गाठिया का रोग पहले सिर्फ 50
साल से उपर के लोगो को ही देखने सुनने मे आता था मगर आज के समय मे खान-पान की गलत
आदते और पाचन खराब होने के कारण कम उम्र मे ही गाठिया रोग होने लगा है अब तो यह
बीमारी छोटे-छोटे बच्चो मे भी होने लगी है
खराब खान-पान,शारीरिक कार्य न होने के कारण पाचन शक्ति क्षीण हो जाती है।
भोजन सही ढंग से न पचने के कारण कई प्रकार के जहर बनते है । (विस्तृत जानने के लिये my life my health पढ़े ) उनमे से एक
युरिक एसिड जोड़ो मे जमा हो जाता है ।
घुट्नो मे भयंकर दर्द होता है चलने मे भी परेशानी होती है कई बार तो दर्द इतना बढ जाता है चला
भी नही जाता । जिसे गाउटी आर्थराइटिस कहते है ।यह घुटनो के जोड़ो मे यूरिक एसिड के जमा
होने के कारण से होता है । हम केवल दर्द निवारक औषधिया लेते रहते है । जब तक उनका असर
होता है तब तक तो दर्द को थोडा बहुत आराम हो जाता है मगर औषधिया छोडने के बाद या
औषधियों का असर कम होने के बाद दर्द फिर से होने लगता है ।
भी नही जाता । जिसे गाउटी आर्थराइटिस कहते है ।यह घुटनो के जोड़ो मे यूरिक एसिड के जमा
होने के कारण से होता है । हम केवल दर्द निवारक औषधिया लेते रहते है । जब तक उनका असर
होता है तब तक तो दर्द को थोडा बहुत आराम हो जाता है मगर औषधिया छोडने के बाद या
औषधियों का असर कम होने के बाद दर्द फिर से होने लगता है ।
आयुर्वेद मे दर्द निवारक औषधियो के साथ-साथ इसके होने का कारण यानी यूरिक एसिड न बने जो
है वह खत्म हो जाए तो इस बीमारी से स्वतः ही राहत मिल जायेगी ।
है वह खत्म हो जाए तो इस बीमारी से स्वतः ही राहत मिल जायेगी ।
महिलाओ मे कन्धो मे जकड़न,कुल्हे से पैरो तक दर्द ,हाथो के जोड़ो मे दर्द,आमतौर से देखने सुनने मे आता है ।
अधिकांशतः महिलाओ को, चाहे वह कामकाजी हो या ग्रहणी हो किसी न किसी प्रकार की
समस्या रहती है।


पुरुषो मे रीढ़ की हड्डी की गाठिया सबसे ज्यादा होता है
वह आगे की और झुक जाते है । कई बार कुल्हे मे भी दर्द होने लगता है । चलना फिरना
भी मुश्किल हो जाता है । कन्धो मे भी दर्द रहता है । कई बार तो दर्द असहनीय हो जाता
है ।
आइये जाने गाठिया का आयुर्वेदिक उपचार
1-सर्वप्रथम तो इम्यून सिस्टम का सही होना आवश्यक है ।
2-पाचनतन्त्र सही होना चाहिए । कब्ज consitipasion नही होना चाहिए ।
3-गाठिया का इलाज आयुर्वेद मे जड़ से खत्म किया जाता है न कि सिर्फ दर्द
का,
4-आयुर्वेद मे गाठिया के दर्द का मूल कारण खोज कर उसको खत्म किया जाता
है
उपचार –
असगन्ध नागौरी 30ग्राम, सुरजान शीरी 30 ग्राम, सोफ 30 ग्राम,सोंठ 10
ग्राम,जीरा 10ग्राम, सनाय 10ग्राम,
सुखा पौदीना 10ग्राम,काली मिर्च 5ग्राम ,इन सब को कुटकर मिक्सी मे चूर्ण बना ले । इसको छानकर चूर्ण को
सुबह शाम दुध से ले । ज्यादा दर्द हो तो सुबह दोपहर शाम तीनो समय दुध से ले । यह 40 दिनो तक लेना है ।
यह साइटिका गाठिया वात विकारो की उत्त्म औषधि है ।
सुखा पौदीना 10ग्राम,काली मिर्च 5ग्राम ,इन सब को कुटकर मिक्सी मे चूर्ण बना ले । इसको छानकर चूर्ण को
सुबह शाम दुध से ले । ज्यादा दर्द हो तो सुबह दोपहर शाम तीनो समय दुध से ले । यह 40 दिनो तक लेना है ।
यह साइटिका गाठिया वात विकारो की उत्त्म औषधि है ।
दर्द के स्थान पर नारायण तेल की मालिश करे ।
दर्द का तेल आप घर पर भी तैयार कर सकते है ।
तेल बनाने की विधि- सरसो का तेल 250ग्राम, तारपीन का तेल 100ग्राम
लहसुन की कलिया 50ग्राम,रतनजोत 20 ग्राम अमृतधारा 30ग्राम
सरसो का तेल किसी बर्तन मे गर्म कर ले । ठ्न्डा होने के बाद उसमे
लहसुन की कलियॉ छीलकर छोटे-छोटे टुकड़े करके डाल दे और हल्की आँच पर गरम करे । तेल
को इतना गर्म पकाये कलिया काली पड़ जाये ।गैस पर से उतार कर गरम तेल मे ही रतनजोत
डाल दे । तेल के ठन्डा होने पर इसे किसी बोतल मे कर ले और इसमे अमृतधारा और तारपीन
का तेल मिला दे।
2—असगंध नागौरी का चूर्ण 60ग्राम,सोंठ का चूर्ण 30ग्राम ,मिश्री 90
ग्राम इन तीनो को मिलाकर सुबह शाम लगभग 5ग्राम दुध या गर्म पानी से ले । 40 दिनो
तक लेने से जोड़ो के दर्द व वात रोगो मे आराम मिलता है
3-सुबह कुछ खाये बीना
चार-पाँच अखरोट की गिरिया खाने से घुटनो के दर्द मे आराम मिलता है और मस्तिष्क भी
पुष्ट होता है ।
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