Saturday, 5 August 2017

असफलता ही सफलता की सीढ़ी है।

                       

   
शेर हमला करने से पहले अपने कदम पीछे हटाता है। जब कोई  बिल्डिंग आप देखते है चाहे वह दस मंजिला हो, बीस हो, पचास हो या एक मंजिला ही क्यो न हो, शुरुआत हमेशा जमीन से नीचे की ओर से होती है जमीन से नीचे जाए बीना आप एक मंजिला इमारत भी खड़ी नही कर सकते जितनी मजबूती से नीचे का कार्य होगा उतनी ही ऊपर की इमारत मजबूत होगी
 अगर डाक्टर बनना हो तो कम से कम पाँच साल लगते है इंजीनियर बनना हो तो चार साल लगते है
हम जब भी कोई काम शुरू करते है चाहे वह व्यापार हो अभिनय का क्षेत्र हो खिलाड़ी हो या कोई भी क्षेत्र हो, शुरुआत मे सफलता नही मिलती पहले नीचे की ओर, वरन असफलता झेलनी पड़ती है जितने भी सफल व्यक्ति है सब शुरुआत मे असफल हुए, आप किसी भी सफल व्यक्ति या महापुरुष का इतिहास उठाकर देख सकते हो ।
 शुरुआत मे सब नीचे की ओर गये फिर इमारत बननी शुरु हुयी ।
इसको आप प्रकृति का नियम भी कह सकते हो ।
शुरुआत मे नीचे की ओर जाते है जो घबरा गया या टूट गया उसका इस दुनिया मे कोई अस्तित्व नही रहता ।
और जो नीचे जा कर भी हिम्मत नही हारता वह दुगने जोश के साथ ऊपर उठता है ओर अपनी हार को जीत मे बदलता है जब भी हम कोई काम शुरु करते है तो कम से कम चार पाँच साल सिखने के होते है इन शुरुआती सालो मे ज्यादा आय की आशा न रखे अगर आप का ख्रर्चा भी निकलता रहे तो वह  बहुत बड़ी बात होगी । हमे सिर्फ अपने कर्म पर ध्यान देना है ।
मि, रमेश को अभिनय का शोक था उसने अभिनय को ही कैरियर बनाने की सोची उसने अच्छे अभिनय स्कूल से अभिनय का कोर्स किया उसके बाद कई थ्येटर किए छः माह तक उसे कोई काम नही मिला हिम्मत हार कर। वह वापस आ गया
 शाहरुख खान आज एक प्रसिद्ध अभिनेता है सुपर स्टार है जब वह दिल्ली से मुम्बई आये थे तो पाँच साल तक कोई काम नही मिला ।पाँच साल की खाक छानने के बाद फौजी सीरियल मे काम मिला । उसके बाद एक और सीरियल सर्कस मे काम करने का मौका मिला उसी दौरान उसे फिल्म दिवाना मिली । फिर उसने मुड़ कर नही देखा ।
 शुरुआत मे पाँच साल तक मुम्बई की गलियों मे धक्के खाते रहे अगर वह एक साल या दो साल मे हिम्मत हार जाता तो वह आज सुपरस्टार नही होता । उन शुरुआती पाँच साल जो उसके संघर्ष के थे वह नीचे की और जा रहा था दिन प्रतिदिन नींव मजबूत हो रही थी जब उसने ऊपर की और जाना शुरु किया तो नीचे की और झांककर  भी नही देखा आज वह सुपरस्टार है ।
 सफल और असफल लोगो मे यही अन्तर होता है असफल लोगो मे लड़ने की क्षमता नही होती उनकी विल पावर बहुत कम होती है जो सफल हुए है वह जब तक सफल नही हो जाते उनकी विल पावर दिन प्रतिदिन मजबूत होती चली जाती है वह अपने को सफल व्यक्ति की श्रेणी मे रखकर ही दम लेता है।
 यह दुनिया नकारात्मक लोगो से भरी हुयी है जिस प्रकार जंगल मे शेर बहुत कम होते है इसी प्रकार सफल लोग भी इस दुनिया मे बहुत कम है ।
 अधिकांशतः लोग असफल लोगो को ही देखते है उनसे अपनी तुलना करते है इसी कारण से वह ऊपर नही उठ पाते ।
 यह एक सृष्टि का नियम है जितना मांगोगे उससे कम ही मिलेगा
कोई बीस हजार रुपये महीने की आय का सपना देखता है तो वह बीस से नीचे ही रहेगा या उसके समकक्ष
कोई एक लाख का, तो कोई करोड़ का सपना देखता है तो वहा तक अवश्य पहुचेगा ।
 जैसा सोचोगे वैसा बनोगे
बड़ा सोचोगे तो बड़ा मिलने की सम्भावना बनी रहेगी ।
एक प्रोफेसर ने क्लास मे छात्रो से पूछा –“यहा से निकलने के बाद आप मे से कुछ नौकरी करेंगे कुछ व्यापार करेंगे । आपको कितने का वार्षिक पैकेज चाहिए जिससे आप संतुष्ट हो सके और सुखी जीवन जी सके ।
 कुछ ने चार लाख। कुछ ने छः लाख, कुछ ने दस, कुछ ने बीस लाख,
 सब ने अपने हिसाब से कुछ न कुछ बताया । पुरी क्लास मे एक छात्र एसा था जो कुछ नही बोला
प्रोफेसर ने उससे पूछा – तुमने कुछ नही बताया
उस छात्र ने कहा – सर जो मुझे चाहिए वह मै नम्बर्स मे नही बता सकता ।
प्रोफेसर ने आश्चर्य से पूछा –“ फिर कैसे बताना चाहते हो ।
सारी क्लास के छात्र भी उसे ही देख रहे थे ।
“सर इसके लिए हमे क्लासरुम से बहार जाना होगा ।
प्रोफेसर ने उसकी बात मान ली वह सब छात्रो के साथ बहार आ गये
वह छात्र अपने दोनो हाथो को पास लाया और बोला – मुझे इतना नही चाहिए “
फिर अपने दोनो हाथो को खोलता गया –“मुझे इतना भी नही चाहिए “
 फिर दोनो हाथो को आसमान की और फैलाते हुए बोला- जितना आसमान दिखता है मुझे उससे भी ज्यादा चाहिए ।

