Wednesday, 17 May 2017

How To Be Successful In Life


           


'महंगाई बहुत है'   
'महंगाई के कारण पुरे महीने का खर्चा चलाना मुश्किल हो रहा है'
'हे भगवान आज के इस महंगाई के दौर मे बच्चो को शिक्षित करना कितना मुश्किल होता जा रहा है'
उपरोक्त वाक्य हमे अक्सर सुनने को मिलते है
कभी आपने सोचा है ये कौन लोग बोलते है ?
गरीबी की रेखा मे रहने वाले लोग,
उससे थोड़ा ऊपर जिसे हम औसत कह सकते है
 निम्न मध्यवर्गीय कह सकते है
 ये सब अपने जीवन मे असफल लोग है जो सिर्फ अपना जीवन काट रहे है और किसी न किसी से चोट खाये होते है या कुछ करना तो चाहते थे मगर असफल हो गये, गिर पड़े,
उठे और दुसरी दिशा मे घिसटते हुए चल दिये यही वह लोग है जो हमेशा रोते रहते है
महंगाई बहुत है
कुछ ही चन्द लोग एसे है जिन्हे कभी महंगाई नही लगती अपनी आवश्यकता के अनुसार बड़े मजे से खर्चा करते है सही मे अगर जिन्दगी का मजा ले रहे है तो यही वह चन्द लोग है जिन्हे  हम सफल लोगो की श्रेणी मे रख सकते है ।
सफल व्यक्ति उसे कहा जा सकता है जिसे उसकी आवश्यकता की वस्तुए सस्ती लगने लगे ।
तीन तरह के लोग इस दुनिया मे पाये जाते है
गरीब, औसत और सफल
गरीब व्यक्ति इस लिए गरीब है वह अपने को गरीब मानता है वह हारा हुआ इन्सान है उसने गरीबी को अपनी तकदीर मान लिया है कभी उसने अपने को ऊपर उठने का प्रयास ही नही किया और सबसे ज्यादा शारीरिक मेहनत भी यही करता है । दिन मे कई बार यह अपने को याद दिलाता है वह गरीब है वह हमेशा परेशान रहता है तनाव मे रहता है उससे अगर आप बात करे तो आपको वह इतने दुख गिना देता है
‘मै जीवन मे बहुत कुछ कर सकता था मगर मुझे उसने धोखा दे दिया’
‘मेरी तो बीमारी ही जाने का नाम नही लेती’
आदि न जाने कितने दुखो के भवर मे फंसा है
इन सब तनाव को कम करने के लिए वह शराब का सहारा लेता है गरीब आदमी सबसे ज्यादा शराब पीता है और बच्चे पैदा करता है इससे वह कुछ समय के लिए अपने दुख भूल जाता है ।
औसत आदमी जीवन मे बहुत कुछ करना चाहता है मगर असफल हुआ,
गिरकर किसी तरह से उठा मगर फिर से न गिर जाऊ संभलकर चलने लगा जो कुछ मेरे पास है वह खो न जाए या कम न हो जाए उसकी सारी ऊर्जा उसमे ही लगी रहती है वह हमेशा इसी गुणा भाग मे लगा रहता है किस तरह खर्चा कम हो या कहा से पैसे बचाए जा सकते है ।
जबकि सफल व्यक्ति यह नही सोचता खर्चा कैसे कम हो बल्कि वह चिन्तन करता है कैसे अपनी आय बढाई जाए ।
 अब  बात करते है उन चन्द सफल लोगो की
सफल लोगो मे एक बात देखने मे आती है ये प्रत्येक वर्ग का प्रतिनिधित्व करते है चाहे उधोगपति हो बड़े व्यापारी हो मन्त्री हो खिलाड़ी हो या किसी भी क्षेत्र मे सफलता हासिल की हो इसमे आपको गरीब निम्न उच्च मध्यमवर्गीय अमीर प्रत्येक वर्ग का प्रतिनिधित्व मिलेगा ।
सफल, औसत और गरीबी की दलदल मे फंसे लोगो मे क्या अन्तर है ? जो चन्द सफल लोग है ये भी असफल हुए मगर हारे नही अपनी असफलता से बहुत कुछ सीखा ।
गिरे उठे और फिर दौगने जोश के साथ चल दिए और अपने गिरने के कारणो की समिक्षा की और आगे बढे
फिर गिरे
 उठे
