Friday, 23 January 2015

Prevent and Cure yourself from diabetes (in hindi)


                                     
    भारत मे ही नही वरन पुरे विश्व मे मधुमेह (diabetes)बड़ी तेजी से बढ रहा है । पहले ये रोग केवल शहरो व महानगरो तक ही सीमित था मगर अब यह रोग ग्रामिण क्षेत्रो मे भी बड़ी तेजी से फैलता जा रहा है कुछ समय पहले यह बीमारी केवल अमीर समपन्न लोगो मे ही होती थी । मगर कुछ समय से यह गरीब लोगो मे ही नही वरन झुग्गी झोपड़ी मे रहने वाले लोग भी मधुमेह से ग्रस्त है । 
                                                                                          मधुमेह का कुछ वर्षो में इस तरह से बढ्ने का क्या कारण है 
                                                                                                                                                            लोगो के खान-पान की आदतो मे बड़ी तेजी से परिवर्तन आया है फास्ट-फुड कोल्ड-ड्रिंक  चाय आदि इनका सेवन बढा है । सम्पन्नता  बढ्ने के कारण शारीरिक श्रम मे भी कमी आयी है । गरीब लोगो मे जागरुकता  व साक्षरता की कमी के कारण बड़ी तेजी से इंसुलिन के अभाव मे मौत के मुँह मे जा रहे है। 

 आधुनिक जीवन शैली अपनाने के कारण प्रदुषित अप्राकर्तिक आहार-विहार खान-पान रहन-सहन तनाव आदि के फलस्वरुप मधुमेह व अन्य गंभीर बीमारियॉ बढ रही है ।
                                             मधुमेह होने के निम्न कारण -----
   अधिक मीठा पदार्थ खाने तथा चावल फास्ट- फुड कोल्ड ड्रिंक चाय आदि का अत्यधिक सेवन करने से

प्रमेह हो जाने पर उसकी यथा समय पर सही चिकित्सा न होने पर

लम्बे समय तक कब्ज रहने पर

अत्यधिक परिश्रम,व्ययाम व सहवास के तत्काल पश्चात शीतल जल पीने से

अप्राकृतिक व अत्यधिक स्त्री प्रसंग करने से

अत्यधिक अश्लील साहित्य देखना पढ़ना,बासी भोजन खाना,दिन मे सोना मुत्र वेग को रोकना अत्यधिक धुम्रपान करना आदि

अत्यधिक क्रोध करना,तनाव मे रहना,अनियमित निंद्रा आदि इस रोग के उतपन्न होने के करण है ।

मधुमेह पर नियन्त्रण करने के लिय ज्यादातर लोग दवाओ व डाकटरो पर निर्भर होते है । अगर हम अपनी जीवन शैली मे थोड़ा सा परिवर्तन कर ले तो इस रोग को अतिशीघ्र नियन्त्रण मे किया जा सकता है ।


मधुमेह के लक्ष्ण –अत्यधिक भुख व प्यास लगना,ज्यादा पेशाब आना,थकावट,जख्म देर से भरना,मुख मे दुर्गन्ध आना

, पैरो मे झनझनहाट रहना,नेत्र ज्योति कम होना,सिर भारी रहना,आदि मधुमेह के लक्षण हो सकते है।मधुमेह रहने से किडनी का खराब होना, दाँतों का गलना, नेत्र ज्योति का कम हो जाना, ह्रदयघात आदि रोग होने की सम्भावना बढ जाती है।

  कहा जाता है मधुमेह का रोग एक बार हो गया तो उम्र भर खामोसी के साथ रहता है । मगर आयुर्वेद के अनुसार इसपर नियन्त्रण किया जा सकता है । इसको नियन्त्रण मे करने का आसान तरीका है उचित आहार –विहार । आहार-विहार के नियमो का पालन करने से मधुमेह को हराया जा सकता है । जिनके माता-पिता दादा-दादी आदि को यह रोग रहा हो उन्हे बचपन से ही अपने खान-पान रहन-सहन मे सावधानी बरतनी चाहिए इस रोग के लक्षणो का पता चलते ही अपने खान-पान रहन-सहन मे उचित सुधार कर लेना चाहिए जिससे यह रोग पनपने न पाये और जिंदगी भर दवा व  इनसुलिन लेने के चक्कर से बचा जा सके ।

