Saturday, 13 September 2014

tea side effects (in hindi)

                                                                                                                                                                                                                                                                                       आज जहा तक दृष्टि जाती है सब अस्वस्थ ही नजर आते है। आज के समय में स्वस्थ परिवार तो क्या स्वस्थ  व्यक्ति मिलना मुश्किल है। भारत जैसे देश में जहाँ परमात्मा का वरदान प्राप्त है। सभी सोलह प्रकार की जलवायु भारत देश में पायी जाती है. सबसे  ज्यादा सूर्य का प्रकाश यहाँ मिलता है। योग ध्यान अध्यात्म के गुरु यह ही पैदा हुए। आयुर्वेद सबसे प्राचीन ग्रन्थ है।आयुर्वेद  कहता है रोग होते ही नहीं। फिर  हमारे देश में ऐसा  क्या हो गया. अधकांशत  अस्वस्थ हो गए। 1881  में ब्रिटिश गोवेर्मेंट ने पुरे देश में जनगणना करवाई थी जिसमे 80 % लोग पूर्ण स्वस्थ थे। उससे पहले देखे, 300 -400  साल पहले देखे तो कोई जानता ही नही था. बीमारी होती क्या है ? केवल  प्राकृतिक बीमारिया होती थी। जैसे कभी  सुख पड़ गया या अत्यधिक वर्षा होने के बाद मलेरिया हैजा आदि बीमारिया होती थी जो सिर्फ पंद्रह बीस दिन या एक महीने तक रहती थी जिसे प्रकर्ति का प्रकोप माना जाता था. ब्लडप्रेशर मधुमेह कब्ज माइग्रेन साइटिका  आदि  बीमारिया हमारे देश में होती ही नही थी. फिर हमारे देश में 100 -150  साल में ऐसा क्या हो गया जिसे देखो वह किसी न किसी गम्भीर बीमारी से पीड़ित है. ब्लडप्रेशर  मधुमेह  थाइराइड घुटनो का दर्द माइग्रेन मोटापा तो आज आम बात है.

             आजादी के 58   सालो में जिस तेजी से परिवर्तन आया  है. बल्कि कहना होगा 1947  में भारत आजाद नहीं हुआ बल्कि भयंकर गुलाम बना। 1947  के बाद हम मानसिक रूप से गुलाम बने. 1947 से  पहले हम मानसिक रूप से शुद्ध भारतीय थे। जो काम अंग्रेजो ने  यहाँ रहते हुए नहीं किया वह उन्होंने यहाँ से जाने के बाद कर दिया।
 हमने बीना सोचे समझे अंग्रेजो की जीवन शैली अपनाई या कहना चाहिए हमारे ऊपर थोपी गयी।
सबसे  पहले चाय  के बारे में बात करते है.
  चाय हमारे देश में महानगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रो तक जीवन  का आवश्यक अंग बन गयी है.दिन की शुरुआत हो,मेहमान आ  जाये या कोई भी समारोह हो. चाय के  बीना अधूरा लगता है अंग्रेजो ने भारत छोड़ने से पहले चाय का  इतना प्रचार किया। ग्रामीण क्षेत्रो तक में फ्री में स्टाल लगवाए।गली -गली मोहल्ले- मोहल्ले  में चाय फ्री में पिलवाई गई.सबको अच्छी लगी इसको पीने  के बाद स्फूर्ति व् ताज़गी का अनुभव होता है. मगर यह लाभप्रद न होकर अनेक दुर्गुणों से युक्त है अंग्रेजो के लिए यह एक medicine हो सकती है.जिस स्थान पर बहुत ज्यादा ठण्ड पड़ती है.जिनका ब्लडप्रेशर लो रहता है उनके  लिय यह एक medicine का काम करती है.यूरोप में आठ -आठ महीने सूर्य नहीं निकलता भयंकर ठण्ड पड़ती है. -30 डिग्री तक टेम्प्रेचर चला जाता है वहा चाय लाभदायक साबित हो सकती है मगर हमारे देश में कुछ जगहों को छोड़ दे तो टेम्प्रेचर सामान्य  रहता है.जिन लोगो का ब्लडप्रेशर हाई है या सामान्य है उन लोगो  लिए चाय slow poison है।
  चाय में तीन प्रकार के विष पाये जाते है.
 1 -थीन   2 -टेनिन    3 -कैफीन -                                                                                                                                                                              थीन -चाय पीने के बाद जो  आनन्द महसूस  होता है वह इसी थीन नामक विष के प्रभाव के कारण है.
                                                                                                                    टेनिन   - इस विष के द्वारा ही कब्ज होता है यह पाचन शक्ति को नष्ट  कर देता है। नींद को भी नष्ट करने की शक्ति इसमें ही होती है। इस विष के कारण ही चाय पीने के बाद ताजगी का अनुभव  होता है मगर कुछ समय बाद खुश्की  व थकान का  अनुभव होता  है। जिसके कारण और चाय पीने का मन करता है।
                                                                                                                  कैफीन-इसका प्रभाव शराब  तम्बाकू में पाये जाने वाले विष निकोटीन  के समान होता है यह दिल की धड़कनो को बढ़ाता है यह शरीर को निर्बल बनाता  है इसी विष के नशे से वशीभूत होकर व्यक्ति चाय का आदि बनता है।
 उपयुक्त  विषो के  होने  के कारण ही चाय का प्रभाव अत्यधिक उत्तेजना देने  वाला है आज जो ब्लडप्रेशर की भयंकर समस्या है इसका सबसे बड़ा कारण चाय के प्रचार की अधिकता है। चाय का नशा  अंदर ही  अपना कार्य करता है। और कुछ ही दिनों में शरीर को दीमक की तरह  खोखला बना देता है.
 चाय पीने से   मूत्र की मात्रा  में तीन गुना वृद्धि हो जाती है। शरीर की शुद्धि के लिए मूत्र का निकलना आवश्यक है मगर वह शरीर में बना रहता है जिसके कारण गठिया का दर्द ,गुर्दे मे पथरी,ब्लडप्रेशर आदि रोगो  का शिकार बनना पड़ता है।
 चाय के अत्यधिक  सेवन के कारण  टेनिन  एसिड के नशीले प्रभाव से पेट में बादी, गैस ,कब्ज,बदहजमी,नींद का न आना आदि रोग होते है। 
 चाय पीने से दाँत पीले  हो जाते है। 
 नेत्रो के भी कई रोग पैदा हो जाते है। 
गरीब से अमीर तक चाय जीवन का अहम हिस्सा बन गया है। भोजन मिले या न मिले मगर चाय  अवश्य मिलनी चाहिए। चाय के अवगुणो को देखते हुए इस विनाशकारी चाय का तुरंत त्याग कर  देना चाहिए। चाय छोड़ते ही कई बीमारिया स्वतः ही समाप्त हो जाएगी। 
     