फिर चौगने जोश के साथ अपने गिरने के कारणो की समिक्षा की और आगे बढे । अपनी असफलता से निराश नही हुए उससे सिखते हुए आगे बढते गये ।
 जितने भी सफल लोग है चाहे खिलाड़ी हो एकटर हो उधोगपति आदि  सभी कितनी बार असफल हुए है उनमे और औसत लोगो मे सिर्फ एक ही फर्क रहा है औसत असफल होने के बाद उठ नही पाये,
 उठे भी तो अपनी दिशा बदल ली सफल लोग असफलता से निराश नही हुए बल्कि उसे सिखने का माध्यम बनाया असफलता ही उनकी सफलता की प्रेरणा बनी ।
 जब किसी देश की क्रिकेट टीम मैच हारती है तो उसके हारने के कारणो की समीक्षा की जाती है अब तो टीम कोच मैच की विडियो बनवाते है और हारने के कारणो को खिलाड़ियो के साथ देखते है और उसकी समीक्षा करते है जो गलतियॉ उस मैच मे की थी अगले मैच मे उन गलतियो को सुधारते हुए पुरे जोश के साथ मैच खेलते है ।
 असफलता सिर्फ सिखने के लिए होती है जो सिखता है वही हार को जीत मे बदलता है ।
हार को जीत मे बदलने वाला ही सफलता के शिखर पर पहुचता है अगर हमारे अन्दर सिखने का जज्बा है तो असफलता भी हमारे लिए फायदे का सौदा हो सकती है
 मगर यह मनुष्य भी अजीब है जब यह जीतता है तो उसका श्रेय स्वय लेना चाहता है लोगो से सुनना चाहता है
मगर इसके विपरीत जब असफल होता है तो वह दोष दूसरो पर मढ़ना चाहता है ।
उसने मेरे साथ एसा किया इसलिये मुझे नुकसान उठाना पढा या उसके कारण आगे नही बढ पाया ।
 सफल व्यक्ति कभी दूसरो पर आरोप नही लगाता बल्कि अपनी प्रत्येक
असफलता को सकरात्मक दृष्टि से देखता है और उससे कुछ न कुछ अवश्य सिखता है ।
 औसत असफल व्यक्ति हमेशा अपनी कमिया छिपाता है और अपनी असफलता का दोष दूसरो पर मढता है ।
  ‘मै यह करना चाहता था मगर मेरे मां –बाप ने नही करने दिया ‘
इस तरह के डायलॉग हमे अक्सर सुनने को मिलते है
एसे लोगो से एक सवाल पूछे –
क्या सारे काम आपने मां –बाप की मर्जी से किये है फिल्मे देखना मोबाइल पर व्हाटसैप फेसबुक पर घंटो बैठे रहना यू टयूब पर विडियो देखना दोस्तो के साथ मस्ती करना , अगर यह सब काम आपने अपने मां –बाप की मर्जी के खिलाफ किए है
फिर वह एक काम जिसमे आपको लगता है आप बहुत कुछ कर सकते है मां –बाप की मर्जी के विरुध क्यो नही कर सकते ।
 यह सब बहानेबाजी है डर हमारे अपने अन्दर होता है हम अपने कमफर्ट जोन को छोड़ना नही चाहते और अपनी असफलता का आरोप दूसरो पर लगाते रहते है
सफल और असफल लोगो मे सबसे बड़ा फर्क यही होता है सफल लोग अपनी असफलता की जिम्म्रेदारी स्वयं लेते है और उससे कुछ  सिखते है और फिर पूरे जोश से आगे बढते है । असफल लोग असफल होने पर दोष दूसरो पर मढते है उस असफलता से सिखना तो दूर आगे बढने का होसला भी खो देते है ।
 असफलता ही सफलता की सीढी होती है जितने भी सफल लोग हुए है कितनी बार असफल हुए मगर असफलता से निराश नही हुए बल्कि उस असफलता को आगे बढने का माध्यम बनाया ।

थोमस एडिसन, kfc के मालिक कर्नल सैडर्स, निरमा कम्पनी के मालिक कर्सन भाई पटेल, सन्दीप महेश्वरी आदि एसे नाम है जो बार बार असफल हुए मगर हिम्मत नही हारी और एक दिन अपनी नजरो मे दुनिया की नजरो मे सफल कहलाए ।   

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