मधुमेह रोगी को सन्तुलित आहार लेना आवश्यक है । खान-पान मे थोड़ी सी सवधनी से व नियमित योगा मेडिटेशन से काफी हद तक आम लोगो की तरह जीवन जी सकते है । आयुर्वेद मे कहा गया है सैकड़ो द्वाये खाने पर भी पथ्यविहिन व्यक्ति का रोग नष्ट नही होता । मन वश मे होने , संतुलित आहार तथा ध्यान योगासन का अभ्यास होने पर मधुमेह रोग से ग्रस्त तथा त्रस्त होने का प्रश्न ही नही होता ।

मधुमेह के लक्षण व रक्त मे शर्करा होने पर चिन्तित व भयभीत न हो बल्कि इस समस्या का समाधान कर इसे नष्ट करने का प्रयास करे जो अब तक आहार –विहार की गलतिया की है जिसके कारण यह रोग जन्मा है साथ ही यह अन्य रोग भी लेकर आता है अतः पथ्य का पालन अपथ्य  का त्याग करे नियमित आहार-विहार का पालन करते हुए इस रोग को नियन्त्रित करे ।

1-प्रतिदिन पुरे शरीर की तेल मालिश करे

2-प्रतिदिन ध्यान व योगा करे

3-थोड़ी-थोड़ी देर मे कुछ न कुछ खाते रहे। मधुमेह रोगी को भरपेट भोजन नही करना चाहिए बल्कि 

थोड़े-थोड़े अन्तराल के बाद भोजन करना चाहिए इससे इन्सुलिन नार्मल रहता है व फैट भी नही 

बढ्ता ।

4-नियमित रुप से ब्लड शुगर की जांच करते रहना चाहिए । आप घर पर भी ब्लड ग्लूकोज मानिटर

 द्वारा जाँच कर सकते है।

5-विटामिन ई का प्रयोग करना चाहिए यह हमारे शरीर मे इंसुलिन की मात्रा को बढाता है । 

इंसुलिन रक्त से शुगर की मात्रा को दूर रखता है ।

 मधुमेह रोगी को आम लोगो की तुलना मे ह्र्दय रोग का खतरा ज्यादा होता है इस खतरे को कम 

करने का काम विटामिन ई करती है । विटामिन ई भरपुर मात्रा मे लेना चाहिए ।



आयुर्वेदिक उपचार-

1-शलजम का प्रयोग करने से रक्त मे स्थित शर्करा की मात्रा कम हो जाती है शलजम को आप सब्जी व सलाद के रुप मे नियमित रुप से सेवन कर सकते है।

2-आधा चम्मच हल्दी एक चम्मच आवला का चूर्ण नियमित लेने से रक्त शर्करा नियमित बनी रहती है और इन्सुलिन उचित मात्रा मे बनने लगती है । स्वस्थ व्यक्ति भी इसका प्रयोग करे तो मधुमेह ही नही कई बीमारियो से बचा जा सकता है ।

3-असगन्ध नागोरी, शतावर, मिश्री 100-100 ग्राम लेकर इसका चूर्ण बना ले। सुबह शाम ताजे पानी या दुध से ले ।

4-जामुन कि गुठली व करेले का चूर्ण 5-5 ग्राम लेने से मधुमेह मे काफी फायदा होता है ।

5-मेथीदाना 250ग्राम रात मे पानी मे भीगो दे प्रातः पानी से निकालकर सुखा ले और उसका चूर्ण बना ले । सुबह शाम लेने से लाभ होता है ।

मधुमेह का रोगी अपनी संयमित नियमित अनुशासित दिनचर्या से इस रोग को  परास्त कर सकने मे सक्षम है खान- पान रहन-सहन ध्यान योगा आदि के द्वारा वह मधुमेह जैसे रोग से मुक्त रह सकता है ।
  
         शर्करा बढ़ने पर चिकित्सक  से परामर्श ले 


Monday, 5 January 2015

gathiya ayurvadic treatment (in hindi)




गाठिया का रोग पहले सिर्फ 50 साल से उपर के लोगो को ही देखने सुनने मे आता था मगर आज के समय मे खान-पान की गलत आदते और पाचन खराब होने के कारण कम उम्र मे ही गाठिया रोग होने लगा है अब तो यह बीमारी छोटे-छोटे बच्चो मे भी होने लगी है  खराब खान-पान,शारीरिक कार्य न होने के कारण पाचन शक्ति क्षीण हो जाती है। भोजन सही ढंग से न पचने के कारण कई प्रकार के जहर बनते है । (विस्तृत  जानने के लिये  my life my health पढ़े ) उनमे से एक युरिक एसिड जोड़ो मे जमा हो जाता है ।  