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Thursday, 4 September 2014

constipation ayurvedic treatment (in hindi)

                          
कब्ज (constipation) को बीमारियो की माँ कहा जाता है अधिकांशत रोग कब्ज के कारण होते है.आचार विचार खान पान उचित न होने के कारण कब्ज पैदा होता है। कब्ज के कारण जोड़ो का दर्द मधुमेह  ब्लडप्रेशर मोटापा आदि रोगो की शुरुआत होती है आज भारत में ही नही वरन पुरे विश्व मे यह रोग बढ़ता जा रहा है जब तक हम अपना खान पान नही सुधारते यह रोग दवाइयों से सही होने वाला नही है हमे अपनी जीवनशैली भारतीय प्राचीन धरोहर आयुर्वेद के अनुसार करनी होगी उससे हम निरोगी ही नही वरन जीवन भी  आनंदमय हो जाता है.
 पहले यह सिर्फ वृद्धो  को ही होता था क्योकि वह श्रम कम करते थे तो उन्हे पित्त कम बनता था पित्त कम बनेगा तो भोजन कम पचेगा।मगर आज यह रोग प्रतियेक उम्र के व्यक्ति में है.परिश्रम तो कम करते है वरन गरिष्ठ  भोजन खाते रहते है छोटी उम्र से रोग शुरू हो जाते है.हमे अपनी खान पान की आदते सुधारनी होगी।
                      कब्ज (constipation)से कैसे बचे  
1 -भोजन करते समय 32  बार चबाये। भोजन जब पेस्ट बनकर आमाशय मे पहुंचेगा तो जल्दी पचेगा। 32 बार कैसे चबाये प्रत्येक गस्से के साथ गिनती करना संभव नही.प्रत्येक गस्से के साथ इस मंत्र का दो बार जप करे।
         हरे रामा हरे रामा रामा रामा हरे हरे 
                     हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे 
इस मंत्र मे 16 शब्द है दो बार में 32 हो जायेगे। इस मंत्र का प्रत्येक गस्से के साथ दो बार उच्चारण करे तो 32 बार चबाना भी हो गया और भोजन भी भजन  बन गया।
2 -पानी भोजन करने से एक घंटा पहले पीना चाहिए और  भोजन करने के 2 घंटे   बाद  पानी पीना चाहिए।
3 -ठंडा पानी का सेवन नही करना चाहिए यह हमारी अग्नि  मंद करता है.पाचन क्रिया  मंद हो जाती है.कब्ज बढ़ने  लगता है।
4 -भोजन सुखासन की स्थिति में जमीन पर बैठ कर करना चाहिए।
                                  