                 
 यह बोलते समय उसके आँखो मे एक अलग सी चमक थी ।
 प्रोफेसर ने ताली बजायी फिर सभी क्लासरुम मे आगये ।
 उन्होने कहा-यह लड़का एक दिन इतनी ऊचाईया छुएगा जहाँ नम्बर्स मायने नही रखते ।
 जो लोग सिर्फ कर्म को महत्व देते है वे नम्बर्स के गेम मे नही उलझते ।
 अमीताभ बच्चन शाहरुख खान मुकेश अंबानी आदि एसे लोग है जिनके पास इतना पैसा है पुरी जिन्दगी एशो अराम से काट सकते है ।उन्हे काम करने की कोई आवश्यकता ही नही है ।
अमिताभ बच्चन इस उम्र मे भी आज कितनी मेहनत करते है। उनके लिए नम्बर्स नही, कर्म महत्वपूर्ण है एसा करने मे उन्हे आन्नद की अनुभूति होती है प्रतिदिन एक नई उर्जा के साथ  उठते है और अपने कर्म के प्रति ईमानदार है ये कभी नही सोचते हमारे पास बेहिसाब दौलत है हमे काम करने की क्या जरुरत है या एक दिन काम नही करेगे तो क्या फर्क पड़ता है ?
 एसा सिर्फ आलसी और असफल लोग ही सोचते है और हमेशा दुखी और तनाव भरा जीवन जीते है ।
 इतने बड़े मुकाम पर पहुचने के बाद एसा नही है इनको असफलता नही मिलती शाहरुख खान की सारी फिल्मे हिट नही होती एक समया एसा भी आया अमिताभ बच्चन की फिल्मे एक के बाद एक फ्लाप हो रही  थी । मगर वह अपने कर्म के क्षेत्र मे अपना सर्वश्रेष्ठ देते रहे ।
 असफलता का अफसोस नही होता बल्कि अगली बड़ी सफलता का प्लेटफार्म तैयार होता है अगर हम अपना सौ प्रतिशत देने को तैयार है तो सफलता असफलता मायने नही रखती ।
हमे यह सन्तुष्टी रहती है हमने अपना सौ प्रतिशत दे दिया आगे परमात्मा की मर्जी ।
 कभी असफलता से विचलित न हो, न ही सफलता से अतिउत्साहित हो । दोनो ही परिस्थितियों मे सम रहना है  दोनो ही परिस्थितियों मे आपके आन्नद मे हलचल नही होनी चाहिए ।
 आप सिर्फ कर्म करते चले जाओ अपना सौ प्रतिशत देते चले जाओ बाकी सब परमात्मा पर छोड़ दो आपको सफल होने से कोई नही रोक सकता ।


     

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