जो अपने हिस्से मे आये हुए छोटे से काम को करते
समय भी बुदबुदाता था वह प्रत्येक काम मे
बुदबुदायेगा । सदैव बुदबुदाते हुए वह एक दुखपूर्ण जीवन बितायेगा और प्रतियेक कार्य
मे असफल होगा किन्तु वह व्यक्ति जो अपने कर्तव्य को पूरी शक्ति के साथ करता
रहेगा,पहिये मे अपना कन्धा लगाये रहेगा । अन्त मे वह अवश्य ही फल पायेगा और
अधिकारिक उत्तदायित्व निभाने का अवसर उसे मिलेगा ।
जिस
व्यक्ति को विश्वास होता है कि काम कर लेगा उसे हमेशा उस काम को करने का तरीका सुझ
जाता है।
प्रत्येक व्यक्ति बड़े-बड़े सपने तो देखता है
ऊचाईयो को छुना चाहता है पर कितने व्यक्ति अपने सपने साकार कर पाते है । कुछ चन्द जीव ही अपनी मंजिल तक पहुँच पाते
है । हम बात करते है उन व्यक्तियो की जो सपने तो देखते है अपने लक्ष्य का भी
निर्धारण कर लेते है मगर कर्म नही करना चाहते किस्मत के सहारे बैठे रहते है । सोचते
रहते है किस्मत मे होगा तो भगवान भी हमसे नही छिन सकता । कुछ लोग
कर्म तो करते है मगर उनमे धैर्य नही होता वे तुरन्त फल की इच्छा करते है । एसे लोग
कभी मंजिल तक नही पहुच पाते । हमेशा अपनी किस्मत को दोष देते रहते है ।
धैर्य ही सफलता की कुन्जी है । आप
एकाग्रता व लगन से अपनी मंजिल की और बढे, धैर्य
रखे आप अवश्य सफल होंगे कर्म करते हुए अपने लक्ष्य पर फोकस रखो । जिस प्रकार
अर्जुन का लक्ष्य सिर्फ चिड़िया की आँख थी । गुरु
द्रोणाचार्य ने जब अर्जुन से पुछा –तुम्हे क्या दिख रहा है ? तब उसका जवाब था मुझे
सिर्फ आँख दिख रही हैं । अर्जुन का लक्ष्य आँख थी । उसे चिड़िया भी नही दिख रही थी
उसका फोकस सिर्फ अपने लक्ष्य पर था ।
हमे अपने
लक्ष्य का निर्धारण करना चाहिए फिर उसे अपना
लक्ष्य बनाए । एकाग्रता लगन से हमे अपने लक्ष्य को साधना है । हमे अपने मन को
आस-पास दाये-बाये भटकने नही देना है । हमे
चिड़िया नही वरन उसकी आँख ही दिखनी चाहिए । हमे सफलता अवश्य मिलेगी ।
कुछ लोग थोड़ा सा कार्य करते है सोचते है हमे वह
सब कुछ मिल जाये जिसे उन्होने अपना लक्ष्य बनाया था । एसे लोग अपने लक्ष्य से तो
भटक जाते है बल्कि वे जहां से चले थे उससे भी पीछे पहुँच जाते है
उतावलापन कभी मत करो धर्य रखो,पूरी एकाग्रता और
लगन से कार्य करो। अपने मे कमी देखो,आपमे कमी कहा है आत्मचिन्तन किजिये मनोवेग
आपको कहाँ परेशान करता है यही से आप शान्ति का रास्ता पा सकेगें । आप जल्दी आवेश
मे आ जाते है, शीघ्र क्रोधित हो जाते है आपमे सहन करने की क्षमता कम है, अगर आपके
अनुरुप कार्य नही होता तो आप झल्ला जाते है अपना सन्तुलन खो देते है तो आपको कभी
सफलता नही मिलेगी । अगर मिलती भी है तो वह आपके गुण कौशल के अनुसार काफी कम होगी ।
जीवन मे सफलता मिलती है धैर्य से, संयम से, आपमे काबलियत है तो आपने जो लक्ष्य निर्धारित
किया है उस तक अवश्य पहुचेगे । अगर आपकी प्रकृति मे क्रोध और कठोरता है तो उसे
छोड़ दीजिये । आपके ह्र्दय की यह कठोर और क्रूर दशाये आपका हित तो बिलकुल नही करती,
यह आपकी सफलता मे सबसे बड़ी बाधा है । इससे आप दूसरो को व अपने आप को दुख के
अतिरिक्त कुछ नही दे सकते ।
यदि
आपको कोइ कटु वचन कहता है या आपके साथ दुरव्यवहार करता है बदले मे आप भी उसके साथ
वैसा ही व्यवहार करते है दुसरे का कटु वचन
व व्यवहार आपको चुभता है तो उसके बदले मे किया गया आपका व्यवहार भी उसे उतना ही
ठेस पहुचायेगा कोइ औचित्य नही बदले मे आप भी वैसा ही व्यवहार करे ।
आपको
नरम पड़ते हुए अग्नि मे पानी डालने का काम करना
चाहिए। पानी डालने से ही अग्नि ठंडी होती है । सोचने वाली बात है क्या आग
आग को बुझा पाती है ? क्रोधपूर्ण व्यवहार से कभी भी क्रोध पर नियन्त्रण नही किया
जा सकता है ।
शान्तिप्रिय दयालु आत्मनिर्भर बने । धैर्य रखना
सिखिए । सफलता को संयम के साथ स्विकार करे । असफलता पर विचलित न हो क्योकि असफलता
ही सफलता की सीढ़ी है हमेशा विनम्र बने रहिए आवेश को अपने नजदीक न आने दे । देखना
एक दिन आपकी गिनती सफल लोगो मे होने लगेगी ।
एक विचार लो उस
विचार को अपना जीवन बना लो-उसके बारे मे सोचो उसके सपने देखो,उस विचार को जियो,अपने
मस्तिष्क, मांसपेंशियो,नसो,शरीर के प्रत्येक हिस्से को उस विचार मे डूब जाने दो,
और बाकी सभी विचारो को किनारे रख दो, यही सफल होने का तरीका है विवेकानन्द
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