सभी बीज पेड़ नहीं बनते,कुछ बीज ही पेड़ बनते है। उनमे कुछ वटवृक्ष बनते है। पेड़ बनने की क्षमता सब बीजो में होती है मगर वटवृक्ष कोई ही बन पाता है। जीवन में सब सफल होना चाहते है सबमे क्षमता होती है मगर कुछ सफल हो पाते है। उन्ही चन्द लोगो में एक नाम है नरेंद्र दामोदर दास मोदी का ,जिनका जन्म साधारण परिवार में 12 सितंबर 1950 को हुआ था उनमे ऐसा क्या है जो हममे आपमें नहीं है। एक साधरण परिवार में जन्म के बाद भी सफलता के शिखर पर पहुचना,अपने आपमें उन्हें हमसे कुछ अलग रखता है। भारतवर्ष में ही नहीं वरन समुची दुनिया में उनकी कामयाबी का डंका बज रहा है। उनके चाहने वाले हो,उनके विरोधी हो ,या तथस्थ हो,किसी भी राजनैतिक पार्टी के हो,कोई भी संगठन हो,सब के नाम पर मोदी जी का ही नाम था यही नहीं विदेशो तक में ,प्रेत्यक देश में मोदी जी चर्चा का विषय रहे। पुरे देश में कोई राज्य हो,किसी भी धर्म,जाति, भाषा के लोग हो, हिंदी भाषी हो ,बंगाली हो,या दक्षिण भारतीय,किसी भी पार्टी के हो ,कश्मीर से कन्याकुमारी तक सबकी जवान पर सिर्फ एक ही नाम था।
मोदी मोदी मोदी मोदी मोदी
आठ साल की उम्र में गुजरात के छोटे से कसबे वडनगर स्टेशन पर पिता की चाय की दुकान में हाथ बटाने वाला बालक भारत जैसे विशाल देश का प्रधानमंत्री बनता है। क्या उस समय कोई कोई सोच सकता था चाय बेचने वाला मामूली बालक एक दिन वटवृक्ष बनेगा। कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था बड़े भाई के साथ टर्मिनल पर चाय बेचने वाला बालक सफलता के उच्च शिखर पर पहुंचेगा। क्या था उसमे ऐसा,वह भी अन्य बालको की तरह सामान्य बालक था। उनमे हममे क्या फर्क है ?
इन्होने प्रत्येक कार्य चाहे वह चाय बेचने का हो या संघ से जूड़ने के बाद संघ के लिए कार्य करने का हो,संघ में भी उन्हें शुरूआती दौर में वरिष्ठों के लिए चाय नास्ता बनाने की जिम्मेदारी दी गयी थी। प्रत्येक कार्य को उन्होंने आनन्द से किया।उसमे मजा किया।कभी किसी काम को बोझ समझ कर नहीं किया और जिस काम मे हमें आनंद आने लगता है उसमे मेहनत नहीं होती। मेहनत उस कार्य में होती है जिसे करना तो पड़ता है मगर मन नहीं होता,उसमे थकान का भी अनुभव होता है। जिस कार्य को करने में आनंद आता है उसमे थकान नहीं होती है बल्कि मजा आ रहा है प्रत्येक पल का मजा लिया जिंदगी का ,प्रत्येक कार्य को अपना कर्तव्य समझ कर किया,न की फल पर फोकस करके किया। जब फल पाने की आशा लेकर के कर्म करते है तो कर्म करते हुए पूरी निष्ठां नहीं होती अपनी क्षमता का कुछ प्रतिशत ही हम दे पाते है लेकिन जब फल की कामना नहीं होती तब अपनी क्षमता का 100 %दे पाते है। यह सत्य है जब कर्म करते है तो फल तो स्वतः ही मिलता है बल्कि फल की कामना न करना और ज्यादा फल मिलने का रास्ता है। कोई व्यक्ति आम का पौधा लगाता है सिर्फ यह उसका शौक है वह खाद पानी सब देता है उसकी नियमित सेवा में उसको आनंद आता है फल उसकी कामना नहीं है। ,मगर पौधा जब पेड़ बनेगा वह फल तो अवश्य देगा। इस प्रकार कोई भी कर्म, हम फल की कामना का त्याग करके करते है उसमे आनंद भी आता है फल तो मिलना ही मिलना है। जब हम फल की कामना लेकर के कोई कार्य करते है। तो हमारे अंदर लोभ का जन्म हो जाता है। हम कर्म करते हुए जितने फल की आशा रखते है उसमे कम या ज्यादा मिलता है तब हम सुख -दुःख के भवर में फ़ंस जाते है फिर हमें तनाव से गुजरना पड़ता है। और जब हम तनाव में होते है तब हम अपना शत -प्रतिशत दे ही नहीं सकते।
हमेशा तरोताजा दिखने वाले नरेंद्र मोदी जी का आखिर राज क्या है ?18 घंटे कार्य करके भी हमेशा तरोताजा रहते है चहरे पर मुस्कराहट रहती है।तनाव में तो कभी दिखते ही नहीं।हमेशा शांत आनंद से रहते है अपनी जिंदगी में मस्त है। इसका राज है योगा , मैडिटेशन,अनुशासित जीवन शैली,संतुलित अहार,आर. एस एस मे रहने के कारण उनका जीवन बड़ा अनुशासित है। सुबह जल्दी उठकर योगा मैडिटेशन करना उनकी नियमित दिनचर्या है। हमेशा तरोताजा रहते है। कहा जाता है 20 मिनट का मेडिटेशन 2 घंटे की नींद के बराबर हमें ऊर्जा प्रदान करता है। इसके साथ ही हम निरोगी रहते है।
