोराइड आदी जहरीले द्रव्यो का असर खत्म करने की शक्ति भी होती है । लम्बे समय तक शहद का सेवन नही करना चाहिए और न ही अधिक मात्रा मे शहद का सेवन करना चाहिए ।
शहद के फायदे ( Benefits of honey in hindi)
1-अदरक या तुलसी के रस को चम्मच मे गर्म कर उसमे शहद मिलाकर उपयोग करने पर खांसी जुकाम मे लाभ होता है ।2-शहद मुँह मे रखते ही तत्काल घुलकर शरीर को उर्जा देता है । जितनी जल्दी शहद पचता है, उतनी जल्दी अन्य कोई पदार्थ नही पचता है।
3-शहद चाटने से हिचकी बन्द होती है
4-थकान होने से तत्काल ताजगी आती है
5-शरीर के किसी भाग के हल्का जलने पर शुद्ध शहद लगाने से जलन मे आराम मिलता है ।
6-काली खांसी होने पर शहद के साथ दो बादाम की गिरी लेने से आराम मिलता है ।
7-शहद को पानी के साथ पीने से चर्म रोग को आराम मिल सकता है ?
8-टांसिल होने पर सेब के रस मे शहद मिलाकर लेना लाभकारी है ।
9-यदि किसी घाव से खून बन्द नही हो रहा हो तो उस पर शहद लगा देना चाहिए
10-अनार के रस मे शहद मिलाकर लेने से स्मरण शक्ति बढ़ती है और और दिमागी कमजोरी सुस्ती थकावट दूर होती है ।
11-मुँह के फोड़े फुंसी मे प्रातः ताजे पानी मे दो चम्मच शहद डालकर लेना चाहिए
शहद खाने के तरीके ( How to use honey)
12-एक बड़े गिलास पानी मे दो चम्मच शहद और दो – तीन बूँद नींबू का रस मिलाकर पीने से शरीर को तत्काल उर्जा मिलती है13-गर्म पानी मे दिन मे तीन बार शहद मिलाकर लेने से जुकाम मे राहत मिलती है
14-आधे सिरदर्द मे एक छोटे कप मे गुनगुने पानी मे दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से लाभ होता है ।
15-अनिन्द्रा की शिकायत मे नियमित रुप से शहद लेने पर नींद अच्छी आती है ।
16-अदरक का रस और शहद मिलाकर लेने से खांसी और कफ दूर होते है ।
यह भी पढ़े -सरसो के तेल के जबरदस्त चमत्कारिक फायदे
शहद के सेवन से वजन कैसे घटाये ( How to use honey weight loss in hindi )
17-शहद मे एक विशेष गुण होता है गरम पानी से लेने पर उसकी तासिर गर्म और ठंडे पानी से लेने पर ठंडी होती है ।प्रातः और सायँ गरम पानी मे शहद मिलाकर पीने से शरीर की चर्बी कम होती है ।
यह भी पढ़े - मोटापा कैसे कम करे और वज़न कम करने के घरेलु नुस्खे हिंदी में जाने
दूध और शहद के फायदे ( Benefits of honey and milk in hindi )
18-दूध और शहद को मिलाकर चेहरे पर लगाने से निखार आता है।19-गुनगुने दुध मे एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से प्रजनन क्षमता बढ़ती है और शुकरणु की संख्या भी बढ़ती है ।
20- गर्म दूध मे शहद मिलाकर पीने से तनाव मे आराम मिलता है ।
21- अगर आपको रात मे नींद नही आती है तो आप बिस्तर पर जाने से एक घंटा पहले गर्म दूध मे थोड़ा सा शहद मिलाकर ले ।
22-गर्म दूध मे शहद मिलाकर पीने से पाचन क्रिया को भी बेहतर बनाने का काम करता है जिससे आपको कब्ज और अपच की समस्या नही होगी ।
23-हड्डियो की मजबूती के लिए दूध बताया जाता है अगर आप उसमे शहद मिलाकर पियेंगे तो आपको ज्यादा फायदा मिलेगा क्योकि हड्डियो मे कोई नुकसान हुआ है तो यह उसकी भरपाई भी करता है।
24-गर्म दूध मे शहद मिलाकर पीने से शारीरिक और मानसिक थकान दूर होती है । Health Improvement Tips In Hindi https://hindikhushi.in
Monday, 28 January 2019
सौन्दर्यबोध
यदि तुम सुन्दरता की खोज करोगे तुम सत्य को उपलब्ध हो जाओगे | तुम्हारे अन्दर जितना अधिक सौन्दर्यबोध होगा , तुम सुन्दरता के प्रति जितने अधिक संवेदनशील होगे , तुम उतने ही अधिक संतुलित और लयबद्ध होते जाओगे क्योंकि अन्ततोगत्वा सुन्दरता परमात्मा की ही सम्पत्ति हैं | जब आँखों में प्रेम होता है तो एक कुरूप चेहरा भी सुन्दर बन जाता हैं |
यदि तुम मनुष्य के अन्दर देखना चाहते हो तो तुम्हे रूप सौन्दर्य के घर में जाना चाहिए |