सुखासन की स्थिति मे आमाशय में अग्नि तेज होती है जिसके कारण भोजन तेजी  से पचता है। और शरीर मे लचक बनी रहती है घुटने के   दर्द की  समस्या भी बहुत कम हो जाती है.थोड़े से अभ्यास से सुखासन की स्थिति में बैठ सकते है. भोजन का आनंद ले सकते है।
5 -6 घंटे से पहले दूसरा भोजन नही करना  चाहिए।भोजन आमाशय  मे पहुंचकर उसका पेस्ट  बनता बनता है
पेस्ट से रस बनता है रस से मांस मज्जा वीर्य मल मूत्र मेधा अस्थि बनते बनते है। इस  प्रक्रिया में लगभग 6 घंटे का समय लगता है। बीच में सिर्फ कितना भी पानी पी सकते है। मान लो आप किसी बर्तन मे दाल पका रहे है वह 30 मिनट मे पकती है आप प्रतियेक 5 मिनट बाद उसमे दाल डालते जायेगे तो वह वह दाल भी नहीं गलेगी और पहले से पड़ी हुयी दाल भी ठीक प्रकार से नही गलेगी इसी प्रकार जब तक हमारा भोजन ठीक प्रकार से  पच न जाय तब तक हमे दूसरा भोजन नही करना चाहिए।
6 -दोपहर का भोजन करने के बाद 30 से 60 मिनट आराम करना चाहिय। रात्रि में भोजन के बाद टहलना चाहये व  भोजन करने के 2 घंटे बाद सोना चाहिए।
7 -हमे मैदा से बनी हुए भोज्य पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए।चाउमिन पिज्जा बरगर ब्रेड आदि का सेवन नही  चाहिए। ये आंतो  चिपक जाते है और  कब्ज पैदा करते है।
8 -भोजन जब भी करने बैठे प्रसन्नचित होकर करे। क्रोध मे आकर कभी भोजन नही करना चाहिए।
  उपरोक्त सूत्रों  को अगर हम अपने जीवन मे उतारने का प्रयास करे तो कब्ज  की शिकायत से  जिंदगी  भर दूर रहेंगे और निरोगी आनंदित जीवन जिएंगे 
                   कब्ज नाशक आयुर्वेदिक उपचार 
1-दिन मे जितनी  बार भी पानी पिए गर्म पानी का सेवन करे। दो महीने तक गर्म पानी का नियमित सेवन करने से  कब्ज दूर   हो जाता है। 
2 -सनाय सोफ मिश्री तीनो 100 -100 ग्राम लेकर चूर्ण बना ले। रात्रि सोते समय गर्म पानी से इसका प्रयोग करे। 
3 -छोटी हरड़ 100 ग्राम अजवायन 100 ग्राम सोफ 50 ग्राम काला नमक 50 ग्राम इन चारो को  पीसकर चूर्ण बना 100 ग्राम मेथीदाना मोटा दरदरा पीस कर चूर्ण मे मिला ले ,इस  चूर्ण को सोते समय गर्म पानी से सेवन करे। सुबह पेट अच्छा साफ होता है.यह मधुमेह रोगी के लिये भी अति उत्तम है.
4-छोटी हरड़ और काला नमक १००-१००  ग्राम लेकर चूर्ण बना ले और रात्रि में दो चम्मच गर्म पानी से सेवन करे सुबह दस्त होकर पेट साफ हो जायेगा।
5-गर्म पानी में निम्बू का रस शहद मिला कर पीने से सुबह पेट खुलकर साफ होता है कुछ ही दिनों में पुराने  से पुराना कब्ज दूर हो जाता है.
6-दो चम्मच ईसागबोल और दो चम्मच मिस्री इसको रात्रि में एक गिलास पानी भिगो कर रख दे. सुबह  उठते ही पी ले.
7-तीन अंजीर रात्रि में भिगो कर रख दे सुबह उठकर वह अंजीर खा कर पानी पी ले।
8-२० ग्राम त्रिफला रात्रि को ५०० ml पानी में भिगो कर रख दो. सुबह उठते  ही वह पानी पी लो। कुछ ही दिनों में कब्ज की शिकायत दूर हो जायगी।
9-अमरुद पपीता कब्ज के लिए बहुत लाभदायक है किसी भी समय इसको खा सकते है।
10-किशमिश रात्रि में भीगो कर रख दे सुबह किशमिश खाकर पानी पी ले.
11-सुबह उठने के बाद गरम पानी में निम्बू शहद काला नमक मिलाकर पीना फायदेबंद है. यह मोटापा भी कम करता है।


























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