नरेंद्र मोदी जी से प्रेणना लेनी चाहिए इतनी व्यस्तता के बाद भी योगा मेडिटेशन नहीं छोड़ते है ,यही उनके तरोताज़ा रहने व् आनंदित जीवन का राज है चुनाव के दौरान 3 लाख किलोमीटर का सफर कर 437 रेलिया कर 25 राज्यों में प्रचार किया और 1350 थ्री डी रैलिया भी की,प्रत्येक स्थान पर तरोताज़ा दिखाई दिए कही भी तनाव में दिखाई नहीं दिए।
हम किसी से कहते है निरोगी आनंदित जीवन जीना है तो नियमित योगा मैडिटेशन किया करो तो अधिकांशत जवाब मिलता है समय नहीं है सोचो क्या आप नरेन्द्र मोदी जी से ज्यादा व्यस्त है अगर हाँ तो ठीक है अगर मानते है नहीं है तो अपने मन को नियन्त्रण करते हुए मोदी जी से प्रेणना लेते हुए दिन की शुरुआत मैडिटेशन से करे। मैडिटेशन करने से सारा दिन अच्छा गुजरता है आनंद से भरा रहता है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा व सोमनाथ से अयोध्या तक की यात्रा में लालकृष्ण आडवाणी जी की यात्रा के सारथी मोदी जी ही थे। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते 13 साल 7 महीने के अपने कार्यकाल में मोदी जी ने एक भी छुट्टी नहीं ली। जब पुरा देश होली दीवाली आदि पर अपने परिवारो के साथ छुट्टी का मजा ले रहा होता है तब मोदी जी देश की सीमाओ की रक्षा करने वाले जवानो के बीच होते है। अपने को पूरी तरह समर्पित केर देना यह आनंद की परकाष्ठा है इतने सालो मे एक भी छुट्टी न लेना यह दर्शाता है वह जिंदगी का भरपूर आनंद ले रहे है। मेहनत करने वाला व्यक्ति थक जाता है जब कोई कर्म मेहनत से किया जाता है तो थकान पैदा होती है शरीर आराम चाहता है। लेकिन कर्म करते हुए आनन्द आता है उसमे मज़ा आने लगता है तो थकान नहीं होती हम लगातार कार्य करते रहते है क्योकि उसमे मज़ा आ रहा होता है।
हमें मोदी जी से प्रेरणा लेनी होगी, सीखना होगा मोदी जी से,संकल्प कैसे जीतते है। क्या एक साल पहले तक कोई सपने में भी सोच सकता था। भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार बना सकती है उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में,जहा उसका जनाधार लगातार नीचे की ओर जा रहा था वहा 80 मे से से 71 सीटे आना किसी चमत्कार से कम नहीं,मोदी जी का लक्ष्य था संसद में बहुमत से पहुचना है। उस पर अपना फोकस किया।चाहे कुछ भी करना पड़े लक्ष्य को पाना है।
अपने अंदर आत्मविश्वास है। पूरी लगन से आप आनन्द लेते हुए लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करते है। तो कोई कारण नहीं आप लक्ष्य प्राप्त न कर सके भले ही वह असंभव दिख रहा है। बस आपका फोकस आपके लक्ष्य पर होना चाहिए इधर -उधर भटकना ही लक्ष्य को हमसे दूर कर देता है जिस प्रकार अर्जुन का लक्ष्य चिड़िया की आँख था उसे सिर्फ आँख दिख रही थी जबकि उसके अन्य भाइयो को चिड़िया पेड़ व अन्य चीजे भी दिख रही थी। यह अर्जुन व उसके भाइयो में सबसे बड़ा फर्क था। अर्जुन के समान ही मोदी जी का लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ 272 था जो चिड़िया की आँख की तरह था। जो संकल्प तो लेते है मगर पूरा नहीं कर पाते,उनमे सिर्फ एक ही फर्क है उन्हें लक्ष्य के साथ -साथ दस अन्य चीजे भी दिखाई देती है उनका मन लक्ष्य से भटक जाता है वे अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते सफल होने का माद्दा प्रत्येक व्यक्ति में होता है। महत्वपूर्ण है वह अपने मन को कितना एकाग्र कर पाता है जिसने अपने चित को अपने वश में कर लिया उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। मोदी जी का अपने चित पर पूर्ण नियंत्रण है जो भी संकल्प लेते है जब तक उसे प्राप्त नहीं कर लेते,निगाहे उस पर ही रहती है।
जिस प्रकार श्री कृष्ण ने अर्जुन को जगत का कल्याण करने के लिए गीता का उपदेश दिया था और समग्र जगत के मार्गदर्शक बने थे उसी प्रकार मोदी जी भी आज समग्र जगत के मार्गदर्शक है। युवाओ के प्रेणना श्रोत है। पुरे देश में जबरदस्त परिवर्तन आने वाला है। युवाओ को सही दिशा मिलेगी। मोदी जी के मार्गदर्शन में संकल्प कैसे लिया जाता है फिर उसे कैसे पूरा किया जाता है युवा जान गया है। अपने लक्ष्य को कैसे जीत में बदलना है प्रत्येक युवा मोदी जी से प्रेणना लेकर कुछ कर गुजरना चाहता है।
युवाओ को,पुरे देश, जगत को सही दिशा दिखाने वाले मोदी जी आज के कृष्णा है।
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posted by -vishal rastogi
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