बाउलो कहते है - यदि तुम मनुष्य का अंतरतम देखना चाहते हो तो तुम्हे रूप और सौन्दर्य के शाश्वत घर में प्रवेश करना होगा | प्रेम में अधिक सौन्दर्य बोध हैं , वासना में लगभग सौन्दर्य -बोध है ही नही | वासना कुरूप है , और तुम इसका निरिक्षण कर सकते हो |जब कोई तुम्हारी ऑर वासना की दृष्टि से देखता हैं , तो क्या तुमने उसका चेहरा देखा हैं ? वह कुरूप हो जाता है | जब वहा आँखों में वासना होती तो एक सुन्दर चेहरा भी कुरूप बन जाता है | और इसके ठीक विपरीत भी घटता है : एक कुरूप चेहरा भी जब आँखों में प्रेम होता है , सुन्दर बन जाता है | आँखों में प्रेम होने से चेहरे को पूरी तरह से भिन्न एक नया रंग मिल जाता है ,एक भिन्न प्रभा मंडल उत्पन्न हो जाता हैं | वासना का आभा मंडल काला और कुत्सित होता है | किसी की ऑर वासना से देखना ही कुरूपता हैं | वह सौन्दर्य की खोज नही है |कवि गुरु रविन्द्रनाथ टैगोर ने कहा " सौन्दर्य ही सत्य हैं " और उन्होंने ठीक ही कहा है | वह बाउलो से अधिक प्रभावित थे | वास्तव में वह ही प्रथम व्यक्ति थे , जिन्होंने बाउलो को पश्चिम से परचित कराया , वह प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने बाउलो के कुछ गीतों को अंग्रेजी में अनुवाद किया | वह स्वंय ही वक तरह के बौल थे | वह कहते है " सौन्दर्य ही सत्य है |" यदि तुम सुन्दरता की खोज करोगे तुम सत्य को उपलब्ध हो जाओगे | तुम्हारे अन्दर जितना अधिक सौन्दर्यबोध होगा , तुम सुन्दरता के प्रति जितने अधिक संवेदनशील होगे , तुम उतने ही अधिक संतुलित और लयबद्ध होते जाओगे |
यदि तुम मनुष्य का अंतरतम देखना चाहते हो तो तुम्हे रूप और सौन्दर्य के शाश्वत घर में प्रवेश करना होगा | उसके सभी मार्ग ब्रमाहंड में एक दूसरे को कटे हुए जहा जीवन , मृत्यु के सात्घ रहता है और होश , पागलपन के साथ , सभी के पार चले जाते है | उसके सभी रास्ते सभी सीमाओं का अतिक्रमण करते है , जहा जीवन और मृत्यु साथ - साथ रहते है , और होश , पागलपन के साथ | परमात्मा में मृत्यु और जीवन दो चीजे नही है | परमात्मा के लिए अन्धकार और प्रकाश दो चीजे नही है | परमात्मा के लिए प्रारम्भ और अन्त भी दो चीजे नही है | परमात्मा का अर्थ है समग्रता:परमात्मा सभी की चिन्ता करता है |
इसलिए जब तुम परमात्मा के निकट जाते हो , तुम खोओगे कुछ भी नही , और सब कुछ पा लोगे | एक असली धार्मिक व्यक्ति वह होता है जिसका कोई अतीत नही होता , जिसकी कोई आत्मकथा नही होती , जो निरन्तर नया होता हैं , उसका प्रत्येक क्षण परमात्मा के साथ फिसलते हुए चलता हैं | वह फ़िक्र करता ही नही , जो घटना घट चूकि वह घट चूकि , मामला खत्म हुआ | अब वहा पूर्ण विराम लगा दो पीछे मुडकर देखो ही मत | बढ़ते चलो |
जब तुम स्वंय अपनी गहराई में पहुचते हो , जब तुम अपने हृदय के केंद्र का स्पर्श करते हो , तो तुम उस भूमि के क्षेत्र पर आ जाते हो , जहा से फिर जुदाई होती ही नही है | वहा , तुम न केवल परमात्मा के साथ हो , तुम उसके साथ मिलकर एक ही हो जाते हो - क्योंकि तुम उसके ही एक खंड हो | यह "वह " ही है जिसने तुम्हारे समान बनकर अपने को अभिव्यक्त किया है | धन्यभागी और भाग्यशाली होने का अनुभव करो , ' उसने ' भी तुम्हे अपने अनेक रूपों में से एक रूप में चुन लिया है |
अपनी आँखे बन्द करो और उसे पकड़ने का प्रयास करो वह हाथो से फिसला जा रहा है
osho---
Thursday, 31 May 2018
जोड़ो के दर्द का चमत्कारी तेल
तो जाने अदभुत दर्द का तेल बनाने की विधि
joint pain ayurvedic treatment (in hindi)
Featured post
· . प्रेम आत्मा का भोजन है।
· · ....... प्रेम आत्मा का भोजन है। प्रेम आत्मा में छिपी परमात्मा की ऊर्जा है। प्रेम आत्मा में निहित परमात्मा तक पहुंचने का मार्ग ...
-
अनहद नाद कृपया समझाएं कि अनाहत नाद एक प्रकार की ध्वनि है या कि वह समग्रत: निर्ध्वनि है। और यह भी बताने की कृपा करें कि समग्र ध्वनि और समय न...
-
एक मित्र ने मुझे सवाल पूछा है कि यह जो यहां कीर्तन ...
-
स्त्री और पुरुष के शरीरों के संबंध में, पहला शरीर स्त्री का स्त्रैण है, लेकिन दूसरा उसका शरीर भी पुरुष का ही है। और ठीक इससे उलटा पुरुष के स...