घुट्नो मे भयंकर दर्द होता है चलने मे भी परेशानी होती है कई बार तो दर्द इतना बढ जाता है चला

भी नही जाता । जिसे गाउटी आर्थराइटिस कहते है ।यह घुटनो के जोड़ो मे यूरिक एसिड के जमा 

होने के कारण से होता है । हम केवल दर्द निवारक औषधिया लेते रहते है । जब तक उनका असर

होता है तब तक तो दर्द को थोडा बहुत आराम हो जाता है मगर औषधिया छोडने के बाद या 

औषधियों का असर कम होने के बाद दर्द फिर से होने लगता है ।

आयुर्वेद मे दर्द निवारक औषधियो के साथ-साथ इसके होने का कारण यानी यूरिक एसिड न बने जो

 है वह खत्म हो जाए तो इस बीमारी से स्वतः ही राहत मिल जायेगी ।

महिलाओ मे कन्धो मे जकड़न,कुल्हे से पैरो तक दर्द ,हाथो के जोड़ो  मे दर्द,आमतौर से देखने सुनने मे आता है । अधिकांशतः महिलाओ को, चाहे वह कामकाजी हो या ग्रहणी हो किसी न किसी प्रकार की समस्या रहती है।

 पुरुषो मे  रीढ़ की हड्डी की गाठिया सबसे ज्यादा होता है वह आगे की और झुक जाते है । कई बार कुल्हे मे  भी दर्द होने लगता है । चलना फिरना भी मुश्किल हो जाता है । कन्धो मे भी दर्द रहता है । कई बार तो दर्द असहनीय हो जाता है ।


आइये जाने गाठिया का  आयुर्वेदिक उपचार


1-सर्वप्रथम तो इम्यून सिस्टम का सही होना आवश्यक है ।

2-पाचनतन्त्र सही होना चाहिए । कब्ज consitipasion नही होना चाहिए । 

3-गाठिया का इलाज  आयुर्वेद मे जड़ से खत्म किया जाता है न कि सिर्फ दर्द का,

4-आयुर्वेद मे गाठिया के दर्द का मूल कारण खोज कर उसको खत्म किया जाता है

उपचार –
असगन्ध नागौरी 30ग्राम, सुरजान शीरी 30 ग्राम, सोफ 30 ग्राम,सोंठ 10 ग्राम,जीरा 10ग्राम, सनाय 10ग्राम,

 सुखा पौदीना 10ग्राम,काली मिर्च 5ग्राम ,इन सब को कुटकर  मिक्सी मे चूर्ण बना ले । इसको छानकर चूर्ण को 
सुबह शाम दुध से ले । ज्यादा दर्द हो तो सुबह दोपहर शाम तीनो समय दुध से ले । यह 40 दिनो तक लेना है ।

 यह साइटिका गाठिया वात विकारो की उत्त्म औषधि है ।

दर्द के स्थान पर नारायण तेल की मालिश करे ।

दर्द का तेल आप घर पर भी तैयार कर सकते है ।
तेल बनाने की विधि- सरसो का तेल 250ग्राम, तारपीन का तेल 100ग्राम लहसुन की कलिया 50ग्राम,रतनजोत 20 ग्राम अमृतधारा  30ग्राम
सरसो का तेल किसी बर्तन मे गर्म कर ले । ठ्न्डा होने के बाद उसमे लहसुन की कलियॉ छीलकर छोटे-छोटे टुकड़े करके डाल दे और हल्की आँच पर गरम करे । तेल को इतना गर्म पकाये कलिया काली पड़ जाये ।गैस पर से उतार कर गरम तेल मे ही रतनजोत डाल दे । तेल के ठन्डा होने पर इसे किसी बोतल मे  कर ले और इसमे अमृतधारा  और तारपीन का तेल मिला दे।

2—असगंध नागौरी का चूर्ण 60ग्राम,सोंठ का चूर्ण 30ग्राम ,मिश्री 90 ग्राम इन तीनो को मिलाकर सुबह शाम लगभग 5ग्राम दुध या गर्म पानी से ले । 40 दिनो तक लेने से जोड़ो के दर्द व वात रोगो मे आराम मिलता है

 3-सुबह कुछ खाये बीना चार-पाँच अखरोट की गिरिया खाने से घुटनो के दर्द मे आराम मिलता है और मस्तिष्क भी पुष्ट होता है ।



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